हम इस सुंदर संसार में रहते हैं , अपने मनमाने क्रियाकलाप करते हैं ! संसार को इतना सुंदर किसने बनाया ? यह विचार करने वाली बात है कि यह सारा संसार भगवान की कृपा अर्थात *भगवत्कृपा* से ही बना है ! यदि *भगव
कोई ‘नराकार ब्रह्म’ (राम, कृष्ण) को भजता है , तो कोई ‘निराकार ब्रह्म’ को; परन्तु कलियुग में मनुष्य के पाप-तापों की शान्ति ‘नीराकार ब्रह्म’ से ही होती है ।हिन्दी में ‘नीर’ जल को कहते हैं । ‘द्रव’
एक अति प्राचीन मंदिर जहाँ स्त्री रूप में होती है हनुमान जी की पूजा आपको सुनकर आश्चर्य लगेगा, लेकिन दुनिया में एक मंदिर ऐसा भी है जहां हनुमान पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के वेश में नजर आते हैं। यह प्राचीन
‘जिसके हाथ सेवाकार्य में लगे हैं, पैर भगवान के स्थानों में जाते है, जिसका मन भगवान के चिन्तन में संलग्न रहता है, जो कष्ट सहकर भी अपने धर्म का पालन करता है, जिसकी भगवान के कृपापात्र के रूप में कीर्ति ह
श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने प्राग्ज्योतिषपुरी के राजा नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने 16 हजार स्त्रियों को बंदी बनाया था। नरकासुर के मरते ही वे सभी स्वतंत्र हो गईं। श्रीकृष्ण ने उन सभ