shabd-logo

भाग 10

18 जुलाई 2022

19 बार देखा गया 19

बौंडोरी! बौंडोरी!...

सर्वे का काम शुरू हो गया है। अमीनों की फौज उतरी है!... बौंडोरी, बौंडोरी!

बौंडोरी अर्थात् बाउंड्री। सर्वे की पहली मंजिल। अमीनों के साथ ही गाँव में नए शब्द आए हैं-सर्वे से सम्बन्धित! बच्चा-बच्चा बोलता है, मतलब समझता है।

सर्वे की पहली मंजिल-बाउंड्री। फिर, मुरब्बा, किश्तवार, तब खानापूरी, तनाजा, तसदीक और दफा तीन, छह, नौ!

जरीब की कड़ी, तख्ती, राइटेंगल, गुनियाँ, कम्पास आदि लेकर अमीन लोग अपने टंडैलों के साथ धरती के चप्पे-चप्पे पर घूम रहे हैं। जरीब की कड़ी खनखनाती हई सरक रही है-खन,खन, खन! सर्वे के अमीन साहब का कहना है-“यदि किसी प्लॉट पर कौआ भी आकर कह दे कि जमीन मैंने जोती-बोई है, तो उसका नाम लिखने को हम मजबूर हैं।...यही कानून है। यह मत समझो कि बौंडोरी बाँध रहा हूँ।”

जिले-भर के किसानों और भूमिहीनों में महाभारत मचा हुआ है। सिर्फ भूमिहीन नहीं, डेढ़ सौ बीघे के मालिकों ने भी दूसरे बड़े किसानों की जमीन पर दावे किए हैं!...हजार बीघेवाला भी एक इंच जमीन छोड़ने को राजी नहीं।

दुखरन साह के कुल में कोई रोनेवाला नहीं। अस्सी वर्ष की उम्र है। छोटी दुकान है और पचास बीघे जमीन। उसने सोचा-भूदान में दो बीघे जमीन दान देने से अड़तालीस बीघे तो बच जाएँगे। जब हर चप्पे पर तनाजा पड़ने लगा तो पागल हो गया, दुखरन साह बेचारा बूढ़ा, सीधे विनोबाजी के पास रवाना हुआक्या बाबा! तरत दान देकर तो मेरा महाकल्यान हो गया! लौटा दीजिए मेरी जमीन-मेरा दान-पत्तर!... ले लो अपनी कंठी-माला!

छै महीने में ही गाँव का बच्चा-बच्चा पक्की गवाही देना सीख गया!

छै महीने में ही गाँव एकदम बदल गया है। बाप-बेटे में, भाई-भाई में अपने हक को लेकर ऐसी लड़ाई कभी नहीं हुई। अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगीं।

सरबन बाबू की ही बात लीजिए...। सरबन बाबू इलाके के नामी-गरामी आदमी हैं। गाँव में अब भी काफी प्रतिष्ठा है। जवार-भर की पंचायतों में जाते हैं। हाल ही में काशीजी से शिवलिंग मँगवाकर स्थापना करवाई है। उनके छोटे भाई लालचन बाबू को किसी ने बताया कि सभी पर्चों पर सरबन बाबू अपने लड़कों के नाम या स्त्री का नाम चढ़वा रहे हैं। लालचन बाबू का नाम कहीं भी नहीं-एक प्लॉट पर भी नहीं। जिन पर्यों पर सरबन बाबू का नाम चढ़ा है, लालचन बाबू का नामोनिशान नहीं। सरबन बाबू के नाम के साथ वगैरा भी नहीं है, जो लालचन बाबू कभी दावा भी कर सकें।

लालचन बाबू पढ़े-लिखे नहीं हैं तो क्या हुआ? इतनी-सी बात उनको समझ में नहीं आएगी? उनके वकील साहब ने फीस लेकर सलाह दी है, मुफ्त में नहीं। आपको आगे बढ़ने-यानी कानून-कचहरी करने की कोई जरूरत नहीं; बड़े भाई को ही पहले आगे बढ़ाइए!

लालचन बाबू ने दूसरे ही दिन मार लाठी से सिर फोड़कर, सरबन बाबू को यानी अपने बड़े भाई साहब को आगे बढ़ा दिया है।

धन्य हैं सरबन बाब! भरी कचहरी में हल्फ लेकर कह दिया-"लालचन मेरा कोई नहीं।...इसके बाप का ठिकाना नहीं। मेरे बाबूजी के मरने के तीन बरस बाद..."

टेरिबल!-हाकिम ने अचरज से मुँह फाड़ते हुए कहा था-टेरिबल! बड़े-बड़े इज्जतदारों की हवेली में बन्द, चूँघटों में छिपी बेवा औरतें पर्दे को चीरकर आगे बढ़ आई हैं; अपने नाबालिग वंशधरों की उँगलियाँ पकड़े खड़ी हैं-“हुजूर! देखा जाए!... ज़रा इंसाफ किया जाए हजूर! इसका बाप कमाते-कमाते मर गया। कोल्ह के बैल की तरह सारी जिन्दगी खटते-खटते बीती। और खाते में कहीं भी उसके लड़के का नाम नहीं? नाम दरज कर लिया जाए हजूर!"

कॉलेजों में पढ़नेवाले विदयार्थी परीक्षा की तैयारी छोड़कर दौड़े आए हैं।...छोटे को प्राणों से भी बढ़कर प्यार करते हैं बाबूजी। छोटे के नाम से सारी उपजाऊ जमीनें लिखवा दे सकते हैं!...कोई भरोसा नहीं किसी का। खटा-खट, खटा-खट-खट-खट!-गाँव की अली-गली, अगवार-पिछवाड़ की ओर निकलनेवाली पगडंडियाँ बन्द की जा रही हैं। डर है नक्शा बन जाने का। खेत के बीचोबीच पगडंडी यदि दर्ज हो गई नक्शे में, तो हो चकी खेती!

तीन साल से चल रही है आँधी।

उधर, दीवानी कचहरियों में-बेदखली, फसल-जब्ती, टाइटल-सूट का बाजार गर्म है। ठलवे वकीलों को भी दस रुपए रोज की आमदनी होने लगी है।

अमीन साहब कहते हैं-“असल चीज है बाउंड्री। अभी जिसका नाम दर्ज हो गया, समझो, पत्थर पर रेखा पड़ गई।" इसीलिए जमीन के मालिक, बॅटैयादार, सभी उन्हें हमेशा घेरे रहते हैं। न जाने कब कोई आए और तनाजा दे दे जमीन पर। तनाजा सर्वे का सबसे ज्यादा धारवाला शब्द है। तनाजे का फैसला कानूनगो साहब करते हैं। इनको अमीन से ज्यादा पावर है। सभी अमीन और सुपरवाइजर इनके अंडर में रहते हैं।...दिन-रात कचहरी लगी रहती है कानूनगो साहब की। कानूनगो के चपरासीजी को इलाके के बड़े-बड़े जमीनवाले हाथ उठाकर जयहिन्द करते हैं-“जयहिन्द चपरासीजी!...कहिए, कानूनगो साहब को चावल पसन्द आया? असली बासमती चावल है, अपने खर्च के चावल से निकालकर भेजा था।...जी, जी, जी हाँ!...घी आज आ जाएगा।"

कचहरी लगी रहती है देश-सेवकों की, समाज-सेवकों की। कांग्रेसी, समाजवादी, कम्युनिस्ट, सभी पार्टीवालों ने अपने बाहरी वर्कर मँगाए हैं। गाँव के वर्करों की बात उनके अपने ही परिवार के अन्य सदस्य नहीं मानते। बहुत से वर्करों का ट्रायल हआ है, होनेवाला है। सेवकों की सेवाओं की परख हो रही है। सभी पार्टी के कार्यकर्ता सतर्क हैं, सचेष्ट हैं, बँटाईदारी करनेवालों के नाम पर्चा दिलवाने का व्यापार बड़ा टेढ़ा है।

किन्तु लत्तो की बात निराली है! शासक-पार्टी का कार्यकर्ता है-थाना कमिटी के सभापति के प्रियजनों में से एक।...थाना कमिटी के सभापतिजी जाहिल हैं। उनका विश्वास है कि पढ़े-लिखे लोग काम कम, बात ज्यादा करते हैं। इसलिए थाने-भर की ग्राम कमिटियाँ एक-से-एक जाहिलों के जिम्मे लगाई गई हैं। फिर, लत्तो ने अपने एक-एक लीडर को खुश किया। वर्कर के ही बल पर लीडर, लीडर के बल पर मिनिस्टर!...बड़े लोगों की सेवा कभी निष्फल नहीं जाती।...सर्वे के समय लत्तो की कीमत और बढ़ गई है। सभी धीरे-धीरे जान गए हैं, सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट पार्टीवाले जिनकी मदद करेंगे, उन्हें जमीन हरगिज नहीं मिल सकती, ब्रह्मा-विष्णु-महेश उठकर आएँ, तब भी नहीं।...इसमें बहत बड़ा रहस्य है, जिसे सिर्फ लत्तो ही जानता है।

ब्राह्मण-छतरी उसकी चरण-पूजा कर जाते हैं। बी.ए., एम.ए. को तो लुतो बाबू गाय-बैल समझता है-गोशाला का।

15
रचनाएँ
परती परिकथा
0.0
परती परिकथा फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित हिंदी उपन्यास है। मैला आँचल के बाद यह रेणु का दूसरा आंचलिक उपन्यास था। इसमें परानपुर गाँव का अंचल ही नायक है । समाज गाँवों में बिखरा हुआ है और प्रत्येक गाँव की अपनी खास पहचान है। 'परती-परिकथा'उसका प्रमाण है। इस उपन्यास में देहातों की वास्तविकता का चित्रण हुआ है। व्यक्ति की नहीं, व्यक्तियों के सामूहिक व्यक्तित्व के प्रतीक अंचल पूर्णियाँ'परानपुर' गाँव को नायकत्व मिला है, जिसके कारण यह उपन्यास एक कथासागर-सा बन गया है।
1

परती परिकथा भाग 1

18 जुलाई 2022
3
0
0

धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, परती जमीन, वन्ध्या धरती...। धरती नहीं, धरती की लाश, जिस पर कफ की तरह फैली हुई हैं बलूचरों की पंक्तियाँ। उत्तर नेपाल से शुरू होकर, दक्षिण गंगातट तक, पूर्णिम

2

भाग 2

18 जुलाई 2022
0
0
0

कोसी मैया की कथा ? जै कोसका महारानी की जै ! परिव्याप्त परती की ओर सजल दृष्टि से देखकर वह मन-ही-मन अपने गुरु को सुमरेगा, फिर कान पर हाथ रखकर शुरू करेगा मंगलाचरण जिसे वह बिन्दौनी कहता है : हे-ए-ए-ए, पू

3

भाग 3

18 जुलाई 2022
0
0
0

किन्तु, पंडुकी का जितू आज भी सोया अधूरी कहानी का सपना देख रहा है। वन्ध्या रानी माँ का सारा सुख-ऐश्वर्य छिपा हुआ है सोने के एक कलम में, बिजूबन-बिजूखंड के राक्षस के पास। देवी का खाँड़ा कौन उठाए? पंखराज

4

भाग 4

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर गाँव के पूरब-उत्तर-कछुआ-पीठा भूमि पर खड़ा होकर एक नौजवान देख रहा है-अपने कैमरे की कीमती आँख से-धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, बालूचरों की श्रृंखला। हिमालय की चोटी पर डूबते हुए सूरज

5

भाग 5

18 जुलाई 2022
0
0
0

बैलगाड़ी पर जा रहे हैं सुरपतिराय। दरभंगा जिले से आए हैं। डॉक्टरेट की तैयारी कर रहे हैं। नदियों के घाटों के नाम, नाम के साथ जुड़ी हुई कहानी नोट करते हैं, गीत सुनते हैं और थीसिस लिखते हैं। रानीड़बी घाट

6

भाग 6

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर बहुत पुराना गाँव है।...1880 साल में मि. बुकानन ने अपनी पूर्णिया रिपोर्ट में इस गाँव के बारे में लिखा है-परातन ग्राम परानपर। इस इलाके के लोग परानपुर को सारे अंचल का प्राण कहते हैं। अक्षरश: सत्य

7

भाग 7

18 जुलाई 2022
0
0
0

जित्तू अधुरी कहानी के सपने देखता सोया पड़ा है। वह कैसे जगेगा? वह नहीं जगेगा तो देवी मन्दिर का खाँड़ा कौन उठाएगा...? एक-एक आदमी पापमुक्त कब तक होगा? उठ जित्तू! तुर-तुत्तु-उ-तू-ऊ-तू-ऊ! ग्राम परानपुर, थ

8

भाग 8

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर गाँव के पच्छिमी छोर पर परानपुर इस्टेट की हवेली है। पोखरे के दक्खिनवाले महार पर नारियल, सुपारी, साबूदाना तथा यूक्लिप्टस के पेड़ों में बया के सैकड़ों घोंसले लटक रहे हैं। महार से दस रस्सी दर हैं

9

भाग 9

18 जुलाई 2022
0
0
0

लैंड सर्वे सेटलमेंट! जमीन की फिर से पैमाइश हो रही है, साठ-सत्तर साल बाद। भूमि पर अधिकार! बँटैयादारों, आधीदारों का जमीन पर सर्वाधिकार हो सकता है, यदि वह साबित कर दे कि जमीन उसी ने जोती-बोई है। चार आद

10

भाग 10

18 जुलाई 2022
0
0
0

बौंडोरी! बौंडोरी!... सर्वे का काम शुरू हो गया है। अमीनों की फौज उतरी है!... बौंडोरी, बौंडोरी! बौंडोरी अर्थात् बाउंड्री। सर्वे की पहली मंजिल। अमीनों के साथ ही गाँव में नए शब्द आए हैं-सर्वे से सम्बन्ध

11

भाग 11

18 जुलाई 2022
0
0
0

...खेत-खलिहान, घाट-बाट, बाग-बगीचे, पोखर-महार पर खनखनाती जरीब की कड़ी घसीटी जा रही है-खन-खन-खन! नया नक्शा बन रहा है। नया खाता, नया पर्चा और जमीन के नए मालिक। तनाजा के बाद तसदीका तसदीक करने के लिए का

12

भाग 12

18 जुलाई 2022
0
0
0

सर्वे सेटलमेंट के हाकिम साहब परेशान हैं। परानपुर इस्टेट की कोई भी जमा ऐसी नहीं जो बेदाग़ हो। सभी जमा को लेकर एकाधिक खूनी मुकदमे हुए हैं; आदमी मरे हैं, मारे गए हैं।...ऐसे मामलों में बगैर जिला सर्वे ऑफि

13

भाग 13

18 जुलाई 2022
0
0
0

दुलारीदायवाली जमा में मुसलमानटोली के मीर समसुद्दीन ने तनाजा दिया है। ढाई सौ एकड़ प्रसिद्ध उपजाऊ जमीन एक चकबन्दी और पाँच कुंडों में तीन पर पन्द्रह साल से आधीदारी करने का दावा किया है उसने। समसुद्दीन म

14

भाग 14

18 जुलाई 2022
0
0
0

दस्तावेज से प्रभावित होकर हाकिम टिफिन के लिए उठ गए हैं। इतनी देर में लत्तो ने अपनी बदधि लड़ाकर बहत-सी कटहा बातें तैयार कर ली हैं। हाकिम के आते ही लुत्तो ने कहा- हुजूर! भारी जालिया खानदान है मिसर खानदा

15

भाग 15

18 जुलाई 2022
0
0
0

लुत्तो को मरमचोट लगी है। मर्मस्थल में चोट लगती है उसके, जब कोई उसे खवास कह बैठता है। अपने पुरखे-पीढ़ी के पुराने लोगों पर गुस्सा होता है। दुनिया में इतने नाम रहते जाति का नाम खवास रखने की क्या जरूरत थी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए