सादर सुप्रभात मित्रों, आप सभी का
स्वागत करते हुए चित्र अभिव्यक्ति आयोजन में एक कुण्डलिया सादर
निवेदित है.........
“कुण्डलिया”
मन में चिंता हंस करे, जल मलीन है आज
उलझ गया शेवाल है, नदियां बिन अंदाज ॥
नदियां बिन अंदाज, हंस उड़ गया चिहुँककर
कमल खिले कत जाय, नीर निर्मल जस तजकर
कह गौतम कविराय, हंस सुंदर दिखे जन-जन
रुके न सुष्क तलाव, प्रीति
ना जोड़े भर
मन॥
महातम मिश्र