हैं भगवान
यह क्या हो रहा
निर्दोष को सजा मिले
खुले आम घूमें हत्यारा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
कुत्तों को गाड़ी में घूमाते
गायों को नहीं मिले चारा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
यहाँ जरुरत नहीं हत्यारे को ढुढने की
गली-गली मे हैं गौ हत्यारा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
मिट्टी इतनी मंहगी हो गई
पछतावा कर रहा है हिरा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
हिन्दू शाकाहारी हैं तो फिर
क्यों मंछलीया पकड़े मछुआरा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
हैं भगवान क्या तुम भी हो मांसाहारी
नहीं तो फिर
मानव क्यों बली चढ़ा रहे बकरा
हैं भगवान
यह क्या हो रहा
मंशीराम देवासी
बता रहा
कितनी भी हो शक्ति
बुढ़ापा रा हाल बुरा
बस यही समय है
जिसमें जीवन होता पुरा
गलतियों के लिये माफी चाहूंगा
आप बताते रहे
में लिखता रहूँगा
अपणौ छोटो राजस्थानी
----लेखक -----
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर