(४८)
रति-अनंग-शासित धरणी यह,
ठहर पथिक, मधु रस पी ले;
इन फूलों की छाँह जुड़ा ले,
कर ले शुष्क अधर गीले;
आज सुमन-मण्डप में सोकर
परदेशी! निज श्रान्ति मिटा;
चरण थके होंगे, तेरे पथ
बड़े अगम, ऊँचे-टीले।
15 फरवरी 2022
(४८)
रति-अनंग-शासित धरणी यह,
ठहर पथिक, मधु रस पी ले;
इन फूलों की छाँह जुड़ा ले,
कर ले शुष्क अधर गीले;
आज सुमन-मण्डप में सोकर
परदेशी! निज श्रान्ति मिटा;
चरण थके होंगे, तेरे पथ
बड़े अगम, ऊँचे-टीले।
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दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में एक सामान्य किसान ‘रवि सिंह’ तथा उनकी पत्नी ‘मनरूप देवी’ के पुत्र के रूप में हुआ था। दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहावसान हो गया। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा। दिनकर जी की गणना आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाती है हिंदी काव्य जगत में क्रांति और और प्रेम के संयोजक के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय है विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना एवं जागृति उत्पन्न करने वाले कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है। इनकी इन्ही दो प्रवृतियों का समावेश इनकी उर्वशी और कुरुक्षेत्र नामक कृति में देखने को मिलता हैं. इनकी कृतियों के विषय खण्डकाव्य, निबंध, कविता और समीक्षा रहा हैं. तथा उन्होंने अपनी रचनाओं में वीरों के लिए क्रांति गीत वीर रस से सम्बंधित रचनाएँ लिखी।D