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भाग 14

18 जुलाई 2022

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दस्तावेज से प्रभावित होकर हाकिम टिफिन के लिए उठ गए हैं। इतनी देर में लत्तो ने अपनी बदधि लड़ाकर बहत-सी कटहा बातें तैयार कर ली हैं। हाकिम के आते ही लुत्तो ने कहा- हुजूर! भारी जालिया खानदान है मिसर खानदान! कौन नहीं जानता, एक जमाने में ऐसे-ऐसे दस्तावेज मिसर के घर में रोज बनते थे। हुजूर, इस खानदान का तो गाना भी छापी होकर बिक चुका है, एक जमाने में!"

हाकिम मुस्कराने लगे। तब लुत्तो का कलेजा डेढ़ हाथ का हो गया। कचहरी-घर में जमी भीड़ की ओर देखकर कहा लुत्तो ने-“भाई, कोई बूढ़ा पुराना नहीं है? याद है किसी को वह गीत?"

भीड़ में एक हल्की मस्कराहट फैली-“बालिस्टर का भी कान काट लीहिस लुत्तो! क्यों?" एक बूढ़ा गाने को तैयार है, बशर्ते कि...।

हाकिम ने कहा-“गीत-भजन छोड़िए। कागजी सबूत दिखलाइए।"

इस बात पर लुत्तो अड़ गया...। हाकिम को मालूम होना चाहिए कि लुत्तो भी कोई पोजीशन रखता है कांग्रेस में...जितेन्द्र बाबू के एक कागज के बक्से को एक घंटे तक निहारा है हाकिम ने! लुत्तो जनता का लीडर है। लत्तो की ओर से पेश होनेवाले गीत की एक कड़ी सुननी ही होगी हाकिम को। क्योंकि इसी गीत से साबित होगा कि मिसर खानदान कितना भारी जालिया खानदान है। जब जालिया खानदान एक बार साबित हो चुका है तो फिर सब कागज जाली!...शुरू करो जी भूलोटन मड़र!

“अरे, लोटवा जे जाल करि मोहर भैजउलs हो सिवेन्दर मिसिर...।" हाकिम ने अपनी मस्कराहट को समेटने की चेष्टा की। क्या किया जाए? जिला-सर्वे-ऑफिसर ने चेतावनी दी है, वे चुपचाप गीत सुन रहे हैं।

लोटवा जे जाल करि मोहर भँजउलs हो सिवेन्दर मिसिर।

पड़ल मेमनियाँ के फेर हो सिवेन्दर मिसिर।

गोरकी मेमनियाँ जे बड़ी रे जोगनियाँ हो सिवेन्दर मिसिर।

हँसी-हँसी लेलक सब टेर हो सिवेन्दर मिसर!

वाह! लुत्तो ने तो हसन इमाम बालिस्टर को भी मात कर दिया। हसन इमाम ने कचहरी में गीत पेश करवाया था कभी? नहीं, तब? लुत्तो ने गीत पेश किया है, साक्षी-पक्ष की ओर से!

“वाह! वाह! खवास के खानदान में अलबत्त निकला लुत्तो बालिस्टर!" रामपखारन सिंघ के गले की आवाज खनखनाई-“वाह! वाह!" लोगों ने उलटकर रामपखारन सिंघ की ओर इस तरह देखना शरू किया मानो गंगास्नान करके पवित्र हुए पुण्यार्थियों के बीच कोई कसाई घुस आया हो।

“देख रहे हैं न हुजूर, किस तरह हुजूर के सामने भी आँख लाल करके कूट बोली बोलता है?"

हाकिम ने कहा-“वह तो आपकी तारीफ कर रहा है।"

"खवास का बेटा जो कहा!"

"लेकिन आपके बाप के नाम के साथ खवास सिरनाम लरेना खवास।"

“ऐं! खवास लिखा हुआ है?" सब बालिस्टरी सटक गई लुत्तो की! आज तक उसने इस ओर ध्यान नहीं दिया था।

"हजूर! सब कारसाजी पहले के जमींदारी अमला लोगों की है। जो मन में आया लिख दिया। मेरे बाप का नाम नारायणराय है।"

“आखिर खवास से आप चिढ़ते क्यों हैं?"

“हुजूर, खवास का माने हुआ जो जूठा बर्तन माँजता हो, उगलदान उठाता हो, चिलम सुलगाता हो”-मुशी जलधारी ने दाद खुजलाते हुए कहा-“तेलमालिश से लेकर कपड़ा-धुलाई और भंग-पिसाई...।"

लुत्तो इससे आगे नहीं सुन सकता। बोला-“हुजूर, जाति की बात लेकर बात बढ़ी तो बात बिगड़ जाएगी। समझा दीजिए मुंशी जलधारीलाल को।...कायस्थों के बारे में मैं भी बहुत कटहा बात कह सकता हूँ।"

खवास टोली के एक अधेड़ आदमी ने तैश में आकर कहा-“हुजू-उ-उ-र! मुंसीजी को समझाय दीजिए। जात लेकर बात करेंगे मुंसीजी तो...."

हाकिम ने इस झंझटवाली नत्थी में फिर दूसरी तारीख देते हुए कहा-“अगली तारीख को कागजी सबूत लेकर आइए समसुद्दीन मियाँ। मुंशीजी, सुन लीजिए। जितेन्द्रनाथ से कहिए, तारीख के दिन हाजिर होकर जो कुछ कहना हो कहें।...चपरासी, पुकारो-अनूपलाल दावेदार, रंगलाल जमींदार।"

“कहाँ अनुपलाल...!"

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रचनाएँ
परती परिकथा
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परती परिकथा फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित हिंदी उपन्यास है। मैला आँचल के बाद यह रेणु का दूसरा आंचलिक उपन्यास था। इसमें परानपुर गाँव का अंचल ही नायक है । समाज गाँवों में बिखरा हुआ है और प्रत्येक गाँव की अपनी खास पहचान है। 'परती-परिकथा'उसका प्रमाण है। इस उपन्यास में देहातों की वास्तविकता का चित्रण हुआ है। व्यक्ति की नहीं, व्यक्तियों के सामूहिक व्यक्तित्व के प्रतीक अंचल पूर्णियाँ'परानपुर' गाँव को नायकत्व मिला है, जिसके कारण यह उपन्यास एक कथासागर-सा बन गया है।
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परती परिकथा भाग 1

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धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, परती जमीन, वन्ध्या धरती...। धरती नहीं, धरती की लाश, जिस पर कफ की तरह फैली हुई हैं बलूचरों की पंक्तियाँ। उत्तर नेपाल से शुरू होकर, दक्षिण गंगातट तक, पूर्णिम

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भाग 2

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कोसी मैया की कथा ? जै कोसका महारानी की जै ! परिव्याप्त परती की ओर सजल दृष्टि से देखकर वह मन-ही-मन अपने गुरु को सुमरेगा, फिर कान पर हाथ रखकर शुरू करेगा मंगलाचरण जिसे वह बिन्दौनी कहता है : हे-ए-ए-ए, पू

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भाग 3

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किन्तु, पंडुकी का जितू आज भी सोया अधूरी कहानी का सपना देख रहा है। वन्ध्या रानी माँ का सारा सुख-ऐश्वर्य छिपा हुआ है सोने के एक कलम में, बिजूबन-बिजूखंड के राक्षस के पास। देवी का खाँड़ा कौन उठाए? पंखराज

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भाग 4

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परानपुर गाँव के पूरब-उत्तर-कछुआ-पीठा भूमि पर खड़ा होकर एक नौजवान देख रहा है-अपने कैमरे की कीमती आँख से-धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, बालूचरों की श्रृंखला। हिमालय की चोटी पर डूबते हुए सूरज

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भाग 5

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बैलगाड़ी पर जा रहे हैं सुरपतिराय। दरभंगा जिले से आए हैं। डॉक्टरेट की तैयारी कर रहे हैं। नदियों के घाटों के नाम, नाम के साथ जुड़ी हुई कहानी नोट करते हैं, गीत सुनते हैं और थीसिस लिखते हैं। रानीड़बी घाट

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भाग 6

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परानपुर बहुत पुराना गाँव है।...1880 साल में मि. बुकानन ने अपनी पूर्णिया रिपोर्ट में इस गाँव के बारे में लिखा है-परातन ग्राम परानपर। इस इलाके के लोग परानपुर को सारे अंचल का प्राण कहते हैं। अक्षरश: सत्य

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भाग 7

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जित्तू अधुरी कहानी के सपने देखता सोया पड़ा है। वह कैसे जगेगा? वह नहीं जगेगा तो देवी मन्दिर का खाँड़ा कौन उठाएगा...? एक-एक आदमी पापमुक्त कब तक होगा? उठ जित्तू! तुर-तुत्तु-उ-तू-ऊ-तू-ऊ! ग्राम परानपुर, थ

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भाग 8

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परानपुर गाँव के पच्छिमी छोर पर परानपुर इस्टेट की हवेली है। पोखरे के दक्खिनवाले महार पर नारियल, सुपारी, साबूदाना तथा यूक्लिप्टस के पेड़ों में बया के सैकड़ों घोंसले लटक रहे हैं। महार से दस रस्सी दर हैं

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भाग 9

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लैंड सर्वे सेटलमेंट! जमीन की फिर से पैमाइश हो रही है, साठ-सत्तर साल बाद। भूमि पर अधिकार! बँटैयादारों, आधीदारों का जमीन पर सर्वाधिकार हो सकता है, यदि वह साबित कर दे कि जमीन उसी ने जोती-बोई है। चार आद

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भाग 10

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बौंडोरी! बौंडोरी!... सर्वे का काम शुरू हो गया है। अमीनों की फौज उतरी है!... बौंडोरी, बौंडोरी! बौंडोरी अर्थात् बाउंड्री। सर्वे की पहली मंजिल। अमीनों के साथ ही गाँव में नए शब्द आए हैं-सर्वे से सम्बन्ध

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भाग 11

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...खेत-खलिहान, घाट-बाट, बाग-बगीचे, पोखर-महार पर खनखनाती जरीब की कड़ी घसीटी जा रही है-खन-खन-खन! नया नक्शा बन रहा है। नया खाता, नया पर्चा और जमीन के नए मालिक। तनाजा के बाद तसदीका तसदीक करने के लिए का

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भाग 12

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सर्वे सेटलमेंट के हाकिम साहब परेशान हैं। परानपुर इस्टेट की कोई भी जमा ऐसी नहीं जो बेदाग़ हो। सभी जमा को लेकर एकाधिक खूनी मुकदमे हुए हैं; आदमी मरे हैं, मारे गए हैं।...ऐसे मामलों में बगैर जिला सर्वे ऑफि

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भाग 13

18 जुलाई 2022
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दुलारीदायवाली जमा में मुसलमानटोली के मीर समसुद्दीन ने तनाजा दिया है। ढाई सौ एकड़ प्रसिद्ध उपजाऊ जमीन एक चकबन्दी और पाँच कुंडों में तीन पर पन्द्रह साल से आधीदारी करने का दावा किया है उसने। समसुद्दीन म

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भाग 14

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भाग 15

18 जुलाई 2022
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लुत्तो को मरमचोट लगी है। मर्मस्थल में चोट लगती है उसके, जब कोई उसे खवास कह बैठता है। अपने पुरखे-पीढ़ी के पुराने लोगों पर गुस्सा होता है। दुनिया में इतने नाम रहते जाति का नाम खवास रखने की क्या जरूरत थी

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