अधिक नहीं सिर्फ 3 दिन हम पूरी में थे सच बता रही हूं भाई इसके पहले इतना आनंद मुझे कभी नहीं मिला है मजा जाओ मन में बहुत बड़े थे फिर भी वह सचमुच मेरे घनिष्ठ मित्र हो गए कोलकाता लौटने के बाद मुझे खूब हंसाते चाहे खाती देखकर मैंने पूछा को खुशियां मनाती रही है ना |
मां मैंने मां से निपट कर कहा हां मां मैसेज में बड़ी खुशियां हो रही हूं खूब घूमती रही हो हम तेरे को खाती रही हो वर्दी रही हो छोटी रहे खूब मौज करती रही कुछ रख नहीं छोड़ा हेमंत चाचा ने पिता जी से कहा तुझसे ज्यादा देवी बेटी से मेरी दोस्ती हो गई है पिताजी ने हंसते हुए का जब शादी प्यार नहीं किया तब मेरी बेटी से ही दोस्ती करके बाकी जिंदगी बिता दे |
मां की तबीयत खराब रहने के बाद पिताजी कचहरी इसके अलावा और कहीं नहीं जाते थे दर्जी बाकी समय घर ही पर रहते थे इसलिए मैं कभी-कभी है मन चाचा के साथ कलकत्ते में ही इधर-उधर सिनेमा थिएटर देखने जाती थी तभी तभी छुट्टी के दिन पूरा समय चाचा जी के प्लॉट में मिटा दी थी राधा मेरी 12 से नहीं अभी चाचा जी के यहां बजा हम सब मिलकर घूमने या सिनेमा देखने चले जाते थे उसके बाद मां की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी राधा कालेज से लौटकर देती थी |
पिताजी कचहरी नहीं गए मां के बिस्तर के पास बैठे हुए हैं मां मैं भी मां के पास बैठी थी उनके माथे पर छाती पर हाथ भेज दी थी मगर जब तू नहीं घर खाना खा ले मैं गई थी अभी नहीं जाती मां मेरे हाथ अपने कमजोर हाथों से मुक्ति नहीं बेटा देर मत कर इस तरह लापरवाही करने से सेहत बिगड़ जाएगी उन दिनों में एक साथ अधिक बातें नहीं कर पाती इसलिए जरा रुक कर कहती मैं बीमार हूं तो क्यों लापरवाही करेगी फिर मैं कुछ बोले बिना वहां से उठ जाती थी |
एक दिन कॉलेज से लोड कर देखा कि पिताजी जो क्या हुआ मिला बैठे हुए मेरे हाथ पाते उन्होंने मेरी तरफ देखा मैंने भी देखा कि जल भरे बादल बादल भी रहे उनकी आंखें चला रहे थे मुझसे बाद रस मानो सहन ना हो सका मैं उस कमरे में निकलने लगी पिताजी ने मुझ से आवाज नहीं सुनी बेटा सुन पिताजी के पास गई हो तो मुझसे लिपटकर उन्होंने मेरी छाती पर रख दिया और अनाथ बच्चों की तरह रोता है तेरी मां चली जाएगी तो रहेंगे मुन्नी संसार में मेरा कोई दोस्त नहीं |
भाई रिपोर्टेड की ओर गाड़ियों के बातें इतने बरसों बाद लिखते समय मेरी आंखें भर गई पिताजी की जी की बाल्यावस्था किशोरावस्था मैंने नहीं देखी उसके प्रथम वाले दिनों में बारे में नहीं जानती लेकिन जब मैं को संभाला था मैंने देखा की विधि के अलावा इस संसार में और किसी को ना जानते थे होना पहचानते थे पिताजी मेरी मां को सिर्फ प्यार ही नहीं बनता बड़ा तेरी मुझे अच्छी तरह याद है कि कलकत्ते आने के बाद वह 1 दिन पिताजी ने मुझसे कहा जन्म जन्मांतर की तपस्या के तेरी मां की पत्नी के रूप में पाया है लोग तेरी मां के रूप में देखकर कुछ भी नहीं है |
मां को ऐसा साल हो गया कि पिताजी ने अपना सब कुछ और करके उनको बचा नहीं सके मां चली गई मैं उसी समय समझ गई थी पिताजी इस आघात को नहीं खेल सकेंगे मेरी बीए की परीक्षा समाप्त होने के तीन दिन बाद पिताजी को हार्टअटैक हुआ उत्तर घंटे बीतने के बाद हेमंत चाचा ने कहा अब कोई डर नहीं संकट टल गया |
मेरा भाग्य बस मैं थोड़ी देर के लिए चमकता सूरज फिर बताएं बादल की ओट में छिप गया यह भी चले गए उन दिनों के की बातें लिखकर तुम्हारे मन को दुखी नहीं करूंगी तुम तो आसानी से समझ गए होंगे कि उस समय मेरी क्या हालत ही मैं सोच ना सके कि इस तरह अचानक मेरे जीवन में सारी रोशनी है कुछ जाएंगे हेमंत चाचा के विरूद्ध मेरी तमाम शिकायतें हैं फिर भी खुले दिल से यह स्वीकार करूंगी अमावस की पोषण तेरी रात में मेरा कोई संबंध ही नहीं कोई मित्र नहीं सिर्फ वही सहायक बन कर मेरे पास आए थे हेमंत चाचा ने मुझे कहा डोंट फॉरगेट कविता मैं अभी जिंदा हूं |