कवण सारु न्यारी बात रो कांई हैं।
म्हारे कने ----------
कारण अेकई हो के अैड़ो कांई हुई सकै ।
म्हारै कनै------
जकौ म्हें लिख सकूँ अर वो बीजा रे बांचणजोग हुए सकै ।-----------
तो म्हारै हिये मे। हिलौरा लेती एक बात उपजी
की म्हारी पिछाण बताये दूँ । म्हारा भिड़ुओ ने।
~~~ तो बात सरु करा~~~~~
में कुण हूँ,, कठारौ हूँ ____________
👉 म्हारी पिछाण👈
म्हारो नाम -- मंशीराम देवासी [ हामड़ ]
मंची ,, मंचीड़ो ,,, मंचीयो
म्हारो गांव --- बोरुन्दा
देवासीयों की ढ़ाणी [बोरुन्दो ]
म्हारो जिलो --- जोधपुर [ जोधाणो ]
जोधाणो ,, मरुधर ,, राजस्थान
म्हारौ गांम जोधाणा सु 95 किलोमीटर दूर
नागौर जिला री सीमारेखा माथे हैं
बोरुन्दा - मेड़ता रोड़ माथली बिटण तालाब
[ नाडी ] रे सामली व तारा मिनरल्स रे लारली ढ़ाणी श्री जसाराम जी - जसजी हामड़
हामड़ो री ढ़ाणी रे नाव सु जाणी जावे वा ढ़ाणी
म्हारी ढ़ाणी है ---------
छोटी सी ढ़ाणी है पर सारिी सुख - सुविधा सु सम्पन्न हैं। ---------
बेठै रणो तो लागे कोई सवर्ग मे रेवा हा ----
बठारो संस्कार, वाणी,, मान,, मनवार तो आज भी म्हारी। आत्मा में मौजूद हैं ____
बठै रो आनंद तो ढ़ाणी में जायने ही महसूस कर सका ----------
----- राम राम सा ------