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भाग (8)

13 सितम्बर 2022

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मेरी छोटी सी दुनिया अचानक अंधेरे में डूब गई मेरे दादा स्वयं काफी पढ़ लिख नहीं सके इसलिए उन्होंने मेरे पिताजी को एम् ए . बी ए . तक पढ़ाया पिताजी ढाका कोर्ट में वकालत करने लगे लेकिन उसकी वकालत कोई खास नहीं चाहती थी | 

इसलिए मेरे दादा दादी के मरने के बाद पिताजी कल पता चलेगा है कल करते आने के बाद मुझे पता चला कि मेरी मां को कैंसर हो गया है नहीं की चिकित्सा की सुविधा के लिए पिताजी ढाका से कलकत्ता चले आए थे कोलकाता आने के बाद मेरी मां लगभग 2 साल ठीक थी खुद ही घर का कामकाज करती मैं स्कूल से लौटती थी | 

 तो मुझसे जैसे घंटे भर इधर-उधर की बातें करती थी उसके बाद पिताजी कचहरी से लौटते थे और मां के पास आकर मां को देखने भागते थे पिताजी को उस समय देख देख ते देख कर मां कहती थी क्यों इस तरह देख रहे हो अभी कोई ऐसी बात नहीं हुई है और मैं अच्छी हूं पिताजी अपनी सारी घंटा को छुपा कर हंसते हुए कहते क्यों नहीं अच्छी रहोगी जरूर अच्छी होगी मेरे पिताजी बड़े सज्जन और शांतिप्रिय थे वह अपने कामकाज और पढ़ने लिखने में ही डूबे रहते थे | 

इसीलिए दादाजी ने मुझको व्यापार में ना घसीट कर स्वतंत्र व्यवसाय में जाने दिया लेकिन जैसे सीधे साधे और चुपचाप रहने वाले आदमी के लिए वकालत जैसे पैसे में जमुना भी आसान नहीं था मैंने कभी पिताजी को दास शतरंज खेलते या किसी के साथ गपशप करते नहीं देखा था जितनी देर वह कचहरी में रहते उसके बाद सारा समय अपने कमरे में बैठकर पढ़ते लिखते हैं जब तक दादा थे मैं पिताजी के पास नहीं जाती थी | 

 लेकिन कलकाते आने के बाद हमारा सब कुछ बदल गया पिताजी का कामकाज बदल गया लेकिन वह मेरे नजदीक आ गए थे गयासुद्दीन चाचा और दादा को खोने के बाद मुझे अपने आसपास मरुस्थल का सूनापन महसूस होने लगा सोचा था कि बया थोड़े समय में सुख की याद को लेकर मुझे सिर्फ जीवन बिता देना पड़ेगा लेकिन नहीं कलकाते आने के बाद भी मारना थोड़ा अमित शाह कामकाज में डूबने वाले पिताजी ने स्नेह और प्यार से मुझे भर दिया मेरा संसार फिर हरा भरा और सुंदर हो गया हार्दिक प्यार लेने लगा | 

कोलकाता आने के 6 महीने बाद की बात है वह दिन पिताजी कचहरी बंद रहने पर भी मेरा सपोर्ट करता है स्कूल से लौटने के बाद देखा कि पिताजी सज्जन से बात कर रहे हैं कि मैंने मां से पूछा मां पिताजी किससे होती है बात कर रहे हैं | 

मां ने हंसकर कहा उनके मित्र हैं पिताजी को जिताने बड़े आश्चर्य से कहा हां दोनों एक साथ  यूनिवर्सिटी  मे  पढ़ते हैं उसके पहले क्या हुआ कभी हमारे यहां आए नहीं आज डॉक्टर के यहां अचानक दोनों नेताओं से मुलाकात हो गई क्या जी के पुत्र का क्या नाम है क्या वह भी प्रैक्टिस करते हैं नहीं वह एक अंग्रेज कंपनी में अच्छी नौकरी करते हैं क्या आप पहले से उनको जानती हैं | 

 मेरी शादी के बाद एक बार शायद स्टेशन पर मुलाकात हुई थी मैं स्कूल में कपड़े बदल कर खाना खाने बैठी थी मैंने कहा तेरे पिताजी से सुना है कि हेमंत बाबू बड़े हॉल में आदमी यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय क्लास घर में लड़कों को हंसाते रहते थे | 

आज से देख कर लगा कि वह उसी तरह हैं वाह वाह कहां रहते हैं मैंने सोचा शायद एलगिन रोड के पास कहीं फिर मैं अपनी धुन में ही मानो कहती गई शादी नहीं की और मजे में लिखी पिताजी खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में पिताजी ने मुझे भेजा मैं पिताजी के पास गई दर्जी ने कहा कि तुम्हारा नाम हेमंत बाबू मेरा हाथ पकड़ कर उसको प्रणाम करना चाहा तो दोनों हाथों से नमस्ते करने की जरूरत नहीं हैं | 

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

13 सितम्बर 2022
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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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भाग (2)

13 सितम्बर 2022
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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

13 सितम्बर 2022
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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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मेरे अपार्टमेंट में एक दो बार आने के बाद एक दिन सुधीर नेमा मां बातों ही बातों में कहा देखे कविता दीदी मैंने अपने हृदय में एक परम सत्य का अनुभव किया है यह परम सत्य क्या है इस संसार में रुपया खर्च करने

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भाग (6)

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उसके उन सपनों को तोड़ने का अधिकार मुझे नहीं है मुझ में इतना साहस भी नहीं है मेरे मन में अनेक घटनाओं दुख हुई और व्यवस्थाओं का इतिहास छुपा हुआ है अनेक विफलताओं का दर्द भी वहां छुपा हुआ है फिर भी गए गिरे

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उस समय मेरे दादा मात्र 13 वर्ष के थे कई वर्षों वहां रहने के बाद दादा स्ट्रीमर कंपनी में बुकिंग क्लर्क की नौकरी लेकर पहले चांदपुर और बाद में ग्वाल नंद आए हुगली जिले में होते हुए भी वह ढाका के निवासी हो

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उस दिन थोड़ी देर गपशप करने के बाद हेमंत बाबू चले गए लेकिन उसके बाद  वह बीच-बीच में हमारे यहां आने लगे कभी-कभी वह मुझे लेकर इधर उधर घूमने भी चले जाते थे सच मुझे मन चाचा मुझे बहुत अच्छे लगते थे |  उनके

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हेमंत चाचा ने हंसते हुए कहा आज तुम भी तो थोड़ी सी व्हिस्की पी होगी मैंने उसे दम चेक कर कहा नहीं नहीं चाचा मैं विस्की  नहीं पी सकती हेमंत चाचा ने फिर दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर गया बड़ी पगली ल

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अधिक नहीं सिर्फ 3 दिन हम पूरी में थे सच बता रही हूं भाई इसके पहले इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला है मजा जाओ मन में बहुत बड़े थे फिर भी वह सचमुच मेरे घनिष्ठ मित्र हो गए कोलकाता लौटने के बाद मुझे खूब हंसा

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