जिसकी होती है लाठी ,
भैंस वही ले जाता है।
योग्य मारा मारा फिरता ,
मंत्री आठवीं फेल, बन जाता है।
हिंदी भी न सही से बोल सके,
वो शिक्षित करने की बात करे।
सब मलते पांव में तेल ,
भैसा गद्दी पर बैठा मुस्कुता है।
चलता है रिश्वत का खेल,
अपराधी खुले घूमते,
निर्दोषों को होती है जेल
जीवन आपका और भाग्यविधाता,
उसका,कोई और ही बन जाता है।
वकील,डाॅक्टर खून चूसते,
घिस जाते चप्पल दौड़ते
गरीब बेचारा न चुका सके पैसा तो,
लाश स्वजन की घर न ले जा पाता है।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'