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भाग (11)

13 सितम्बर 2022

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हेमंत चाचा ने हंसते हुए कहा आज तुम भी तो थोड़ी सी व्हिस्की पी होगी मैंने उसे दम चेक कर कहा नहीं नहीं चाचा मैं विस्की  नहीं पी सकती हेमंत चाचा ने फिर दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर गया बड़ी पगली लड़की है | 

विस्की  पीने का नाम सुनते ही बेहोश होने लगी मैंने मुस्कुराकर कहा शराब पीने पर तो मैं मर जाऊंगी अगर ना मरी तो तो बदहवास हो जाऊंगी तेरी बकवास नहीं हुई तो बेहोश हो जाऊंगी यदि भी होश नहीं हुई तो तो खतरनाक कुछ होगा कुछ भी नहीं होगा फिर क्या शराब पीने के बाद मैं स्वाभाविक रहूंगी | 

एकदम शॉपिंग रहोगी फिर शराब पीने से फायदा मन खुशी से भर जाता है इसके बाद हेमंत चाचा ने कुछ नहीं बोले और विस्की की बोतल और सोडा की बोतल लेकर बैठ गए कहा अब मैं पी लूंगा मैं ने सिर हिला कर सहमति दी अगर तुम्हें इतराज ना है तो मैं बाहर के पैसेज में जाकर पीना नहीं आप बाहर क्यों जाएंगे | 

अगर आपको असुविधा हो रहो तो बाहर जाती हूं अगर तुम्हारा विभाग अगर तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है तो तुम्हें बाहर भेजकर मैं यहां बैठ छीन कर लूंगा मैं कह रही हूं कि बाहर जाऊंगी फिर हेमंत चाचा ने एक गिलास में व्हिस्की और सोडा मिलाकर मेरे मुंह के पास पकड़ा कर कहा शेयर्स और आप फ्रेंडशिप उसके बाद है मन चाचा ने गिलास को होठों से लगाया और मैं अफसर से उनकी तरफ देखती रही | 

इसके पहले वाला पत्र पढ़कर तुम ने जरूर सोचा होगा कि उस रात ट्रेन में कोई शर्मनाक वार्ता हुई थी लेकिन वैसा कोई बात नहीं हुई थी आप दो पैग पीने के बाद है मैं ज्यादा ने मुझसे पूछा खोलो कविता मैम मैंने बड़ी बूढ़ी की तरह गंभीरता से का कहा कोई बद्रो सिद्धि मतवाला नहीं होता मेरी बात सुनकर वाही मत जा सकने को हंसते हुए मुझे बाहों में जकड़ लिया | 

उसके बाद व्हिस्की कविराज मेरे होंठों उसके पास लाती है उन्होंने कहा तुम जरा नहीं पियूंगी नहीं चाचा जी प्लीज क्यों डर लग रही है क्यों डर क्यों लगा मन नहीं कर रहा है ऐसा ना कहो मन नहीं कर रहा या तो डर लग रहा है नहीं तो संकोच बस तुम नहीं पी रही हो मैं कभी किसी बात से नहीं डरती और ना संकोच करती है मजा जाने मेरी तरफ देखते हो मुस्कुराते गए |

फिर बोले मैं नहीं मानता मैंने कभी भी मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा समय आने पर आपको इसका प्रमाण मिल जाएगा हेमंत चाचा ने ग्रास में किसकी सीटें गले में उड़ेल दी फिर लंबी साथ छोड़ कर कहा तुम मुझसे जरा भी प्यार नहीं करती यह नहीं मैं आपसे प्यार करती हूं लेकिन इसका तो कोई खूबसूरत कोई सबूत नहीं मिल रहा है सिर्फ व्हिस्की पीते रहने से क्या आपको उसका सबूत मिल जाएगा मैं नहीं कहता लेकिन तुम मुझसे प्यार करती हो तो मेरे कहने पर एक बार जरूर पीती विस्की   पीकर अगर लड़की हुई तो इस तरह की योगी की नशा नहीं होगा लेकिन मजा आ जाएगा ठीक है एक नई जानकारी हो गई

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

13 सितम्बर 2022
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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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भाग (2)

13 सितम्बर 2022
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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

13 सितम्बर 2022
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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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भाग (4)

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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भाग (5)

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मेरे अपार्टमेंट में एक दो बार आने के बाद एक दिन सुधीर नेमा मां बातों ही बातों में कहा देखे कविता दीदी मैंने अपने हृदय में एक परम सत्य का अनुभव किया है यह परम सत्य क्या है इस संसार में रुपया खर्च करने

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भाग (6)

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उसके उन सपनों को तोड़ने का अधिकार मुझे नहीं है मुझ में इतना साहस भी नहीं है मेरे मन में अनेक घटनाओं दुख हुई और व्यवस्थाओं का इतिहास छुपा हुआ है अनेक विफलताओं का दर्द भी वहां छुपा हुआ है फिर भी गए गिरे

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भाग (7)

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उस समय मेरे दादा मात्र 13 वर्ष के थे कई वर्षों वहां रहने के बाद दादा स्ट्रीमर कंपनी में बुकिंग क्लर्क की नौकरी लेकर पहले चांदपुर और बाद में ग्वाल नंद आए हुगली जिले में होते हुए भी वह ढाका के निवासी हो

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मेरी छोटी सी दुनिया अचानक अंधेरे में डूब गई मेरे दादा स्वयं काफी पढ़ लिख नहीं सके इसलिए उन्होंने मेरे पिताजी को एम् ए . बी ए . तक पढ़ाया पिताजी ढाका कोर्ट में वकालत करने लगे लेकिन उसकी वकालत कोई खास न

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उस दिन थोड़ी देर गपशप करने के बाद हेमंत बाबू चले गए लेकिन उसके बाद  वह बीच-बीच में हमारे यहां आने लगे कभी-कभी वह मुझे लेकर इधर उधर घूमने भी चले जाते थे सच मुझे मन चाचा मुझे बहुत अच्छे लगते थे |  उनके

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भाग (10)

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हेमंत चाचा ने मोड़ पर एक बार मुझे देख लिया और फिर कहा लगता नहीं कि शादी के लिए मेरा दूर रह पाओगे मैंने जरा अच्छा सहमत चाचा किधर देखा कर पूछा क्यों नहीं रह पाऊंगी हेमंत चाचा ने हंसते हुए मुझे और एक बार

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अधिक नहीं सिर्फ 3 दिन हम पूरी में थे सच बता रही हूं भाई इसके पहले इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला है मजा जाओ मन में बहुत बड़े थे फिर भी वह सचमुच मेरे घनिष्ठ मित्र हो गए कोलकाता लौटने के बाद मुझे खूब हंसा

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