•--------🙏🙏 सा--------•
एक विख्यात रचनाकार अर खूब भणिया पढ़ीया ,डिगरीयाँ तो फूल - माला रे ज्यूं गळा मे लटकियौड़ी पड़ी रेवै,,राजस्थान रे साहित्य मे खूब चमकियौड़ौ नाव पुरस्कारा सूँ तो गाडा -घोड़ा लदिया पड़िया हैं,,
अर खुद आपरी तो कई पोथीया छापीयौड़ी हैं,, राजस्थान री संस्कृति मे हुकुम रो घणौ योगदान है,,
ऐड़ा महादेव मिनंखा ने जद म्हारी कोई नन्ही सी रचना मिली तो म्हारे बारें मे जाणना री इच्छा हुई,,कईयौ कांई करें मंशीराम,कितौ भणियौ पढ़ियौ हैं,,कठे रेवै हैं,,किती उम्र हैं थारी,कोई सरकारी नौकरी माथे हैं कांई,,जद में बानै म्हारी सगळी जाणकारी प्राप्त कराईं,,तो हुकुम अचुम्भौ करता कईयौ मंशीराम कांई बात करें,ईतो कम शिक्षण थारो अर ईतो मोटो साहित्य ज्ञान थारे आत्मा मे उफान मारे,,हिबौळा खावै,,घणौ घणौ धन्यवाद थनै अर थारे मात-पिता ने ,,
अर ओरुं भी घणा भाईड़ौ ने म्हारी कविता अर म्हारो लेखन घणौ दाय आयौ हैं,,म्हारी मायड़ भाषा मे म्हारो लिखणौ उणुतौ ही लोगों रे हिये मे उतरियौ हैं,,,मां सरस्वती जी ने हाथ जोड़ अरदास करुं हैं •----माँ ,,
जीवन रे अंतिम पड़ाव तक मनै इण लेखनी सूँ जोड़ीयौड़ौ राखजै,,
म्हारी लाज राखजै,,
मनै आशीर्वाद देजै ,,
•---------ॐ--------•
कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
दुखीया रो थानै दुखड़ौ दिखाऊँ,,
तपती धुप सूँ लड़ता मिनख बताऊँ,,
कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
लाखों भूखा प्यासा हैं,
सूखीया ने किकर समझाऊँ,,
भूखों हैं भाई म्हारो,
में पेट भर किकर सो जाऊँ,,
क्यूँ में लड़ू किण सूँ
क्यूँ आपस मे किण ने लड़ाऊँ,,
कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
शान्तिः मे सार हैं,,
शान्तिः सूँ जिणौ सबने सिखाऊँ,,
हर घोसलों घर हैं,,
किण रे घर ने क्यूँ बिखराऊँ,,
जिन्दगी थोड़ा दिन री पावणी हैं,
कदई जिन्दगी माथे कोनी इतराऊँ,,
किण बात री नाराजगी
में हमेशा सगळा ने हँस बतळाऊँ,,
कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
तपती धरती माता रे खातिर
में ठोड़-ठोड़ रुंख लगाऊँ,
मिले सगळा ने ई चांदणौ
में जगमग ज्योत जलाऊँ,,
कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
में कोरा कागद माथे कलम चलाऊँ,,
•------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुंदा जोधपुर राजस्थान
📱 9730788167