मेरा प्रकृति से लगाव मुझे लिखने के लिए बाध्य करता है,,की गर्मियों के दिन आ गये हैं,इन दिनों मे पानी को बचाने की आवश्यकता सबसे अधिक रहती है,लेकिन क्या हम सब ऐसा करते हैं,
मेरा आप सबसे क्रबंध निवेदन है कि
आप सब प्रकृति के तहत अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभाए ,
और कोई भी व्यर्थ पानी ने बहाए|||
पानी को बचाने की शुरुआत अपने घर से और अपने आप से करों •--|||
आशा करता हूँ कि आप सब पानी बचाने के लिये जन जागरण करेंगे,,
मेरी एक छोटी सी कविता आप लोगों के इंतजार मे •-----||||
•----प्रस्तुत हैं -----•
बहता नल यह कहता है,
व्यर्थ मे ना मुझे बहाया करों ,,
खुद भी समझो इस बात को ,
औरों को भी समझाया करों ,,
देख बहता व्यर्थ मुझे,
तुम सब मिलकर एकत्रित करों,,
वर्तमान की चिंता छोड़ तुम
भविष्य की अब चिंता करों,,
बहता नल यह कहता है,
व्यर्थ मे ना मुझे बहाया करों ,,
पृथ्वी की सतह पर बहुतायत ,
इस का तुम ना अभिमान करों,,
जगत पुरा इस पर निर्भर,
इस बात का तुम ज्ञान करों ,,
जल हमारा जीवन हैं
जीवन की हमेशा रक्षा करों ,,
बहता नल यह कहता है,
व्यर्थ मे ना मुझे बहाया करों ,,
खुद भी समझो इस बात को ,
औरों को भी समझाया करों ,,
पानी की कहानी
तुमने नहीं जानी
कितना कीमती हैं
जीवन के लिये पानी
पूछो उनसे जिन्हें
एक बूंद से मिली जिन्दगानी
प्रत्येक व्यक्ति को अब समझाना हैं
पानी अनमोल वस्तु हैं।
अब इसे बचाना हैं •------|||||||
•-----------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुंदा -जोधपुर
📱 9730788167