भारोत्तोलन का पुरस्कार जीत कर,
कह रही थी वो,सबसे रौब में भर,
कितनी भी हों चीजें भारी,
मैं उठा सकती हूं सारी।
तभी तो चमक रहा,
मेरे सिर पर ताज।
वहीं खडा़ था,एक बच्चा बहुत उदास,
बोला -मेरा दिल उठाकर,
अपने सीने पर रख सकती हैं आप?
मेरा दिल बहुत भारी है😔
फिर पापा ने नशे में,
बहुत मारा है माँ को आज।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'