हाय ...😚☺️तेरा यूँ शरमा के मुझसे "नज़रे झुकाना "😚मेरे दिल पे कई वार कर गये ...💘💘पहले जो उठी थी ये नजर मेरे दिदार मेंअब वही झुक गई ...☺️मेरी ज़ुबा से एक लब्ज़ सुनने के बाद ...✍🏻 रिया सिंह सिक
चली थी मैं अकेले ... 2अपने जिंदगी के सफर में, ना रास्ते की थी कोई खबर , ना मंजिल का ही था कोई पता ...जाना है मुझे कहाँ . ?मेरा कोई ठिकाना ही न था !होके खफा मैं अपने ही दुनिया से
हर रोज - 2एक नई कोशिश करती हूँ मैं ना गलतियां हो मुझे कोईखुश रहा करे मुझसे मेरे अपने ।एक अजीब सपना हैं ये मेरा भी -2कि जिनसे प्यार करती हूँ मैंवो प्यार करे मुझसे भी । ""🌌🌌✍🏻 रिया सिंह सिकरवार
माथे पे वो तेज ...भृकुटी तनी हुई ...आँखों में रौब ...बुलंद आवाज ...चाल मस्तानी सी ...चले जब तो लोग उसे ही देखते है ...ऐसी है वो लड़की ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हे ! दीनानाथ दिनकर ! 🌞मेरे जीवन में दिन कर दो 🌄ये अंधेरी निशा है जो आई🌑मेरे जीवन की नगरी में 🌆इसे शशि से उज्जवल कर दो🌕✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
माना की हम बिछड़ गए थे . . .पर इंतजार तो कर सकते थे . . .लौट कर आयेंगे पास तुम्हारे ही ...इतना एतबार तो कर सकते थे . . .✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
आज चाँद को रोते देखा .... . . .फिर से ...हमने खुद को खोते देखा .... . . .फिर से ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है, साथ ही मुहब्बत का वास्ता भी लिखा है, उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना, साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है, कुछ हरूफ लिखे हैं ज़ब्त की नसीहत में,
सौदा हमारा कभी बाज़ार तक नही पहुंचा..!! इश्क था जो कभी इज़हार तक नही पहुंचा...!! यूँ तो गुफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी...!! सिलसिला कभी ये प्यार तक नही पहुंचा...!! जाने कैसे वाकिफ़ हो गया तमा
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ नये मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा। फरेब दे कर तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिन मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा। तुम्हें पता तो चले बेजबान चीज का दुःख मैं अब चराग
चोट मौसम ने दी कुछ इस तरह गहरी हमको। अब तो हर सुबह भी लगती है दुपहरी हमको।। काम करते नहीं बच्चे भी बिना रिश्वत के। अपना घर लगने लगा अब तो कचहरी हमको।। अब तो बहिनें भी ग़रीबी में हमें भूल गईं।
रिमझिम सावनी फुहार-संग पावन पर्व रक्षाबंधन आया है घर-संसार खोई बहिना को मायके वालों ने बुलाया है मन में सबसे मिलने की उमंग धमा-चैकड़ी मचाने का मन है पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी वह बचपन
मौसम सुहाना , बच्चों को लुभाना , सूखा का जाना , हरियाली का आना , फिर से आ गई वो बहार , फिर से आ गई बरसात ।बादल के उमड़ने से मन खुश होता है ,बादल के गरजने से जी डरता है , बारि
सामग्री = 20- 25 ताजा पालक की पत्तियों की डंडियों को अच्छी तरह धो लें, ½ प्याला बेसन, ¼ प्याला चावल का आटा, ½ छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, नमक, तलने के लिये तेल।टॉपिंग के लिये = 6 बड़े चम्मच सोंठ पाउडर,
https://duniyadaaricurrent02.blogspot.com/2022/07/cloud-burst.html
रंगों से भरी ज़िंदगी ...कभी खुशी के संग हो जाती है रंगीन जिंदगी..कभी दुखी होने सेलगने लगती है रंगहीन जिंदगी . .कभी ख़ुशी कभी गम"जिंदगी" कट जाती है इसी के संग . . .कभी हंसाना , कभी रुल
कुछ लोग है यहाँ मतलब के यार ।मतलब हुई खत्म , हो गयी यारी भी खत्म ।जैसे हो गयी यारी की, कहानी ही ख़त्म ।उसके लिए तो हुई कहानी खत्म ,पर मेरे लिए तो हुई दुनियाँ ही खत्म ।भले ही वो था हमें
बरसात का मौसम आते ही शासन स्तर से लेकर कई सामाजिक संस्था, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों को पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि पेड़-पौधे लगाने के लिए बरसात का समय सर्वथा उपयु
हम है आपके , आप हो हमारे ... हम दोनों है एक दूसरे के लिए ही बने ... दुनियाँ से अब हमें ना डरना है ... खुल कर खुशियों को जीना है ... चलेंगे हम कही दुनियाँ से दूर ... जहाँ प्यार का ही सिर्फ बसेरा हो .
बारिश के बूंदो को ,हमने बरसते देखा -2🌧️धरती पे आके उसको , हमने दफन होते देखा है ।घमण्ड मत करो ऐ अमीरो ! - 2क्योंकि हमनें अमीरों को भी , गरीब होते देखा है ।♥️💞💖💝💟💌💓🌹😘🤗♥️💞💖💝💌✍🏻 रिया सिंह