(१०७)
यह भार जन्म का बड़ा कठिन,
कब उतरेगा, कुछ ज्ञात नहीं,
धर इसे कहीं विश्राम करें,
अपने बस की यह बात नहीं।
सिर चढ़ा भूत यह हाँक रहा,
हम ठहर नहीं पाये अबतक,
जिस मंजिल पर की शाम, वहाँ
करने को रुके प्रभात नहीं।
15 फरवरी 2022
(१०७)
यह भार जन्म का बड़ा कठिन,
कब उतरेगा, कुछ ज्ञात नहीं,
धर इसे कहीं विश्राम करें,
अपने बस की यह बात नहीं।
सिर चढ़ा भूत यह हाँक रहा,
हम ठहर नहीं पाये अबतक,
जिस मंजिल पर की शाम, वहाँ
करने को रुके प्रभात नहीं।
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दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में एक सामान्य किसान ‘रवि सिंह’ तथा उनकी पत्नी ‘मनरूप देवी’ के पुत्र के रूप में हुआ था। दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहावसान हो गया। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा। दिनकर जी की गणना आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाती है हिंदी काव्य जगत में क्रांति और और प्रेम के संयोजक के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय है विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना एवं जागृति उत्पन्न करने वाले कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है। इनकी इन्ही दो प्रवृतियों का समावेश इनकी उर्वशी और कुरुक्षेत्र नामक कृति में देखने को मिलता हैं. इनकी कृतियों के विषय खण्डकाव्य, निबंध, कविता और समीक्षा रहा हैं. तथा उन्होंने अपनी रचनाओं में वीरों के लिए क्रांति गीत वीर रस से सम्बंधित रचनाएँ लिखी।D