यह चार पदों(पंक्तियों मे) लिखा जाने वाला वार्णिक छंद है। इसमे वर्ण अर्थात अक्षरों की गिनती होती है, 8/8/8/7 पर यति अर्थात प्रति पंक्ति 31 वर्ण, भाव प्रभाव रचना मे तुकांत लघु गुरु पर अनिवार्य।
"मनहर घनाक्षरी"
दाना मांझी को बताई, प्रशासन ने अधिक, लाचारी जो लिए चली, चलन बीमार है
कितने आए हैं यहाँ, तेरे जैसे बीमार ले, रोते गिड़गिड़ाते ही, जो दर किनार हैं।
तेरा भार तूं ही उठा, अर्थी को कंधे से लगा, जा रे जा भाग यहाँ से, यहाँ क्या अनार है
घिसटते कुचलते, जीते मरते पार है, बदनुमा दाग लिए, सड़क बेजार है।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी