किन्तु, पंडुकी का जितू आज भी सोया अधूरी कहानी का सपना देख रहा है। वन्ध्या रानी माँ का सारा सुख-ऐश्वर्य छिपा हुआ है सोने के एक कलम में, बिजूबन-बिजूखंड के राक्षस के पास। देवी का खाँड़ा कौन उठाए? पंखराज घोड़े पर सवार होकर कौन जाएगा कलस लाने?
कथा-गायक बूढ़ा भैंसवार सारे युग को बेईमान कह रहा है।...एक-एक आदमी पाप-मुक्त जिस दिन हो जाएगा, सारी परती हरी-भरी हो जाएगी।...प्राणों के नए-नए रंग उभरेंगे!