एक जादू की झप्पी ,एक आलिंगन,
भर जाता है प्रसन्नता से पूरा मन।
रोम-रोम में एक नयी पुलकन।
एक ताजगी का अहसास ,एक उमंग।
जैसे घोला गया हो स्नेह में मधु और मिसरी
होती है न अनुभूति,कुछ ऐसी ही।
ऐसा अहसास जैसे भूखे को अन्न।
होती है ये ब्रह्मास्त्र रूठे को,
झट से मना लेने की ।
क्रोध को पिघलाने की।
अपना काम बनाने की।
जादू की झप्पी ही है जो,
खत्म करती है रिश्तों का तनाव,
भर देती बडे़ से बडा़ घाव।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'