shabd-logo

छठवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022

26 बार देखा गया 26

अमीर का खेमा
(मसनद पर अमीर अबदुश्शरीफ खाँ सूर बैठा है। इधर उधर 
मुसल्मान लोग हथियार बाँधे मोछ पर ताव देते बड़ी शान से बैठे हैं।)
अमीर : अलहम्दुलिल्लाह! इस कम्बख्त काफिर को तो किसी तरह गिरफ्तार किया। अब बाकी फौज भी फतह हो जायेगी।
1 सर्दार : ऐ हुजूर, जब राजा ही कैद हो गया तो फौज क्या चीज है। खुदा और रसूल के हुक्म से इसलाम की हर जगह फतह है। हिंदू हैं क्या चीज। एक तो खुदा की मार दूसरे बेवकूफ आनन फानन में सब जहन्नुमरसीद होंगे।
2 सर्दार : खुदाबंद! इसलाम के आफताब के आगे कुफ्र की तारीकी कभी ठहर सकती है? हुजूर अच्छी तरह से यकीन रक्खैं कि एक दिन ऐसा आवेगा जब तमाम दुनिया में ईमान का जिल्वा होगा। कुफ्फांर सब दाखिले दोजख होंगे और पयगँबरे आखिरूल् जमां सल्लरू-ल्लाह अल्लै हुम्सल्लम का दीन तमाम रूए जमीन पर फैल जायेगा।
अमीर : आमीं आमीं।
काजी : मगर मेरी राय है कि और गुफ्तगू के पेश्तर शुकरिया अदा किया जाय क्योंकि जिस हकतआला की मिहरबानी से यह फतह हासिल हुई है सबके पहिले उस खुदा का शुक्र अदा करना जुरूर है।
सब : बेशक, बेशक।
(व़$ाज़ी उठकर सब के आगे घुटने के बल झुकता है और फिर अमीर आदि भी उसके साथ झुकते हैं)
काजी : (हाथ उठाकर) काफिर पै मुसल्माँ को फतहयाब बनाया।
सब : (हाथ उठाकर) अलहमद् उलिल्ला ह।
काजी : की मेह बड़ी तूने य बस मेरे खुदाया।
सब : अलहम्द् उलिल्लाह्।
काजी : सदके में नवी सैयदे मक्की मदनी के, अतफाले अली के असहाब के, लश्कर मेरा दुश्मन से बचाया।
सब : अलहम्द् उलिल्लाह्।
काजी : खाली किया इक आन में दैरों को सनम से, शमशीर दिखा के, बुतखानः गिरा कर के हरम तूने बनाया।
सब : अलहम्द् उल्लिल्लाह।
काजी : इस हिंद से सब दूर हुई कुफ्र की जुल्मत, की तूने वह रहमत, नक्कारए ईमां को हरेक सिम्त बजाया।
सब : अलहम्द् उल्लिल्लाह।
काजी : गिरकर न उठे काफिरे बदकार जमीं से, ऐसे हुए गारत। आमीं कहो।
सब : आमीं।
काजी : मेरे महबूब खुदाया।
सब : अलहम्द् उल्लिल्लाह।
(जवनिका गिरती है) 

10
रचनाएँ
नीलदेवी
0.0
भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा आधुनिक भारत के महानतम हिंदी लेखकों में से एक और आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामा माना जाता है। हरिश्चंद्र को उनकी कविता, और साथ ही साथ गद्य की नई शैली विकसित करने के लिए भी पहचाना जाता था उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। वे एक प्रभावशाली हिंदू “परंपरावादी” थे, जो बढ़ते हुए आधुनिक दुनिया में अपनी परंपराओं के साथ निरंतरता बनाए रखने के लिए कोशिश करते थे। उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया।
1

प्रथम दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

हिमगिरि का शिखर (तीन अप्सरा गान करती हुई दिखाई देती हैं) अप्सरागण.. (झिंझोटी जल्द तिताला) धन धन भारत की छत्रनी। वीरकन्यका वीरप्रसविनी वीरवधू जग जानी।। सती सिरोमनि धरमधुरन्धर बुधि बल धीरज खानी। इ

2

दूसरा दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

युद्ध के डेरे खड़े हैं। एक शामियाने के नीचे अमीर अबदुश्शरीफ खाँ सूर बैठा है और मुसाहिब लोग इर्द गिर्द बैठे हैं। शरीफ : एक मुसाहिब से, अबदुस्समद! खूब होशियारी से रहना। यहाँ के राजपूत बड़े काफिर हैं।

3

तीसरा दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

पहाड़ की तराई (राजा सूर्यदेव, रानी नीलदेवी और चार राजपूत बैठे हैं) सू : कहो भाइयो इन मुसलमानों ने तो अब बड़ा उपद्रव मचाया है। 1 ला. : तो महाराज! जब तक प्राण हैं तब तक लड़ेंगे। 2 रा : महाराज! जय परा

4

चौथा दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

सराय (भठियारी, चपरगट्टू खाँ और पीकदान अली) चप. : क्यों भाई अब आज तो जशन होगा न? आज तो वह हिंदू न लड़ेगा न। पीक. : मैंने पक्की खबर सुनी है। आज ही तो पुलाव उड़ने का दिन है।  चप. : भई मैं तो इसी से त

5

पंचम दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

(सूर्यदेव के डेरे का बाहरी प्रान्त) (रात्रि का समय) देवा सिंह सिपाही पहरा देता हुआ घूमता है। नेपथ्य में गान (राग कलिगड़ा) सोंओ सुख निंदिया प्यारे ललन। नैनन के तारे दुलारे मेरे बारे  सोओ सुख निं

6

छठवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

अमीर का खेमा (मसनद पर अमीर अबदुश्शरीफ खाँ सूर बैठा है। इधर उधर  मुसल्मान लोग हथियार बाँधे मोछ पर ताव देते बड़ी शान से बैठे हैं।) अमीर : अलहम्दुलिल्लाह! इस कम्बख्त काफिर को तो किसी तरह गिरफ्तार किया

7

सातवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

कैदखाना। महाराज सूर्यदेव एक लोहे के पिंजड़े में मूर्छित पड़े हैं।  एक देवता सामने खड़ा होकर गाता है। देवता कृ लावनी, सब भांति दैव प्रतिकूल होइ एहि नासा। अब तजहु बीर बर भारत की सब आसा ।। अब सुख स

8

आठवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

मैदान-वृक्ष (एक पागल आता है) पागल : मार मार मार-काट काट काट-ले ले ले-ईबी-सीबी-बीबी-तुरक तुरक तुरक-अरे आया आया आया-भागो भागो भागो। (दौड़ता है) मार मार मार-और मार दे मार-जाय न जाय न-दुष्ट चांडाल गोभक्

9

नवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

राजा सूर्यदेव के डेरे (एक भीतरी डेरे में रानी नीलदेवी बैठी हैं  और बाहरी डेरे में क्षत्री लोग पहरा देते हैं) नी. दे. : (गाती और रोती) तजी मोहि काके ऊपर नाथ। मोहि अकेली छोड़ि गए तजि बालपने को साथ

10

दसवाँ दृश्य

25 जनवरी 2022
0
0
0

स्थान-अमीर की मजलिस (अमीर गद्दी पर बैठा है। दो चार सेवक खड़े हैं।  दो चार मुसाहिब बैठे हैं। सामने शराब के पियाले,  सुराही, पानदान, इतरदान रक्खा है।  दो गवैये सामने गा रहे हैं। अमीर नशे में झूमता ह

---

किताब पढ़िए