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भाग (5)

13 सितम्बर 2022

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मेरे अपार्टमेंट में एक दो बार आने के बाद एक दिन सुधीर नेमा मां बातों ही बातों में कहा देखे कविता दीदी मैंने अपने हृदय में एक परम सत्य का अनुभव किया है यह परम सत्य क्या है इस संसार में रुपया खर्च करने पर सब का प्यार मिल जाता है और ऐसा ना करने पर मां बाप का प्यार भी नहीं मिलता फिर मैंने कोई विश नहीं किया मुस्कुरा दिया नहीं कविता दी हंसने की बात नहीं है मैंने मां बाप और भाई बहनों मैं यह बात देखी है इसीलिए कह रहा हूं | 

 नजदीक के और दूर के रिश्तेदारों में तो यह बात है ही मैं कुछ बोली नहीं सिर्फ सुनती रही सुदीप ने जरा उत्तेजित होकर का बाप की काली कमाई का पैसा खर्च करने में तो मां को बड़ा मजा आता था लेकिन जब दुख की घड़ी आई तब मां का आचरण देखकर मुझे आश्चर्य होता था मेरे बड़े भाई और दो दिदिया की बात सुनेगी तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा | 

या सुनी बड़ा विचित्र लड़का है मां-बाप और भाई बहनों से नाराज होकर इस देश में आया था यही 4 साल बाद उसने कोलंबिया से डायरेक्ट ऐड किया फिर 2 साल कनाडा में नौकरी करने के बाद 1 दिन बाद चालक माया के पास पहुंचा और बोला छोटी दीदी अब यहां अकेला नहीं रह पा रहा हूं | 

आप मेरी शादी करा दीजिए माया ने पूछा शादी करा दीजिए मतलब क्या कोई लड़की पसंद की है अगर लड़की पसंद कर लेता तो तुम्हारे पास क्यों आता माया ने उससे वादा किया अगले जून में भारत का उत्तर तेरी शादी करा दूंगी  | 

सुदीप बहुवा को लेकर पहले पहल मेरे पास टेरा क्यों उस समय माया नहीं थी सुदीप और बबुआ दोनों मुझसे बहुत प्यार करते थे मौका मिलते ही वाशिंगटन से चले जाते हैं मुझको भी जाना पड़ता है पहले ज्यादा अधिक दिन बिता बिना देखे नहीं रह पाती तुम तो जानते हो कि यहां बहुत कुछ मिलता है लेकिन एक छोटे से दुखी सुखी परिवार की शांति यहां सपने की तरह है उनके तीन प्राणियों के छोटे से परिवार में जाने पर मैं मानव सहारा दुख दर्द भूल जाती हूं | 

उस दिन मैं जरूर कुछ अस्वाभाविक थी महुआ ने शक किया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं लेकिन सुदीप ने मेरे मन की आज स्वाभाविक स्थिति को भांप लिया महुआ को कुछ समझने का मौका ना देकर सुदीप ने मुझसे कहा कविता दी महुआ और पुतुल हफ्ते भर तुम्हारे पास रहेंगे वह मेरे पास रहेंगे तो मुझे दिक्कत नहीं होगी मुझे क्या दिक्कत होगी | 

आप ही से लौटने के बाद एक दो दोस्तों के साथ दो राउंड रिंग करते ना करते शाम भी जाएगी सुदीप की बात सुनकर बहुत अतुल खुशी के मारे मुझ से लिपट गए उसके बाद तो तुमने आज दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ कर कहा आज आप इस तरह चुपचाप क्यों है बुआ आप मुझसे नाराज हैं मैं तो तुम को अपनी छाती से मैं भेजकर कहा भला मैं कैसे तुमसे नाराज हो सकती हूं नाराज ना होने पर क्यों क्या कोई इस तरह चुपचाप रहता है | 

 मैंने तो तुम के चेहरे पर अपना चेहरा रखकर कहा नहीं बेटा अब मैं चुपचाप नहीं रहूंगी जानते हो मेरे भाई फिर क्या हुआ उसने उस दिन वक्त मैंने तय कर लिया अब आत्महत्या कर इस संसार से नहीं खाऊंगी किसी और के लिए ना सही लेकिन इस छोटे से बच्चे के प्यार के लिए मुझे जिंदा रहना पड़ेगा अब तो वह सब बातें बहुत दूर हो गई | 

अब मेरी जिंदगी की अच्छाई और बुराई के साथ तुम इस तरह जुड़ गए कि तुम्हें दुखी करके मुझे मरने के बाद भी शांति नहीं मिलेगी इसके अलावा तुम भी तो अकेले नहीं हो तुम्हारे जीवन के सुख-दुख के साथ एक लड़की के स्वप्न और साधना जुड़ी हुई है | 

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

13 सितम्बर 2022
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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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भाग (2)

13 सितम्बर 2022
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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

13 सितम्बर 2022
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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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भाग (4)

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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भाग (6)

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उसके उन सपनों को तोड़ने का अधिकार मुझे नहीं है मुझ में इतना साहस भी नहीं है मेरे मन में अनेक घटनाओं दुख हुई और व्यवस्थाओं का इतिहास छुपा हुआ है अनेक विफलताओं का दर्द भी वहां छुपा हुआ है फिर भी गए गिरे

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भाग (7)

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उस समय मेरे दादा मात्र 13 वर्ष के थे कई वर्षों वहां रहने के बाद दादा स्ट्रीमर कंपनी में बुकिंग क्लर्क की नौकरी लेकर पहले चांदपुर और बाद में ग्वाल नंद आए हुगली जिले में होते हुए भी वह ढाका के निवासी हो

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मेरी छोटी सी दुनिया अचानक अंधेरे में डूब गई मेरे दादा स्वयं काफी पढ़ लिख नहीं सके इसलिए उन्होंने मेरे पिताजी को एम् ए . बी ए . तक पढ़ाया पिताजी ढाका कोर्ट में वकालत करने लगे लेकिन उसकी वकालत कोई खास न

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हेमंत चाचा ने मोड़ पर एक बार मुझे देख लिया और फिर कहा लगता नहीं कि शादी के लिए मेरा दूर रह पाओगे मैंने जरा अच्छा सहमत चाचा किधर देखा कर पूछा क्यों नहीं रह पाऊंगी हेमंत चाचा ने हंसते हुए मुझे और एक बार

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हेमंत चाचा ने हंसते हुए कहा आज तुम भी तो थोड़ी सी व्हिस्की पी होगी मैंने उसे दम चेक कर कहा नहीं नहीं चाचा मैं विस्की  नहीं पी सकती हेमंत चाचा ने फिर दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर गया बड़ी पगली ल

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अधिक नहीं सिर्फ 3 दिन हम पूरी में थे सच बता रही हूं भाई इसके पहले इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला है मजा जाओ मन में बहुत बड़े थे फिर भी वह सचमुच मेरे घनिष्ठ मित्र हो गए कोलकाता लौटने के बाद मुझे खूब हंसा

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