सादर सुप्रभात आदरणीय मित्रों, एक गज़ल
आप सभी को अर्ज करता हूँ, आशीष प्रदान करें........
“गज़ल”
दिल ही तो है, लगा
लूँ क्या
गम के बादल, छुपा लूँ क्या।
उठा दरद है, मरज़
पुराना
बिच दांतों के, दबा
लूँ क्या॥
फूल गुलाबी, खिले हुए हैं
गेशू गजरा, सजा लूँ क्या ॥
लगी हुई है, हवा दीवानी
दूर नहीं रब, माना लूँ क्या ॥
छोड़ न जाए, इश्क ए वफ़ा
प्रेम की पूजा, चढ़ा लूँ क्या॥
तुझे सँवारूँ , नजर बचा के
जी लूँ जी भर, निभा लूँ क्या॥
बहक न जाए, मेरी कश्ती
पतवार परत, चढ़ा लूँ क्या ॥
मन की वीणा, चहक उठी है
राग फाग गुन, गुना लूँ क्या ॥
ना री नारी, नचा न मधुबन
चित पग घुंघरूं, हटा लूँ क्या ॥
महातम मिश्र