सोचूं ,विचारूं ,करूं मनन ,
जीवन का है सार क्या?
सबकी अपनी अलग परिभाषायें,
अलग विचार और मान्यतायें।
कुछ कहते जीवागमन,
उत्पत्ति,प्रारंभ ही रुदन।
तो क्या जीवन का सार यही?🤔
विस्तार यही,अभिसार यही🤔
कुछ मानें महज वंशवृद्धि,
परिणय बंधन,प्रणय,मिलन
और संतानोत्पत्ति।
तो क्या इतने तक सीमित जीवन?🤔
कुछ का कहना इतना,
जगत में लेना और देना,
यह टिका आदान-प्रदान पर।
तो क्या स्वार्थ सही?आधार यही?🤔
कुछ के विचार,साधनार्थ संसार,
यहाँ सम्बन्ध सब निस्सार।
उपासना,आराधना,याचना,
तप, त्याग मूलाधार यही?🤔
कुछ जीवन को मानें संग्राम,
हर पहर बस आठों याम,
चुनौतियां करो स्वीकार,
जीवन जीत,नहीं है हार।
कुछ कहें जीवन का कहना,
व्यर्थ काम,थकान सहना,
बैठो,लेटो करो आराम,
वास्तविक संसार का सार यही?🤔
पर मेरे कुछ ये विचार,
भाईचारा ,प्रीति अपार,
आदर,सम्मान,प्रेम नेम,
पूर्ण भावनामय यह संसार।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'।