आज सुबह जब अखबार का पहेला पन्ना देखा तो ऐसा लगा कि ईश्वर ने मनुष्य को बनाकर बहुत बड़ी भुल की हैं,,मनुष्य से अधिक तो पशु -पक्षी
प्रेम की परिभाषा समझते हैं,
माफ करना •--ऐसे शब्द बोलने उचित नहीं है लेकिन क्या करें मनुष्य की यह मनमानी लिखने पर मजबूर कर देती हैं,,
एक रोटी के लिए दस कुत्ते लड़ते -झगड़ते जरूर है,पर वो मनुष्य की तरह किसी का सर कलम नहीं करते
वो यह समझते हैं कि कुत्ते कुत्ते भाई होते हैं,,सांप -सांप को नहीं काटता,,शेर शेर को नहीं मारता हैं,
फिर क्यूं मनुष्य -मनुष्य को मारता हैं,
क्या मनुष्य इस बात से अनजान हैं,,
एक दिन उसे भी तो मरना हैं,,
फिर किसने अधिकार दिया है,,
जब ईश्वर स्वयं कहते हैं कि सब अपने -अपने कर्मों के अनुसार फल पाते हैं •--तो तुम्हें पता है क्या यह क्रम वाक्य फल दायक हैं,नहीं !तो फिर क्यों करते हो ऐसे क्रम --??
सारे संसार के मनुष्यों के लिए सबसे बड़ा खतरा आईएसआईएस का आतंकवाद हैं ,यह जानते हुए भी उसमें शामिल होने की होड़ मे मनुष्य दौड़ रहा है,,
सबको यह चिंता सत्ता रही हैं कि भारत - आॅस्ट्रेलिया से मैच हार गया
लेकिन यह चिंता का विषय नहीं हैं,
चिंता का विषय तो यह है कि आज इंसान आईएसआईएस से हार रहा है,
निर्दोष इंसान मर रहा है,,
इंसान आतंकवाद बन रहा है,,
मनुष्य मिट रहा है,
इसे कैसे रोका जाए इस पर विचार करने चाहिये,,
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी
का एक ही लक्ष्य है,आतंकवाद को जड़ से मिटाना,,
उनके मन मे मानवों के लिए दया हैं
उन्हें मानव की पिड़ा का अनुभव है,
लेकिन मानव समझ जाये तो वो अपने अभियान मे सफल रहेंगे,,
ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी नई नई योजनाओं को जन्म दे रहे हैं,,जिससे देश का कोई नागरिक बेरोजगार नहीं होगा,ऐसी उनकी सोच हैं,लेकिन हमारे देशवासी तो केजरीवाल जी के कमाल का इंतजार कर रहे हैं,,
में कहता हूँ कि हम सब कब सजग होंगे और सजग हो कर भारत के
भविष्य को सवारेगें •--
अभी तक पठानकोट दर्द को दिल से निकाल नहीं पाया •--
कि और दर्द भंयकर दर्द से जूझ उठा
सीरिया •-----
और इस दर्द को पाकर में गहरी सोच मे डुब गया •---
IsIs आतंकवादी संगठन ने 280 लोगों को मौत के घाट उतार दिया •-
और 400 से ज्यादा लोगों का अपहरण कर लिया •--
में मेरे देशवासियों को यह संदेश देना चाहता हूँ कि आप कोई भी धर्म से हो लेकिन देश के साथ गद्दारी मत करना,,
अपने देश को अपनी आत्मा समझ कर उसका ख्याल रखना,,
और मनुष्य की भावनाओं को समझने वालों का सम्मान करना •---
•--------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
•--9730788167---•