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चौथा दृश्य

25 जनवरी 2022

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सराय
(भठियारी, चपरगट्टू खाँ और पीकदान अली)
चप. : क्यों भाई अब आज तो जशन होगा न? आज तो वह हिंदू न लड़ेगा न।
पीक. : मैंने पक्की खबर सुनी है। आज ही तो पुलाव उड़ने का दिन है। 
चप. : भई मैं तो इसी से तीन चार दिन दरबार में नहीं गया। सुना वे लोग लड़ने जायंगे। मैंने कहा जान थोड़ी ही भारी पड़ी है। यहाँ तो सदा भागतों के आगे मारतों के पीछे। जबान की तेग कहिए दस हजार हाथ झारूँ।
पीक. : भई इसी से तो कई दिन से मैं भी खेमों की तर्प$ नहीं गया। अभी एक हफ्ता हुआ मैं उस गाँव में एक खानगी है उसके यहाँ से चला आता था कि पाँच हिन्दुओं के सवारों ने मुझे पकड़ लिया और तुरक तुरक करके लगे चपतियाने। मैंने देखा कि अब तो बेतरह फँसे मगर वल्लाह मैंने भी अपने कौम और दीन की इतनी मजष्म्मत और हिन्दुओं की इतनी तारीफ की कि उन लोगों को छोड़ते ही बन आई। ले ऐसे मौके पर और क्या करता? मुसल्मानी के पीछे अपनी जान देता? 
चप. : हाँ जी किसकी मुसल्मानी और किसका कुफ्र। यहाँ अपने मांडे़ हलुए से काम है।
भठि. : तो मियाँ आज जशन में जाना तो देखो मुझको भूल मत जाना। जो कुछ इनाम मिलै उसमं भी कुछ देना। हाँ! देखो मैंने कई दिन खिदमत की है।
पीक. : जरूर जरूर जान छल्ला। यह कौन बात है तुम्हारे ही वास्ते तो जी पर खेलकर यहाँ उतरें हैं। (चपरगट्टू से कान में) यह सुनिए जान झोवें$ हम माल चाभैं बी भटियारी। यह नहीं जानतीं कि यहाँ इनकी ऐसी ऐसी हजारों चरा कर छोड़ दी हैं।
चप. : (धीरे से) अजी कहने दो कहने से कुछ दिये ही थोड़े देते हैं। भटियारी हो चाहे रंडी, आज तो किसी को कुछ दिया नहीं है उलटा इन्हीं लोगों का खा गए हैं (भटियारी से) वाह जान तक हाजिर है। जब कहो गरदन काट कर सामने रख दूँ। (खूब घूरता है।)
भटि. : (आँखें नचाकर) तो मैं भी तो मियाँ की खिदमत से किसी तरह बाहर नहीं हौं।
दोनो गाते हैं, 
पिकदानों चपरगट्टू है बस नाम हमारा।
इक मुफ्त का खाना है सदा काम हमारा ।।
उमरा जो कहै रात तो हम चाँद दिखा दें।
रहता है सिफारिश से भरा जाम हमारा ।।
कपड़ा किसी का खाना कहीं सोना किसी का।
गैरों ही से है सारा सरंजाम हमारा ।।
हो रंज जहाँ पास न जाएँ कभी उसके।
आराम जहाँ हो है वहाँ काम हमारा ।।
जर दीन है कुरप्रान है ईमां है नबी है।
जर ही मेरा अल्लाह है जर राम हमारा ।। 
भटि. : ले मैं तो मियाँ के वास्ते खाना बनाने जाती हूँ।
पिकदान : तो चलो भाई हम लोग भी तब तक जरा ‘रहे लाखों बरस साकी तेरा आबाद मैखाना’।
चपर. : चलो।
(जवनिका पतन) 

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रचनाएँ
नीलदेवी
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भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा आधुनिक भारत के महानतम हिंदी लेखकों में से एक और आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामा माना जाता है। हरिश्चंद्र को उनकी कविता, और साथ ही साथ गद्य की नई शैली विकसित करने के लिए भी पहचाना जाता था उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। वे एक प्रभावशाली हिंदू “परंपरावादी” थे, जो बढ़ते हुए आधुनिक दुनिया में अपनी परंपराओं के साथ निरंतरता बनाए रखने के लिए कोशिश करते थे। उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया।
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प्रथम दृश्य

25 जनवरी 2022
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हिमगिरि का शिखर (तीन अप्सरा गान करती हुई दिखाई देती हैं) अप्सरागण.. (झिंझोटी जल्द तिताला) धन धन भारत की छत्रनी। वीरकन्यका वीरप्रसविनी वीरवधू जग जानी।। सती सिरोमनि धरमधुरन्धर बुधि बल धीरज खानी। इ

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दूसरा दृश्य

25 जनवरी 2022
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युद्ध के डेरे खड़े हैं। एक शामियाने के नीचे अमीर अबदुश्शरीफ खाँ सूर बैठा है और मुसाहिब लोग इर्द गिर्द बैठे हैं। शरीफ : एक मुसाहिब से, अबदुस्समद! खूब होशियारी से रहना। यहाँ के राजपूत बड़े काफिर हैं।

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तीसरा दृश्य

25 जनवरी 2022
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पहाड़ की तराई (राजा सूर्यदेव, रानी नीलदेवी और चार राजपूत बैठे हैं) सू : कहो भाइयो इन मुसलमानों ने तो अब बड़ा उपद्रव मचाया है। 1 ला. : तो महाराज! जब तक प्राण हैं तब तक लड़ेंगे। 2 रा : महाराज! जय परा

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चौथा दृश्य

25 जनवरी 2022
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सराय (भठियारी, चपरगट्टू खाँ और पीकदान अली) चप. : क्यों भाई अब आज तो जशन होगा न? आज तो वह हिंदू न लड़ेगा न। पीक. : मैंने पक्की खबर सुनी है। आज ही तो पुलाव उड़ने का दिन है।  चप. : भई मैं तो इसी से त

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पंचम दृश्य

25 जनवरी 2022
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(सूर्यदेव के डेरे का बाहरी प्रान्त) (रात्रि का समय) देवा सिंह सिपाही पहरा देता हुआ घूमता है। नेपथ्य में गान (राग कलिगड़ा) सोंओ सुख निंदिया प्यारे ललन। नैनन के तारे दुलारे मेरे बारे  सोओ सुख निं

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छठवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
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अमीर का खेमा (मसनद पर अमीर अबदुश्शरीफ खाँ सूर बैठा है। इधर उधर  मुसल्मान लोग हथियार बाँधे मोछ पर ताव देते बड़ी शान से बैठे हैं।) अमीर : अलहम्दुलिल्लाह! इस कम्बख्त काफिर को तो किसी तरह गिरफ्तार किया

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सातवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
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कैदखाना। महाराज सूर्यदेव एक लोहे के पिंजड़े में मूर्छित पड़े हैं।  एक देवता सामने खड़ा होकर गाता है। देवता कृ लावनी, सब भांति दैव प्रतिकूल होइ एहि नासा। अब तजहु बीर बर भारत की सब आसा ।। अब सुख स

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आठवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
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मैदान-वृक्ष (एक पागल आता है) पागल : मार मार मार-काट काट काट-ले ले ले-ईबी-सीबी-बीबी-तुरक तुरक तुरक-अरे आया आया आया-भागो भागो भागो। (दौड़ता है) मार मार मार-और मार दे मार-जाय न जाय न-दुष्ट चांडाल गोभक्

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नवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
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राजा सूर्यदेव के डेरे (एक भीतरी डेरे में रानी नीलदेवी बैठी हैं  और बाहरी डेरे में क्षत्री लोग पहरा देते हैं) नी. दे. : (गाती और रोती) तजी मोहि काके ऊपर नाथ। मोहि अकेली छोड़ि गए तजि बालपने को साथ

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दसवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
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स्थान-अमीर की मजलिस (अमीर गद्दी पर बैठा है। दो चार सेवक खड़े हैं।  दो चार मुसाहिब बैठे हैं। सामने शराब के पियाले,  सुराही, पानदान, इतरदान रक्खा है।  दो गवैये सामने गा रहे हैं। अमीर नशे में झूमता ह

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