“दोहा-मुक्तक”
घर की शोभा आप हैं, बाहर में बहुमान
भवन सदन सुंदर लगे, जिह्वा मीठे गान
धाम धाम में वास हो, सद आचरण निवास
भक्ती भक्त शिवामयी, शक्ति गुणी सुजान॥-१
घर मंदिर की मूर्ति में, संस्कार का वास
प्रति मनके में राम हैं, प्रति फेरा है खास
सबके साथ निबाहिए, अंगुल अंगुल जाप
निशा दिवाकर अरु प्रभा, सबके संग निवास॥-२
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी