मंच को सादर प्रस्तुत है कुंडलिया........
“कुंडलिया”
पौध पेड़ होता नहीं, जबतक लगे न हाथ
अंकुर होता बीज है, पाकर माटी साथ
पाकर माटी साथ, पल्लवित होता है तरु
दाना दाना बीज, किसान रोपता है धरु
कह गौतम कविराय, ना पेड़ों को अब रौद
छाया कर समुदाय, उगाकर धरोहर पौध॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी