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भाग (2)

13 सितम्बर 2022

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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब कुछ बता दूं ठीक है बाद में सुनूंगी |  

मैं तुमसे उम्र में बहुत बड़ी नहीं हूं शायद हम दोनों हम उम्र हैं खैर तुम मुझसे सच में छोटी भाई की तरह प्यार करने करने करती हो मेरा आदर करते हो मैं भी तुम्हें अपना छोटा भाई समझती हूं और उसी तरह तुमसे प्यार करती हूं करने के लिए विश्वास हो जाती हो शुरू शुरू में जरूर थोड़ी सी दुविधा थी ठीक से विश्वास नहीं कर पा रही हूं लेकिन मन पर से बादल छट ने में अधिक समय नहीं लगा उस दिन कह ना सकी लेकिन आज स्वीकार कर रही हूं पहले ही दिन तुम मुझे अच्छे लगे थे तुम्हारी आंखों में किसी तरह की गंदगी नहीं थी तुम्हारी बातचीत और तुम्हारी आचरण में किसी तरह के ऊंचे पन का अभाव नहीं मिला था |  

आज निसंकोच स्वीकार कर रही हूं कि मैं तुमसे प्यार करती हूं इसने करती हूं और तुम हां तुम से प्यार पाकर धन्य हो गई हूं निवार छोड़कर जाते समय एयरपोर्ट में तुम तुमने मुझे प्रणाम किया और एक बच्चे की तरह आंसू बहाए मैंने भी तुम्हारी चड्डी छूकर चुम्मा और तुम्हें छाती से लगाकर आंसू बहाए मुझसे रहा नहीं गया मेरे मन में जो थोड़ी बहुत दुविधा थी और जो अधूरा भाव था वह तुम्हारी आंसुओं से भूल गया आज मैं पूरे संसार के सामने गर्व से कह सकती हूं कि तुम्हें तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी दीदी हूं जरूर तुम्हारी और भी बहुत सी विधियां होंगी लेकिन आज तुम ही मेरे एक बार छोटे भाई हो मित्र हो सजन हो कभी मैं भी बहुतों की दीदी थी इस संसार के और लोगों की तरह मेरे भी इष्ट मित्र विभिन्न स्थानों पर फैन हुए हैं लेकिन मैं धीरे-धीरे बहुत दूर हट आई हूं मैंने स्वेच्छा से ऐसा नहीं किया बल्कि मुझे करना पड़ा है |  

यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया मैं मुझे परिचय होने के बाद जब तुम पहली बार मेरे अपार्टमेंट में आए थे तब हमारी क्या बातचीत हुई थी तुम्हें याद है | 

इतने दिनों बाद शायद तुम्हें उस दिन की बातचीत याद नहीं है लेकिन मुझे है मैं कुछ भी नहीं भूली हूं मेरा घर द्वार देखने के बाद तुमने कहा था दीदी आप मजे में है मजे में हूं मतलब मतलब यही कि भगवान ने मानो 10 हाथों से आपको सब कुछ दिया है हंसते हुए मैंने पूछा ऐसा क्या देख लिया कि यह कह रहे हो भगवान ने आपको क्या नहीं दिया विद्या बुद्धि रुपया बंधन यस और प्रभाव किस बात की कमी है मैंने हंसते हुए ही पूछा था और कुछ नहीं दीदी या हंसने की बात नहीं है |  

 इस संसार में मनुष्य जिस जिस चीज की कामना करता हुआ चीज सभी चीजें आपको मिली है फिर मैंने मानो अपने आप से पूछा भगवान ने मुझे सब कुछ दिया है यही ना जी हां एकदम दिया है मैंने तुम्हें तुम्हारी छुट्टी पकड़कर प्यार करते हुए कहा था लेकिन भगवान ने इस भाई को तो पहले नहीं दिया था भगवान तो वैसा डिपार्टमेंटल स्टोर खोले नहीं बैठे हैं जैसे आपको अमेरिका में मिल जाता है की भरकर सब कुछ खरीद लेंगे फिर मैंने बहस किए बिना सिर्फ कहा था भाई भगवान की दुकान में कुछ दिए बिना वहां से कुछ पाना संभव नहीं मुझ को संभवत कुछ अधिक देना पड़ा है |  

उस दिन तुमने और कुछ नहीं पूछा था मैंने भी कुछ नहीं कहा था शायद तुम मेरी बात का मतलब नहीं समझ सके अगर समझ भी जाते तो उस दिन मैं तुमसे कुछ भी नहीं कहती उस दिन तुम मुझे जरूर अच्छे लगे थे लेकिन मैं तुम पर पूरी तरह विश्वास ना कर सकी थी अब तुझसे सब कुछ कह सकती हूं |   

कहूंगी मैं जानती हूं तुम कभी मेरा कोई नुकसान नहीं करोगे मन ही मन में विश्वास करती हूं कि तुम अपनी दीदी के दुख को समझ सकोगे आज यह कहने में कोई संकोच नहीं कि मैं मध्यम परिवार की लड़की हूं निवार तक पहुंचने में मुझे अनेक तंग 1 दिन गलियों और छोटी बड़ी सड़कें तय करनी पड़ी है तरह-तरह के लोगों और तरह-तरह के देश देखने पड़े हैं लेकिन यह विश्वास करो मेरे भाई जीवन का यह थोड़ा सा रास्ता पार करने में ही से कुछ दौलत चीन में बिना क्या और उनके मन को शांति नहीं मिल रही थी तुम दोनों मेरा हार्दिक स्नेह आशीर्वाद लेना |   

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

13 सितम्बर 2022
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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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भाग (5)

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मेरे अपार्टमेंट में एक दो बार आने के बाद एक दिन सुधीर नेमा मां बातों ही बातों में कहा देखे कविता दीदी मैंने अपने हृदय में एक परम सत्य का अनुभव किया है यह परम सत्य क्या है इस संसार में रुपया खर्च करने

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उसके उन सपनों को तोड़ने का अधिकार मुझे नहीं है मुझ में इतना साहस भी नहीं है मेरे मन में अनेक घटनाओं दुख हुई और व्यवस्थाओं का इतिहास छुपा हुआ है अनेक विफलताओं का दर्द भी वहां छुपा हुआ है फिर भी गए गिरे

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उस समय मेरे दादा मात्र 13 वर्ष के थे कई वर्षों वहां रहने के बाद दादा स्ट्रीमर कंपनी में बुकिंग क्लर्क की नौकरी लेकर पहले चांदपुर और बाद में ग्वाल नंद आए हुगली जिले में होते हुए भी वह ढाका के निवासी हो

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