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gazal

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एक रंगीन किताब है ..! फर्क बस इतना है कि, कोई हर पन्ने को दिल से पढ़ रहा है; और कोई दिल रखने के लिए पन्ने पलट रहा है। हर पल में प्यार है हर लम्हे में ख़ुशी है ..! 

🌷🌷🌷🌷मेरी दुआओं में इतना असर हो.........तुम खुश रहो हमेशा चाहे इस जहां में........................ हम रहे ना रहे पर तेरी खुशियों की दुआ जरूर करेंगे................!!!!🥀❤️🍁🍁🍁🍁🍁🍁🌹🌹सुन जरा ए

🌷🌷🌷🌷वो शाम ही तो मुझे.................... हर रोज़ घुट _घुट कर मरने के लिए...................... मेरी जिंदगी में एक श्राप बनके आई थी..............!!!🥀💔😔🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🤍वो शाम ही कुछ ऐसी थी म

🌹🌹🌹जुदा तुम हुए पर बेवफ़ा हम हो गए भूल तुम गए पर भुलाने का इल्जाम हमे लगा गएएक हम थे जो तुमसे प्यार करते रहे पर तुम तो किसी और के प्यार में गुम थे.......!!💔🥺🌷🤍🌷🤍🌷🤍🌷🤍🌷💔दिल के करीब आ

🌷सारी रात जाग के मैं,,🤍यही सोचती रहतीं हुं,,🌷की क्या हम इत्ते बुरे हैं...!!🥀🥀🤍कि सब मुझे छोड़ के चले जाते हैं,,🌷मेरा मन तो करता है कि कहीं दूर,,🤍चली जाऊं जहां से कभी ना आ सकूं,,🌷कोई ऐसी जगह ज

🌷🌷🌷ये छोटी _छोटी आंखे भी कितने राज छुपाए होती हैं..............................चाहें खुशी के हों आंसू.................... चाहें गम के हों दोनों ही एक जैसे होते हैं................!!!!🥀💔🍂🍂�

एक शाम  वो हसीन  सी ,मुझे याद है तुम्हे शायद  नही,जब आती थी पाने राहत सी,जो अब न मुन्तजिर है तुम्हे  रही,,बस दिन  ही तो कुछ  बदले,है।तुम हो अमीर संग  किसी,मै भले ही

===============================दिल के हकीम दिल के दर्द को बढ़ा गया,राह ए वफ़ा में झूठी अदाएं  गढ़ा गया ,कहकर मुझे हमदर्द छलावा किया मुझसे,फिर अपनी दगाओ के भेंट वो चढ़ा गया ।==========================

*ग़ज़ल-रुला देते हैं*इस तरह लोग मोहब्बत में दगा देते हैं।दिल को तड़पाते है और रुला देते हैं।।वोट की खातिर गधों को भी मना लेते हैं।जीत के बाद ही जनता को भुला देते हैं।।वो तो हैवां हैं जो इंसां की मदद क

बहर-बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफमीटर- मुफाइलुन फायलातुन मुफाइलुन फलुन1 2 1 2   1 1 2 2   1 2 1 2।   2 2                गज़लहमें मि

( मेरा बच्चा मुझसे बड़ा हो गया है--गज़ल )सूर्य ही ,आसमां  का ख़ुदा हो गया है,अब मेरा बच्चा मुझसे बडा हो गया है ।कल उजालों के सम्मान में गाने गाये,आज मुझसे अंधेरा ख़फ़ा हो गया है।क़ैद होने लगे रिश्ते अल

हम मिलेंगे उसे ये याद है,दूर तो है मगर थोड़े आसपास हैं ।करीब बैठे तस्वीरों को देख सोचते हैं बहुत,हम मिले तो नहीं मगर बहुत ख़ास हैं ।सुकून उसके बाद भी रहेगी मालूम नहीं मुझे,मगर दिलासा देने वाली होगी ये

कब तक किसी से बिछड़ कर उसे कोसते रहोगे, मोहब्ब्त हसीन लम्हा है कब तक उसे बेहुदा कहोगे ।ज़िंदगी का दस्तूर है कि बिछड़ना जरूरी होता है,तभी तो किसी ख़ास क़रीब से मोहब्ब्त करोगे ।लम्हें वैसे नहीं होत

क्या लिखूं मैं तुझे की मैं तुझे याद रहूॅं ,बुने अल्फाजों में तुम्हें हमेशा याद रहूॅं ।बचपन,जवानी,बुढ़ापा सब बीत जीती है,बारिशों की बूंदे छू कर कहीं खो जाती है ।घर की चौखट में कभी मैं अब तन्हा बैठा,लम्

ज़िंदगी आज हम हैं कल कोई और होगा ,हम नही भी हुए तो क्या, हमशे बेहतर होगा ।ये वक्त , वक्त की हर इक बातों पर छोड़ दो,वो कभी हमशा होगा तो कभी तुमसा होगा ।ख़्यालों का समां होगा बावरा सा मन होगा,गुजरेंगे ल

जिसे देखो शहर में मोहब्बत का मारा हो गयाजाने कैसे फिर वो अजनबी बेसहारा हो गयाहमने देखे हैं चॉंद के करीब सितारें बहुत सेघर लौटे तो पता चला ज़हर ज्यादा हो गयासोचो कि मोहब्बत में क्या असर हुआ होगापरिंदों

आखिर ठहर कर क्या देखते इस ज़माने में,सब बेघर हुए थे अपने छोटे से आशियाने से ।ऊंचे-ऊंचे दरख़्त देखे हर जगह हर तरफ़ मैने,फिर उसे काटते इंसान के बहुत से प्यादे देखे ।जा रही थी दरख़्त की जान ऐसे ज़माने दे

कब तक देखते आसमॉं में सितारे मुसलसल ,अब सितारा सुबह होते कहॉं गुमनाम हो गया ।अनजान से ही थे हम अपने ही शहर में ,ना जाने किन-किन को हमसे काम आ गया ।लिख रहे हर वक्त ख़त एक अनजान शख़्स को,जाने कहॉं से हम

तुम जो पास आये तो किस्मत बदल गई बड़ी नासाज थी तबीयत, अब बहल गई जेठ की दुपहरी सा तपता था अकेलापन घनी जुल्फों की छांव से जिंदगी बदल गई तेरी हर शोख अदा जैसे बहारों का कारवां जमान

मैं दीप जला के रखती हूँरातों मे तुम कब आ जाओमैं फूल बिछा के रखती हूँजाने किस मोड़ से आ जाओजाने कैसे मेरी रात कटीबिस्तर की सिलवट से पूछोरोए हम रातों मे कितनामेरी आँखो की लाली से पूछोबेचैनी बढ़ती है दिल

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