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भाग (9)

13 सितम्बर 2022

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उस दिन थोड़ी देर गपशप करने के बाद हेमंत बाबू चले गए लेकिन उसके बाद  वह बीच-बीच में हमारे यहां आने लगे कभी-कभी वह मुझे लेकर इधर उधर घूमने भी चले जाते थे सच मुझे मन चाचा मुझे बहुत अच्छे लगते थे | 

उनके पास छोटी सी मारीशस एक कार थी स्कूल की पढ़ाई खत्म करने से पहले ही मैंने उनके उत्साह के कारण कार चलाना सीख लिया सचमुच उन दिनों की उत्तेजना की बात मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी मुझे ऐसा लगा था कि अमन चाचा ने मानो आसपास का चांद लाकर मेरे हाथ पर रख दिया हो दूसरे वर्ष मैं कॉलेज में भर्ती हुई तो एक  दिन है | 

चाचा ने मेरे मां-बाप के सामने ही पूछा बोलो कविता तुम्हें क्या चाहिए भला मुझे क्या चाहिए कभी नहीं कुछ तो जरूर चाहिए कई बार ऐसा कहने के बाद मैं कुछ नहीं बोली तो है मन चाचा बोले चलो तुम्हें तुम्हारी तुम्हें पूरी घुमा लाऊं मैं कुछ कहती उससे पहले ही पिताजी मैं भी सब को लेकर कहीं हूं | 

लेकिन डॉक्टर ने मना किया इसलिए कहीं नहीं जा पा रहा हूं शादी साथ मां बोली हमारा जाना संभव नहीं तो सच्ची तो बच्ची अपनी चाचा के साथ घूम आए पिताजी बोले इसमें क्या आपत्ति हो सकती है हेमंत चाचा ने हंसते हुए उससे पूछा कार से जाओगी या ट्रेन से मां बोली नहीं नहीं पास इतनी दूर जाने की जरूरत नहीं है 

उसके कई दिन बाद महिमा चाचा के साथ पूरी के लिए रवाना हो गई हावड़ा स्टेशन पहुंचकर देखा कि फर्स्ट क्लास का रिजल्ट आ गया रखने के बाद हम चाचा ने मुझसे पूछा कहो कविता ठीक है ना मैंने हंसते हुए कहा मेरे चाचा जी के फ्लाइंग में कैसे कोई कमी हो सकती है हेमंत बाबू ने हंसते हुए कहा मैं सिर्फ तुम्हारा चाचा नहीं बट अलसो योर फ्रेंड मैंने तुरंत उनकी बात का समर्थन किया गेट्स लाइट ने उस समय देर थी बोले तुम बैठो मैं आ रहा हूं 15- 20 मिनट बाद हेमंत चाचा दो बोतल सोडा लेकर लौटे तो मैंने पूछा या क्या है तो बोतल लेकर क्या करोगे | 

देवी मुस्कान के साथ हेमंत चाचा बोले क्यों दोनों पिएंगे मैंने हंसते हुए कहा क्या मुझे खट्टी डकार आने लगी है कि सोडा पियूंगी हेमंत चाचा ने आगे कुछ कहे बिना बाथरूम में जाकर कपड़े बदल दिए और वहां से लौटने के बाद नीचे के व्रत में मेरा बिस्तर बिछा दिया उसके बाद मुझे पूछा क्या तुम साड़ी पहनो गी जी हां तो जाओ बाथरुम में हो जाओ बाथरुम से निकलने से पहले ही ट्रेन छूट चुकी थी हेमंत चाचा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बैठ आते हुए कहा आप बैठो गपशप की मैं बैठी है | 

अभी मत जा जा ने मुझसे पूछा क्या तुम पहली बार पूरी जा रही हो जी हां तुम्हारे समुद्र अच्छा लगता है पहाड़ दोनों ही लेकिन इनमें से कोई भी नहीं देखा ठीक है इसके बाद मैं तुम्हें दर्द नहीं ऐसे मिला ले जाऊंगा क्या आप बहुत घूमते रहते हो चाचाजी उन्होंने मुस्कुराकर मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा आखिर एक बैंसला ठहराना घर गृहस्ती का झमेला नहीं इसलिए मौका पाते ही घर से निकल मैं बैठी है | 

 अभी मत जा जा ने मुझसे पूछा क्या तुम पहली बार पूरी जा रही हो जी हां तुम्हारे समुद्र अच्छा लगता है पहाड़ दोनों ही लेकिन इनमें से कोई भी नहीं देखा ठीक है इसके बाद मैं तुम्हें दर्द नहीं ऐसे मिला ले जाऊंगा क्या आप बहुत घूमते रहते हो चाचाजी उन्होंने मुस्कुराकर मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा आखिर एक बैंसला ठहराना घर गृहस्ती का झमेला नहीं इसलिए मौका पाते ही घर से निकल लेता घर गृहस्ती का झमेला ना होने पर बहुत अच्छा है | 

क्या कहती हो तुम शादी नहीं करोगी मैंने हंसते हुए कहा वह सब मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता फिर क्या करोगी क्या करूंगी पढ़ लिखकर नौकरी करूंगी अकेली रहूंगी क्यों अकेले रहोगी मां-बाप के साथ रहूंगी लेकिन मां-बाप तो हमेशा नहीं रहेंगे फिर क्या करोगे अकेली रहूंगी शादी किए बिना रह पाओगी एकदम रह पाऊंगी | 

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रचनाएँ
प्रियाम्वर और प्रीतम
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बहुत सोच विचार किया क्या मैं उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह निश्चय कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के ड्रॉर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर उन चिट्ठियों को पढ़ने लगा तो देखा कि उनको जरा ढंग से छपवा देने से बढ़िया उपन्यास बन जाएगी मेरी दीदी का नाम है कविता चौधरी न्यूयार्क में रहती है और यूनाइटेड नेशनल में नौकरी करती है यूनाइटेड नेशनल की स्पेशल कमेटी में के काम से दीदी को विभिन्न देशों में जाना पड़ता है यूनाइटेड नेशनल की कैफेटेरिया में इनसे मेरा पहली बार परिचय हुआ था इसके बाद दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे के निकट आते गए निकटता बढ़ गई आज दीदी मुझसे जितना प्यार करती हैं उतना शायद किसी को से नहीं करती है मुझ पर उनका जितना विश्वास है उतना किसी पर नहीं मैं सिर्फ दीदी से प्यार नहीं करता बल्कि उनका आदर भी करता हूं सचमुच मेरी दीदी अनमोल है |
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प्रियाम्वर और प्रीतम भाग (1)

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'बहुत सोच विचार किया कि मैं एक उपन्यास लिखूं लेकिन किसी तरह कोई निश्चय ना कर सका फिर एक पुरानी डायरी ढूंढने लगा तो टेबल के नीचे के दौर में मुझे अपनी दीदी की ढेर सारी चिट्टियां मिल गई उन चिट्ठियों के म

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भाग (2)

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नहीं दीदी नहीं हंसने की बात नहीं है मुझको कहकर सचमुच बहुत परेशान है कैसी परेशानी कहीं मैं उसे भूल न जाऊं कहीं वह मुझे खो ना दे तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आया पूछा क्या नाम है उसका दीदी अभी सब

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भाग (3)

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तुम्हारी चिट्ठी मिली तुम जो इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी का जवाब दोगे मैं सोच भी नहीं सकती थी लगता है कि तुम मेरी चिट्ठी पढ़कर बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे |  जिससे चिट्ठी मिलने की दूसरे ही दिन तुमने उसका ज

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माया ने सुदीप को डांटते हुए कहा देख लेकिन तू दिन दिन बड़ा सनकी होता जा रहा है इसने प्रेम आदि ना हो तो संसार कैसे चल रहा है सुदीप ने हंसकर कहा क्यों नहीं चलेगा परस्पर के स्वार्थी से हम इस तरह बन गए हैं

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उसके उन सपनों को तोड़ने का अधिकार मुझे नहीं है मुझ में इतना साहस भी नहीं है मेरे मन में अनेक घटनाओं दुख हुई और व्यवस्थाओं का इतिहास छुपा हुआ है अनेक विफलताओं का दर्द भी वहां छुपा हुआ है फिर भी गए गिरे

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उस समय मेरे दादा मात्र 13 वर्ष के थे कई वर्षों वहां रहने के बाद दादा स्ट्रीमर कंपनी में बुकिंग क्लर्क की नौकरी लेकर पहले चांदपुर और बाद में ग्वाल नंद आए हुगली जिले में होते हुए भी वह ढाका के निवासी हो

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मेरी छोटी सी दुनिया अचानक अंधेरे में डूब गई मेरे दादा स्वयं काफी पढ़ लिख नहीं सके इसलिए उन्होंने मेरे पिताजी को एम् ए . बी ए . तक पढ़ाया पिताजी ढाका कोर्ट में वकालत करने लगे लेकिन उसकी वकालत कोई खास न

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हेमंत चाचा ने मोड़ पर एक बार मुझे देख लिया और फिर कहा लगता नहीं कि शादी के लिए मेरा दूर रह पाओगे मैंने जरा अच्छा सहमत चाचा किधर देखा कर पूछा क्यों नहीं रह पाऊंगी हेमंत चाचा ने हंसते हुए मुझे और एक बार

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हेमंत चाचा ने हंसते हुए कहा आज तुम भी तो थोड़ी सी व्हिस्की पी होगी मैंने उसे दम चेक कर कहा नहीं नहीं चाचा मैं विस्की  नहीं पी सकती हेमंत चाचा ने फिर दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर गया बड़ी पगली ल

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अधिक नहीं सिर्फ 3 दिन हम पूरी में थे सच बता रही हूं भाई इसके पहले इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला है मजा जाओ मन में बहुत बड़े थे फिर भी वह सचमुच मेरे घनिष्ठ मित्र हो गए कोलकाता लौटने के बाद मुझे खूब हंसा

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