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बरसात

hindi articles, stories and books related to barsat


जिंदगी की राहों में , इंसान उस मोड़ से भी गुजरता है ।जहां हर एक इंसान , किसी - ना - किसी से मिलकर बिछड़ जाता है ।✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨दोस्त मिलते हैं बिछड़ने के लिए फूल खिलते हैं बिखरने के लिए&n

उससे दर्द - ए - महजूरी का कुछ ऐसा तसव्वुर किया मैंने ,कि मेरे मुँह से एक चीख निकल गई ।जिसे सुनकर मेरे सामने एक भीड़ इकट्ठा था । लेकिन हैरानगी तो तब हुई ,जिसके लिए चीखा , वो किसी और के साथ था ।महज



मुनासिब है . . . 
सबका यूं मुझसे रूठ जाना ... 
मुनासिब है . . . 
सबका यूं मुझसे रूठ जाना ...&nbs

तुझे भुलना तुझे भुलाना तो बहुत आसान हैं . . .पर मेरी फितरत तुम जैसी नहीं ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

वो बेवफा नहीं थी ...गलत   मैं था ...उसकी हर बात सही थी ...बेमतलब  मैं था ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

टूटे हैं मेरे वादे ...सपने भी मुझसे रुठे है  ...किससे और कैसे कहूँ ?क्योंकि कुछ छूटे है मेरे अपने भी ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

🌷🌸🍂🌿🌷🌸🍂🌿🌷🌸🍂🌿🌷🍂🍂🌿🌷🌸इंसान को  आप कभी ....उसके कपड़े और उसके बोले गए शब्दों से मत आंको ...क्योंकि कभी-कभी इंसान ...आपके सोच के बिल्कुल विपरीत निकलता है . . .🌷🌸🍂🌿🌷🌸🍂🌿🌷🌸🍂�

मैं चांद में उनको देख कर तो ...खूब बाते करती हूँ उनसे ...पर मैं तब वो सारी बाते भूल जाती हूँ ..जब वो मेरे सामने आ जाते हैं . . .😜✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

वैसे तो हम उनसे बहुत बाते किया करते हैइतना कि उनको कहना पड़ता है . . .यार मेरी भी तो सुनो ....पर जब मेरे करीब आते है ...तो मेरी बोलती ही बंद हो जाती हैं ..और तब वो बड़े ही प्यार से कहते हैं . . . 

कुदरत कहर बरपाती है,दुनिया वीरान हो जाती है।चहुंओर सैलाब सा उमड़ता,जिंदगी नहीं कहीं दिखती है।।कुदरत का कहर देखो,आंधी तूफान में समाई।टूटे झोपड़ी और महल,जन जन को ये रुलाई।।कुदरत का कहर देखो,पहाड़ टूट कर

गर मिले दो पल की भी ख़ुशीतो उसे खुल के जि लेना ..🤗पता नहीं फिर ये पल मिले या ना मिले        कभी हमें दोबारा ...पता नहीं फिर ये पल आये या ना आये कभी जिंदगी में हमारे

यदि अकेले जीना सीख लो ,तो यह दुनिया तुझे कभीठुकरा नहीं सकती ।✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

हाय ...😚☺️तेरा यूँ शरमा के मुझसे "नज़रे झुकाना "😚मेरे दिल पे कई वार कर गये ...💘💘पहले जो उठी थी ये नजर मेरे दिदार मेंअब वही झुक गई ...☺️मेरी ज़ुबा से एक लब्ज़ सुनने के बाद ...✍🏻 रिया सिंह सिक

चली थी मैं अकेले ... 2अपने जिंदगी के सफर में, ना रास्ते की  थी कोई खबर , ना मंजिल का ही था  कोई पता ...जाना है मुझे कहाँ . ?मेरा कोई ठिकाना ही न था !होके खफा मैं अपने ही दुनिया से

हर रोज - 2एक नई कोशिश करती हूँ मैं ना गलतियां हो मुझे कोईखुश रहा करे मुझसे मेरे अपने ।एक अजीब सपना हैं ये मेरा भी -2कि जिनसे प्यार करती हूँ मैंवो प्यार करे मुझसे भी । ""🌌🌌✍🏻 रिया सिंह सिकरवार

माथे पे वो तेज ...भृकुटी तनी हुई ...आँखों में रौब ...बुलंद आवाज ...चाल मस्तानी सी ...चले जब तो लोग उसे ही देखते है ...ऐसी है वो लड़की ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

हे ! दीनानाथ दिनकर ! 🌞मेरे जीवन में दिन कर दो 🌄ये अंधेरी निशा है जो आई🌑मेरे जीवन की नगरी में 🌆इसे शशि से उज्जवल कर दो🌕✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

माना की हम बिछड़ गए थे . . .पर इंतजार तो कर सकते थे . . .लौट कर आयेंगे पास तुम्हारे ही ...इतना एतबार तो कर सकते थे . . .✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

आज चाँद को रोते देखा .... . . .फिर से ...हमने खुद को खोते देखा .... . . .फिर से ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है, साथ ही मुहब्बत का वास्ता भी लिखा है, उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना, साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है, कुछ हरूफ लिखे हैं ज़ब्त की नसीहत में,

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