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भाग (10)

13 सितम्बर 2022

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हेमंत चाचा ने मोड़ पर एक बार मुझे देख लिया और फिर कहा लगता नहीं कि शादी के लिए मेरा दूर रह पाओगे मैंने जरा अच्छा सहमत चाचा किधर देखा कर पूछा क्यों नहीं रह पाऊंगी हेमंत चाचा ने हंसते हुए मुझे और एक बार अच्छी तरह देख लिया और कहा तुम्हारी तरह खूबसूरत लड़की के लिए शादी किए बिना रहना बहुत मुश्किल है | 

 मैं खूबसूरत हूं हेमंत चाचा ने दोनों आंखें बड़ी बड़ी करके मेरी तरफ देख कर कहा क्या तुम को शर्म नहीं हो कभी नहीं नहीं तुम सच में बहुत खूबसूरत हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो आप से बहस करने से कोई फायदा नहीं हां इस संबंध में बहस ना करना ही ठीक है लेकिन खूबसूरत होने पर ही शादी करनी पड़ेगी | 

 ऐसा कोई कारण नहीं कि मैं चाचा ने दुखी मुस्कान के साथ कहा कारण है क्या कारण लड़के तंग करेंगे तो परेशानी हो जाए और जाओगी शर्म के मारे चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और कहा मुझे कोई परेशान नहीं करेगा ठीक है देखा जाएगा | 

कि तुम सही हो या मैं हूं देखिएगा हिम्मत चाचा ने अचानक खड़े होकर कहा क्या कहती हो अब शुरू किया जाए या शुरू किया जाए थोड़ा दिन बहलायो पहला ओ दिल बहला ओ मैंने आज सर सहमत चाचा की तरफ देखा है मत जा जाने का दोनों एक साथ घूमने निकले हैं थोड़ी सी व्हिस्की नहीं पियोगे शराब मैं तो चौक पड़ी | 

हेमंत चाचा ने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को ऊपर उठाकर कहा सारा संसार विस्की  पीता है विस्की पीना कोई बुरी बात नहीं है होश हवास खो देना बुरा है लेकिन शराब पीने पर जो लोग हमें होश हवास खो देते हैं और से शराब से व्हिस्की व्हिस्की पीने पर भी तो वही हाल होता है | 

कोई भी चीज अधिक खाना या पीना ठीक नहीं कोई भी चीज अधिकार लेने या पर तबीयत खराब हो जाती है ना जी हां इसीलिए अधिक विस्की पीना भी बुरा है इसीलिए एक तो आदमी मतवाला हो जाता है फिर सेहत खराब हो जाती है लेकिन नशा क्या कोई हिसाब से कर सकता है सभी शिक्षित और भद्रलोग  कर सकते हैं | 

 मैंने  सर नीचे करके के कहा  उस पर विचार करती रही एक 2 मिनट मैंने मन ही मन सोचा  की लेकिन चाचा जी का तर्क मुझे प्रभावित न कर सका फिर मजा जाने मेरे सिर पर हाथ रखकर पूछा क्या सोच रही हो कविता कुछ नहीं मेरे व्हिस्की पीने के बारे में सोच रही हूं | 

अब मैंने चाचा जी की तरफ देखकर पूछा चाचा जी आप ही व्हिस्की पीते हैं हेमंत चाचा ने सिर्फ हिलाकर कहा रात को खाना खाने से पहले थोड़ी सी लेता हूं रोज लेते हैं हां खाना खाने से पहले क्यों उससे तबीयत ठीक रहती है चाचा जी की बात सुनकर मैं फिर सोचने लगी लेकिन मैंने उससे कुछ नहीं पूछा लेकिन चाचा जी दूसरी छड़ मुझसे पूछा मुझे कभी मतवाला होते देखा है मैं सिर हिलाकर कहा नहीं  | 

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

13 सितम्बर 2022
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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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भाग (2)

13 सितम्बर 2022
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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

13 सितम्बर 2022
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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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भाग (6)

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