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बरसात

hindi articles, stories and books related to barsat


सौदा हमारा कभी बाज़ार तक नही पहुंचा..!! इश्क था जो कभी इज़हार तक नही पहुंचा...!! यूँ तो गुफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी...!! सिलसिला कभी ये प्यार तक नही पहुंचा...!! जाने कैसे वाकिफ़ हो गया तमा

गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ नये मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा। फरेब दे कर तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिन मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा। तुम्हें पता तो चले बेजबान चीज का दुःख मैं अब चराग

चोट मौसम ने दी कुछ इस तरह गहरी हमको। अब तो हर सुबह भी लगती है दुपहरी हमको।। काम करते नहीं बच्चे भी बिना रिश्वत के। अपना घर लगने लगा अब तो कचहरी हमको।। अब तो बहिनें भी ग़रीबी में हमें भूल गईं।

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रिमझिम सावनी फुहार-संग पावन पर्व रक्षाबंधन आया है घर-संसार खोई बहिना को मायके वालों ने बुलाया है   मन में सबसे मिलने की उमंग धमा-चैकड़ी मचाने का मन है पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी  वह बचपन

मौसम सुहाना , बच्चों को लुभाना , सूखा का जाना , हरियाली का आना , फिर से आ गई वो बहार , फिर से आ गई बरसात ।बादल के उमड़ने से मन खुश होता है ,बादल के गरजने से जी डरता है ,  बारि

सामग्री = 20- 25 ताजा पालक की पत्तियों की डंडियों को अच्छी तरह धो लें, ½ प्याला बेसन, ¼ प्याला चावल का आटा, ½ छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, नमक, तलने के लिये तेल।टॉपिंग के लिये = 6 बड़े चम्मच सोंठ पाउडर,

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रंगों से भरी ज़िंदगी ...कभी खुशी के संग हो जाती है रंगीन  जिंदगी..कभी दुखी होने सेलगने लगती है रंगहीन  जिंदगी . .कभी ख़ुशी कभी गम"जिंदगी" कट जाती है इसी के संग . . .कभी हंसाना , कभी रुल

कुछ लोग है यहाँ मतलब के यार ।मतलब हुई खत्म , हो गयी यारी भी खत्म ।जैसे हो गयी यारी की, कहानी ही ख़त्म ।उसके लिए तो हुई कहानी खत्म ,पर मेरे लिए तो हुई दुनियाँ ही खत्म ।भले ही वो था हमें

बरसात का मौसम आते ही शासन स्तर से लेकर कई सामाजिक संस्था, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि पेड़-पौधे लगाने के लिए बरसात का समय सर्वथा उपयु

हम है आपके , आप हो हमारे ... हम दोनों है एक दूसरे के लिए ही बने ... दुनियाँ से अब हमें ना डरना है ... खुल कर खुशियों को जीना है ... चलेंगे हम कही दुनियाँ से  दूर ... जहाँ प्यार का ही सिर्फ बसेरा हो .

बारिश के बूंदो को ,हमने बरसते देखा -2🌧️धरती पे आके उसको , हमने दफन होते देखा है ।घमण्ड मत करो ऐ अमीरो ! - 2क्योंकि हमनें अमीरों को भी , गरीब होते देखा है ।♥️💞💖💝💟💌💓🌹😘🤗♥️💞💖💝💌✍🏻 रिया सिंह

चली चली मैं कही दूर चलीबाबूल की गलीयों से मै दूर चलीबचपन का वो खेल खिलौनाछोड़ के सब मै दूर चली कैसी ये दस्तूर है अपने को पराया बना गैरों को अपना बनाने चलीरिया सिंह सिकरवार " अनामिका " (

मुनासिब है सबका ...मुनासिब है सबका यूं मुझसे रूठ जाना ...औकात तो पता चल जाती है अपनी ...बेशक सही है दिल का टूट जाना ... 2आदत तो बदल जाती है अपनी ...जाहिर है . . .जाहिर है सब साथ छोड़ देंगे मेरा एक दिन

क्या हुआ मैं लड़की हूं तो मेरा हक नही यहा जीने का ?मेरा मन नहीं खुल के हॅसने का?मै नहीं चाहती क्या खेलना ?क्यूँ मना करते है लोग ?क्यू बताते रहते है कि हम लड़की है ,लड़कियों को ज्यादा हँसना नहीं च

मेरी  उम्मीद हो आप ...मेरी हर चीज हो आप ...आपको क्या बताऊं मै ...क्या चीज हो आप ...दुनिया सूना - सा लगने लगता है ...  जब आपको कुछ हो जाता है  तो ...आपका ख़्याल कर के जीती हूँ ...आप

6 माह बाद       एक लड़की आधी रात को सड़क पर किसी से छूप कर भाग रही थी । उसे कहां जाना है ? कुछ पता नहीं था ।  बस वह भागे जा रही थी । कुछ देर तक भागने पर जब उसकी सांस फूलने लगी

       श्रद्धा जब से सुनी थी कि अक्षत  किसी से प्यार करता है । तब उसकी आंखों में एक खौफ नजर आने लगी थी । वो खोई - खोई सी रहने लगी थी । जहां भी वह बैठती थी ,  वो वहीं बैठे

                      श्रद्धा एक साधारण परिवार की लड़की है । उसका हमेशा से यह इच्छा थी कि उसे भी उसके घर वाले प्यार करे । जब वो देखती की लोग

धानी चुनर ओढ़ प्रकृति शिवजी को रिझाने लगी है  हवा भी बादलों के साथ प्रेम गीत गुनगुनाने लगी है  सावन में बारिश की बूंदें दिल में प्रीत जगाने लगी है  पिया मिलन को आतुर गोरी ऐसे में अकुलान

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