लैंड सर्वे सेटलमेंट!
जमीन की फिर से पैमाइश हो रही है, साठ-सत्तर साल बाद। भूमि पर अधिकार! बँटैयादारों, आधीदारों का जमीन पर सर्वाधिकार हो सकता है, यदि वह साबित कर दे कि जमीन उसी ने जोती-बोई है।
चार आदमी-खेत के चारों ओर के गवाह, जिसे अरिया गवाह कहते हैंगवाही दे दें, बस हो गया। कागजी सबूत ही असल सबूत नहीं!
बिहार टेनेंसी एक्ट की दफा 40 के मुताबिक लगातार तीन साल तक जमीन आबाद करनेवालों को मौरूसी हक हासिल हो जाता था, किन्तु कचहरी की करामात और कानूनी दाँव-पेंच से अनभिज्ञ किसानों की इसमें कोई भलाई नहीं हई। जमींदारी प्रथा खत्म करने के बाद राज्य सरकार ने अनुभव कियापूर्णिया जिले में एक क्रान्तिकारी कदम उठाने की आवश्यकता है।...हिन्दुस्तान में, सम्भवत: सबसे पहले पूर्णिया जिले पर ही लैंड सर्वे ऑपरेशन का प्रयोग किया गया। जिले के जमींदारों और राजाओं की जमींदारियों का विनाश अवश्य हुआ। किन्तु, हिन्दुस्तान के सबसे बड़े किसान यहीं निवास करते हैं।..गुरुबंशी बाबू जमींदार नहीं, किसान हैं। दस हजार बीघे जमीन है, दो-दो हवाई जहाज रखते हैं। दूसरे हैं भोला बाबू। पन्द्रह हजार बीघे जमीन है, डेढ़ दर्जन ट्रेक्टर रखते हैं। पर यह बात भी सच्ची है कि वे जमींदार नहीं। किसान-सभा की सदस्यता से किस आधार पर वंचित करेंगे उन्हें? यहाँ पाँच सौ बीघेवाले किसान तृतीय श्रेणी के किसान समझे जाते हैं और हर गाँव पर इन्हीं किसानों का राज है। भमिहीनों की विशाल जमात! जगती हई चेतना!...जमींदारी उन्मूलन के बाद भी हर साल फसल कटने के समय एकडेढ़ सौ लड़ाई-दंगे और चालीस-पचास कत्ल होते रहे तो फिर से जमीन की बन्दोबस्ती की व्यवस्था की गई।...सारे जिले में गत तीन वर्षों से विशाल आँधी चल रही है।