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gazal

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सबसे ज़्यादा प्यार हैं मुझे इनसे इन दिनों।कह नही पा रहा हूँ मैं उनसे कुछ इन दिनों।।क्या करूँ समझ न आये दिल की आरज़ू।हर पल बस तेरा दीदार होता हैं इन दिनों।।हर पल सूरत में तेरी ही मूरत का आईना।न जाने कौन

कैसे ज़िंदगी की राहों में दाग़दार हो गये।ऐसे ही लोग रिश्तों में वफ़ादार हो गये।।क्या गिला करें अब किसी भी दरबार मे।हम तो ऐसे वक़्त के नये किरदार हो गये।।किसी से क्या कहते  हम ज़ख़्मी जुबां से ।सब कहां

तेरी आदतों से जन्मा पहला शिकार हूँ मैकिन हालातों से  ढला पहला प्यार हूँ मैं।कुछ नही पास सिवाये हक़ीक़त केनज़र में संवरता पहला निखार  हूँ मैं।चमक तेरी मेरी साँसों में रहती सदासूरत पे दिखनेवाला प

मैं फिक्र करूँ तेरी ये मेरा हक है तू मेरी परवाह भी ना करे ये तेरा हक है! मैं करूँ इंतेजार तेरा बस आठों पहर चाहे हो दिन या हो रातों का कहर मैं करूँ जिक्र तेरा मेरी हर बात में तू मेरी बात ही ना करे ये त

उसकी बाहों में आके बस बिखर जाना चाहता हूँइश्क़ में ना जाने क्यों, मैं अब मर जाना चाहता हूँवो तस्सली देता है, के हूँ संग तेरे, दर पे उसकेबस बन के वक़्त सा, मैं गुज़र जाना चाहता हूँइल्म नहीं,कोई होश नहीं द

तुम महलों की शान, इक छोटा मकान हूँ मैंतेरे मेरे रिश्तो में, तुम जमीं, आसमान हूँ मैंआगे तुम्हारे मुस्कुराता हूँ ,जरूरी नहीं ख़ुश हूँये तो आदत है मेरी, दो चेहरे का इंसान हूँ मैंवाह, वाह किये नहीं थकने वा

राहतों की नींद-औ-सुकून मेरे सफर में कहाँतुझे पा लूँ दो घड़ी ही को मेरे मुकद्दर में कहाँमुझे उलझा के ही गया है इश्क़ का धागा औरजा के तेरी ही गली में खोजू मेरा घर है कहाँहर आते जाते अजनबी काफ़िले का हिस्सा

हर दर्द की कसक, मैं इक आह से सेक लेता हूँबेगुनाह अश्क़ कागज़ पर गिराता हूँ फेक देता हूँज़ब जहाँ तमाशा सी लगती है ज़िन्दगी मुझे मेरीउठता हूँ महफ़िल से, ख़्वाबों को लपेट लेता हूँजिस चीज की, हैसियत नहीं है मेर

हाल गर्दिश के सितारों सा हैदिल उलझें हुए तारों सा हैइक तरफ सांस बोझिल है मिरी दूसरी तरफ बेफिक्र आवारों सा हैउनकी हवाओं का रुख ना करवो शहर इश्क़ के मारो का हैकिसकी बनी है जो तू बना लेगाइश्क़ उतरते-च

हमें जिंदगी की हसरतें कम ही चाहिएख़ुशी को ख़ुशी नहीं इन्हें गम ही चाहिएतेरे रूखे मिजाजों से तंग हैं ऐ जिंदगीतू जो भी अंदाज दे मगर नरम ही चाहिएतेरी गर्दिशों की धूल से लिपटा हूँ ऐसेमेरे आईने को भी मेरी आँ

कितना दुश्वार था तेरे बिन रहकर ये हुनर रखते हैं  मुझ से ही फ़ासला रखना मुझे अपनाना आम बात है.... दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद नहीं हैं भूल जाएगा ये इक दिन तेरा याद आना आम बात है.... तेरे

यादों का बवंडर आज दिल में फिर से उठा है  रेशमी जुल्फों की महक से "हरि" जी उठा है  हाथों में हाथ था, एक तेरा वो दिलकश साथ था आंखों के आगे वो हसीन मंजर जीवंत हो उठा है  तेरे लबों पे सजता

जिम्मेदारियों का बोझ पाकर ख्वाब अधूरा हो गया वह बचपन का खेल ना जाने कहां गुम हो गया..... वह गांव और गलियां सब अजनबी हो गया वह सब मेरे दोस्त और लड़कपन जाने कहां गया...... मिट्टी और खपरैल का वह घरौंदा

तुमसे मिलने की तमन्ना दिल में छुपाए बैठे हैं कितने नादान हैं जो ऐसे ख्वाब सजाए बैठे हैं फलक पे बैठी हुई एक परियों की रानी हो तुम बेदर्द जमाने के हाथों अपने पर कटवाए बैठे हैं ख्वाबो

बेवफा मोहब्बत से थक गए अब रोने दो आँसू निर्दोष है इन्हें बस बहने हि दो..... 💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 मोहब्बत में अब गम का अंधेरा छाया है जख्म मोहब्बत के भी सीने दो...... 💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔 चुप्पी छ

हदों को लांघने का देखो रिवाज चल पड़ा है  इसीसे तो दुखों से आज बेहद पाला पड़ा है  सागर भी भूल रहे हैं अपनी हदों की सरहदें छूने को आसमान "सुनामी" सा आ खड़ा है  हदों से बाहर निकल के नंगा न

यदि प्रेम जग में नहीं होता तो मिलते सीता राम कहां अगर प्रेम का रोग नहीं लगा होता तो मिलते राधा श्याम कहां....... नफरत की इस दुनिया में प्रेम सी सुंदर छाँव कहां नफरत जैसा नहीं विराना

लोग अपने दिलों में नफरतों का लावा भर रहे हैं  पत्थर के रूप में ज्वालामुखी के फूल झर रहे हैं  इंसानियत से बहुत बड़ा बना दिया है मजहब को  मानव का वेश धर के यहां वहां दानव विचर रहे हैं&nbs

🌷🌷🌷 जब कोई अपना ही.........................बात करने का अंदाज़ बदल ले.............. तो औरों से क्या उम्मीद.....!!!🥀💔🥺🌿🌿🌿🌿🌷जब कोई अपना दूर चला जाता हैं,,,,,,🍁🤍तो बहुत तकलीफ होती हैं,,,,💔🌷

मैंने तुम्हारी सादगी से प्रेम किया, यह वह हीरा है जिसे पाकर मैं स्वर्णिम हो गई........... 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 मैंने तुम्हारी उत्कृष्टता से प्रेम किया, यह वह दीप्ति है जिसे पाकर मैं प्रेममय हो गई

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