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gazal

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❤️❤️❤️❤️❤️💘💘💘💘💘💘💘अगर किस्मत में लिखी होगी सच्ची मोहब्बत ,तो मिल ही जायेगा ,वरनाख़ाक भी छान लोगे तो भी नहीं मिल पायेगा✍🏻❤️

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ये दिल आवारा नहीं तुम्हारा है❤️❤️जाहिर है दिल मेरा ही है पर ,कम्बख्त धड़कता सिर्फ तुम्हारे नाम से है💗✍🏻रितिका सिंह सिकरवार " अवनी "😍

🏡🏡🏡🏘️🏘️काम से फुरसत पाया ,भीड़ को चिरते ,जान जोखिम में डालसड़क पर तेज रफ्तारपहुचाँ घर🏘️बिस्तर पर काँटो सी चुभन ,मिलता नही सुकूनकाँटने को दौड़ता घरजो सोचा वह घर कहाँ ?भाग - दौड़ की जिंदगी हैधन बट

💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘दोस्तों के साथ हम सारे दर्द को भुला देते है ।हर शाम मेंरे दोस्त मुझे हंसा देते हैं ।आकर मेरे हाथों में जाम थमा देते हैं ।🍷🍸🥃🥂🍾कहते हैं यार दो पल की त

उम्र के किसी मोड़ पर, इश्क़ मैंने किया था कभी.प्यार में किसी के सुनहरा, दौर मैने जीया था कभी.ये मेरी कहानी, जरा है पुरानी, जो तुम सुन रहो, तुम्हे है बतानी, बात है उस वक्त

तुम... तुम बस साथ दो मेरा... मुझे येह कहना हैं... थाम लो हाथ मेरा... मुझे तुम्हारे साथ रहना हैं... दूर करके तुम्हारे गम... मुझे खुशी तुम्हे देनी हैं... साथ दो मेरा हर मोडपर... यही बात दिल से बतानी ह

हमारी अधूरी प्रेम कहानी भी कितनी अजीब थीनही देखा कभी उसे लेकिन उसके करीब थीनही छुआ उसे कभी अपने हाथों से एक बार भीफिर भी उसके बदन की खुशबू साँसों में मेरी थी।न मिली कभी आँखें मेरी उसकी आँखों सेन मिले

राजनीति के चेहरे पर ढाल  बना  धर्म हैंजो जानते नहीं धर्म को कहते उसे धर्म हैं।धर्म, धर्म की कुछ बाते बनाकर देश मेधर्म की आड़ से रखते राजनीति को गर्म है।किन लोंगो के हाथों में सौंपी बागडोर हमन

बस यही एक अफसाना हैं ज़िंदगी का।कोई न देख सका आईना है ज़िंदगी का।।रूप में इसके हकीकत, मंज़िल, ऐतबार।बस इतना ही तो फ़साना हैं ज़िंदगी का।।हर तरफ चर्चा हैं इसके कसर का हीऔर कौन सा बहाना है जिंदगी का।।अंजाम स

अब तुझे तेरी ज़िंदगी की शराफ़त मिल गई।मुझे भी अपने दिल की नई हसरत मिल गई।।न जाने किस ख्वाब से आँखें खुल गई मेरी।ऐसा लगा कि जमाने की हकीकत मिल गई।।कोई बात थी दिल मे उसके और आँखों मे।इस क़दर उसके लिए मोहब्

हर चेहरे पर वक़्त की हकीकत नही होती।जीने के लिए बहाने की जरूरत नही होती।।अंदाज़ा नही हो पाता इंसान की सोच का।प्यार के लिए भी अच्छी नीयत नही होती।।क्या करें गिला शिकवा इन सब बातों का।दिल के आईने में ऐसी

दौर-ए-गर्दिश में अब राहे-वफ़ा न रही।ज़माने में हमें किसी से मोहब्बत न रही।।बहुत कम था फासला दोनों के दरमियाँ।इस दौर में अब लोगो मे हकीकत न रही।।डरता हैं दिल अब यक़ीन के नाम से ही।रिश्तों में भी पहले जैसी

कोई भी यहाँ किसी को समझता नहीं हैं।किसी भी सूरत  से दिल संभलता नहीं हैं।।बहुत मुश्किल हैं जीना तेरे बिन तेरे लिए।हर एहसास में दिल ऐसे पिघलता नहीं हैं।।इस क़दर ख़फ़ा हैं लोग कुछ पूछने से ही।शक से भरे

*#ग़ज़ल-ऐसे भी होते है लोग-*खूब मेहनतकश जो थककर चूर जब होते हैं लोग।चिलचिलाती धूप में पत्थर पे भी सोते हैं लोग।।इंसान है इंसानियत से भी तो रहना सीख लें।हैवान बनके नफ़रतों के बीज क्यों होते हैं लोग।।लौ

जिंदगी के तो अंजान सफ़र में हूँ इन दिनोंन जाने वो कौन सी खबर में हूँ इन दिनोंअक्सर कहता आज मिलता हूँ आईने सेलगता है किसी दूसरे शहर में हूँ इन दिनोंकैसे अहम के दायरे में ठहर सकता है कोईअपने वजूद के ग़म क

सबसे ज़्यादा प्यार हैं मुझे इनसे इन दिनों।कह नही पा रहा हूँ मैं उनसे कुछ इन दिनों।।क्या करूँ समझ न आये दिल की आरज़ू।हर पल बस तेरा दीदार होता हैं इन दिनों।।हर पल सूरत में तेरी ही मूरत का आईना।न जाने कौन

कैसे ज़िंदगी की राहों में दाग़दार हो गये।ऐसे ही लोग रिश्तों में वफ़ादार हो गये।।क्या गिला करें अब किसी भी दरबार मे।हम तो ऐसे वक़्त के नये किरदार हो गये।।किसी से क्या कहते  हम ज़ख़्मी जुबां से ।सब कहां

तेरी आदतों से जन्मा पहला शिकार हूँ मैकिन हालातों से  ढला पहला प्यार हूँ मैं।कुछ नही पास सिवाये हक़ीक़त केनज़र में संवरता पहला निखार  हूँ मैं।चमक तेरी मेरी साँसों में रहती सदासूरत पे दिखनेवाला प

मैं फिक्र करूँ तेरी ये मेरा हक है तू मेरी परवाह भी ना करे ये तेरा हक है! मैं करूँ इंतेजार तेरा बस आठों पहर चाहे हो दिन या हो रातों का कहर मैं करूँ जिक्र तेरा मेरी हर बात में तू मेरी बात ही ना करे ये त

उसकी बाहों में आके बस बिखर जाना चाहता हूँइश्क़ में ना जाने क्यों, मैं अब मर जाना चाहता हूँवो तस्सली देता है, के हूँ संग तेरे, दर पे उसकेबस बन के वक़्त सा, मैं गुज़र जाना चाहता हूँइल्म नहीं,कोई होश नहीं द

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