shabd-logo

भाग 4

18 जुलाई 2022

17 बार देखा गया 17

परानपुर गाँव के पूरब-उत्तर-कछुआ-पीठा भूमि पर खड़ा होकर एक नौजवान देख रहा है-अपने कैमरे की कीमती आँख से-धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, बालूचरों की श्रृंखला। हिमालय की चोटी पर डूबते हुए सूरज की रोशनी चमकती है।

अर्धवृत्ताकार होकर चली गई है ईस्टर्न रेलवे की एक ब्रांच लाइन। लाइन के किनारे के खम्भों की पंक्तियों के तारों पर बैठी हुई पंक्तिबद्ध किस्म-किस्म की चिड़ियों के मुँह लाइन की ओर!...ठीक गाड़ी आने के समय, सिगनल के गिरते ही, परती पर चरती हुई चिड़ियों में एक हल्की चुनमुनाहट होती है और वे टेलीग्राफ के तारों पर जा बैठती हैं; चुपचाप बैठी नहीं रहतीं, अपनी बोली में कचर-पचर बोलती ही रहती हैं। युवक कैमरामैन श्री भवेशनाथ एम.ए. की परीक्षा देकर आया है-परती के विभिन्न रूपों का अध्ययन करने। कैमरे का व्यू-फाइंडर उसकी अपनी आँख है, असली आँख है। वह मन-ही-मन सोचता है...तीस साल! बस, तीस साल और! इसके बाद तो सारी धरती इन्द्रधनुषी हो जाएगी। तब तक रंगीन फोटोग्राफी का विकास भी हो जाएगा।...झक-झकाझक-झका...! मालगाड़ी जा रही है। रोज तीन मालगाड़ियाँ!

गाड़ी परानपुर स्टेशन पर कुछ देर रुककर खुल जाती है।...आश्चर्य! गाड़ी जाते ही चिड़ियों की टोलियाँ फुर्र हो गईं। मानो किसी की प्रतीक्षा में वे सामूहिक रूप से पंक्तिबद्ध होकर रोज बैठती हैं...निराश भी नहीं होतीं कभी।

भवेशनाथ को वराहक्षेत्र की याद आती है। पिछले आठ-नौ साल से वह वराहक्षेत्र जाता है। पुरातन तीर्थ तो है ही-भवेश का वह नया तीर्थ है। वहाँ आदमी लड़ रहा है!...बड़े-बड़े टनल के अन्दर काम होते उसने देखा है; पहाड़ काटनेवाले कितने पहाड़ी जवानों के क्लोज़-अप उसके पास हैं। अरुण, तिमुर तथा सुणकोशी के संगम पर बैठकर पानी मापनेवाले, सिल्ट की परीक्षा करनेवाले विशेषज्ञों को वह भूल नहीं पाता है। पहाड़ों की कन्दराओं में तपस्या में लीन देवगण!...प्राणों में घुले हए रंग धरती पर फैलते क्यों नहीं? वह रंगीन फोटोग्राफी में दक्ष है।

भवेश ने देखा है, धरती पर रंग फैलते हैं।...दस साल पहले, एक शुभचिन्तक व्यक्ति की कृपा से, रोटरी क्लब में, उसने एक छायाचित्र देखा था-टैनिसी वैली स्कीम का आयोजन! बीसवीं सदी के अर्थनैतिक जगत् के महान् महाजन मुल्क के अन्तर्गत टैनिसी अंचल के किसानों की अवस्था देखकर वह अवाक् हो गया था। हिन्दुस्तान के अभागे किसानों से किसी भी माने में कम नहीं। इसी तरह पुराने हल से खेती करते थे, टूटे-फूटे झोंपड़ों में रहते थे। राह-घाट-बाट ठीक इसी तरह।...इसके बाद दिखलाया गया टैनिसी योजना का सूत्रपातय इस सम्बन्ध में जनमत-ग्रहण!...योजना के पक्ष में राय लेने, इसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में स्पष्ट धारणा पैदा करने का आयोजन!...और छायाचित्र के अन्त में स्कीम के कामयाब होने के बाद, उस उजाड़, बंजर और बेकार अंचल में युगान्तरकारी परिवर्तन। दिन फिरे हैं किसानों के, खेतों में ट्रेक्टर चल रहे हैं, नई-नई मशीनों के द्वारा फसल काटी जा रही है। हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी की सहायता से बड़े-बड़े कल-कारखाने खुल गए। सब मिलाकर एक स्वप्नलोक की सष्टि साकार...।

आसमान में पंचमी का चाँद हँसता है और परती पर भवेश की हल्की छाया डोलती है!

15
रचनाएँ
परती परिकथा
0.0
परती परिकथा फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित हिंदी उपन्यास है। मैला आँचल के बाद यह रेणु का दूसरा आंचलिक उपन्यास था। इसमें परानपुर गाँव का अंचल ही नायक है । समाज गाँवों में बिखरा हुआ है और प्रत्येक गाँव की अपनी खास पहचान है। 'परती-परिकथा'उसका प्रमाण है। इस उपन्यास में देहातों की वास्तविकता का चित्रण हुआ है। व्यक्ति की नहीं, व्यक्तियों के सामूहिक व्यक्तित्व के प्रतीक अंचल पूर्णियाँ'परानपुर' गाँव को नायकत्व मिला है, जिसके कारण यह उपन्यास एक कथासागर-सा बन गया है।
1

परती परिकथा भाग 1

18 जुलाई 2022
3
0
0

धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, परती जमीन, वन्ध्या धरती...। धरती नहीं, धरती की लाश, जिस पर कफ की तरह फैली हुई हैं बलूचरों की पंक्तियाँ। उत्तर नेपाल से शुरू होकर, दक्षिण गंगातट तक, पूर्णिम

2

भाग 2

18 जुलाई 2022
0
0
0

कोसी मैया की कथा ? जै कोसका महारानी की जै ! परिव्याप्त परती की ओर सजल दृष्टि से देखकर वह मन-ही-मन अपने गुरु को सुमरेगा, फिर कान पर हाथ रखकर शुरू करेगा मंगलाचरण जिसे वह बिन्दौनी कहता है : हे-ए-ए-ए, पू

3

भाग 3

18 जुलाई 2022
0
0
0

किन्तु, पंडुकी का जितू आज भी सोया अधूरी कहानी का सपना देख रहा है। वन्ध्या रानी माँ का सारा सुख-ऐश्वर्य छिपा हुआ है सोने के एक कलम में, बिजूबन-बिजूखंड के राक्षस के पास। देवी का खाँड़ा कौन उठाए? पंखराज

4

भाग 4

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर गाँव के पूरब-उत्तर-कछुआ-पीठा भूमि पर खड़ा होकर एक नौजवान देख रहा है-अपने कैमरे की कीमती आँख से-धूसर, वीरान, अन्तहीन प्रान्तर। पतिता भूमि, बालूचरों की श्रृंखला। हिमालय की चोटी पर डूबते हुए सूरज

5

भाग 5

18 जुलाई 2022
0
0
0

बैलगाड़ी पर जा रहे हैं सुरपतिराय। दरभंगा जिले से आए हैं। डॉक्टरेट की तैयारी कर रहे हैं। नदियों के घाटों के नाम, नाम के साथ जुड़ी हुई कहानी नोट करते हैं, गीत सुनते हैं और थीसिस लिखते हैं। रानीड़बी घाट

6

भाग 6

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर बहुत पुराना गाँव है।...1880 साल में मि. बुकानन ने अपनी पूर्णिया रिपोर्ट में इस गाँव के बारे में लिखा है-परातन ग्राम परानपर। इस इलाके के लोग परानपुर को सारे अंचल का प्राण कहते हैं। अक्षरश: सत्य

7

भाग 7

18 जुलाई 2022
0
0
0

जित्तू अधुरी कहानी के सपने देखता सोया पड़ा है। वह कैसे जगेगा? वह नहीं जगेगा तो देवी मन्दिर का खाँड़ा कौन उठाएगा...? एक-एक आदमी पापमुक्त कब तक होगा? उठ जित्तू! तुर-तुत्तु-उ-तू-ऊ-तू-ऊ! ग्राम परानपुर, थ

8

भाग 8

18 जुलाई 2022
0
0
0

परानपुर गाँव के पच्छिमी छोर पर परानपुर इस्टेट की हवेली है। पोखरे के दक्खिनवाले महार पर नारियल, सुपारी, साबूदाना तथा यूक्लिप्टस के पेड़ों में बया के सैकड़ों घोंसले लटक रहे हैं। महार से दस रस्सी दर हैं

9

भाग 9

18 जुलाई 2022
0
0
0

लैंड सर्वे सेटलमेंट! जमीन की फिर से पैमाइश हो रही है, साठ-सत्तर साल बाद। भूमि पर अधिकार! बँटैयादारों, आधीदारों का जमीन पर सर्वाधिकार हो सकता है, यदि वह साबित कर दे कि जमीन उसी ने जोती-बोई है। चार आद

10

भाग 10

18 जुलाई 2022
0
0
0

बौंडोरी! बौंडोरी!... सर्वे का काम शुरू हो गया है। अमीनों की फौज उतरी है!... बौंडोरी, बौंडोरी! बौंडोरी अर्थात् बाउंड्री। सर्वे की पहली मंजिल। अमीनों के साथ ही गाँव में नए शब्द आए हैं-सर्वे से सम्बन्ध

11

भाग 11

18 जुलाई 2022
0
0
0

...खेत-खलिहान, घाट-बाट, बाग-बगीचे, पोखर-महार पर खनखनाती जरीब की कड़ी घसीटी जा रही है-खन-खन-खन! नया नक्शा बन रहा है। नया खाता, नया पर्चा और जमीन के नए मालिक। तनाजा के बाद तसदीका तसदीक करने के लिए का

12

भाग 12

18 जुलाई 2022
0
0
0

सर्वे सेटलमेंट के हाकिम साहब परेशान हैं। परानपुर इस्टेट की कोई भी जमा ऐसी नहीं जो बेदाग़ हो। सभी जमा को लेकर एकाधिक खूनी मुकदमे हुए हैं; आदमी मरे हैं, मारे गए हैं।...ऐसे मामलों में बगैर जिला सर्वे ऑफि

13

भाग 13

18 जुलाई 2022
0
0
0

दुलारीदायवाली जमा में मुसलमानटोली के मीर समसुद्दीन ने तनाजा दिया है। ढाई सौ एकड़ प्रसिद्ध उपजाऊ जमीन एक चकबन्दी और पाँच कुंडों में तीन पर पन्द्रह साल से आधीदारी करने का दावा किया है उसने। समसुद्दीन म

14

भाग 14

18 जुलाई 2022
0
0
0

दस्तावेज से प्रभावित होकर हाकिम टिफिन के लिए उठ गए हैं। इतनी देर में लत्तो ने अपनी बदधि लड़ाकर बहत-सी कटहा बातें तैयार कर ली हैं। हाकिम के आते ही लुत्तो ने कहा- हुजूर! भारी जालिया खानदान है मिसर खानदा

15

भाग 15

18 जुलाई 2022
0
0
0

लुत्तो को मरमचोट लगी है। मर्मस्थल में चोट लगती है उसके, जब कोई उसे खवास कह बैठता है। अपने पुरखे-पीढ़ी के पुराने लोगों पर गुस्सा होता है। दुनिया में इतने नाम रहते जाति का नाम खवास रखने की क्या जरूरत थी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए