शुक्रवार '' चित्र अभिव्यक्ति आयोजन ''( 18.3.2016) ♧♧
"कुंडलिया छंद"
देखता बादल को है, नित सोचता किसान
सीढ़ी होती स्वर्ग की, करता एक विधान
करता एक विधान, दौड़ के उसपर चढ़ता
करता तुझमे छेद, खेत का पानी बढ़ता
कह गौतम कविराय, हाथ से लक्ष्य भेदता
तुमहि देत बतलाय, सुनहरी फसल देखता।।
महातम मिश्र (गौतम)