कैवे आँधो ने अनजान बराबर होवे
एक टेम री बात है
में आज सूँ आठेक भर्ष पहली
तकरीबन सन् 2007 मे नव किताब पढ़ ने पहली बार कोई रे संग
में पुना आयौ --•-
म्हारे वास्ते अठारी रंगीन दुनिया
बिल्कुल नवी कोरे कागद ज्युँ
ही ---
इण कोरे कागद मे कल्पना कोरणी
गणी मुश्किल ही म्हारे वास्ते --
जैसे-•-अंधे को मंजिल तय करना
म्हने सख्त जरूरत ही सहारे री
ज्यूँ बुढ़ा बाबा ने खुंडीया री ----
आखिर प्रभु री कृपा हुई म्हारे माथे
म्हनें एक गुड़ ,खांड ,आटा नमक यानी किराणा री दुकान मे म्हारो भविष्य सुधारने रो मोको मिलीयो
अबे गांव में तो गुड़ ,खांड मोलायड़ा
अर अठे तो सत्तराभिसी चिंजा पड़ी
ईता तो स्कूल री टेम परीक्षा में सवाल ई कोनी होवता--•--
पण अठे नकल करणो पाप कोनी मानता -----
इण वास्ते कमजोर विद्यार्थी भी पास हो जिंवयाता----
थोड़ा दिन बितीया पछे मने भी थोड़ो-थोड़ो ध्यान पड़णे लागो
एक दिन में अर म्हारा सेठ जी
ऊबा हा के सुबह सुबह ग्राहक आयो ऊरो अर एक अटपटी वस्तु मांगी बटरमिल्क सेठ जी कईयो बटरमिल्क लाईदे मंशीराम
और अपाराम तो अणुतां ई फुड़तिळा आदि बात पळे पड़ी ने आदि कोनी पड़ी--
जट ग्यौं फ्रीज कांनी अर
सौऐक ग्राम लियो बटर
दूध लियो आधों लिटर
अर पछे सेठा रे सामी रखदियो
अबे कांई आग मे हाथ गालियां
पछे कांई हुवे वो तो झळणो ई हैं
अबे ग्राहक सेठा रे सामी अर
सेठजी म्हारे सामी एक नजर ताकें
दोनों रो रुख देख ने में समझ तो
गयौ की
म्हारे सूँ कांई गळती तो होयगी
सोचण लागो
कठई दूध री थैली
गाय री ज्गयां भैस री नहीं आयगी
में भिचार करतोईज हो जिते तो
ईति किने स्हेन हुवे---•-
आव देखीयो नी ताव सेठजी तो शरु होग्या --•--
भाई आ कुण कैवे
मिनकी ने ऊधरो दिखे और वा
झपटी कोनी म्हारे --•-
अबे करा तो करा कांई। नौकरी रो सवाल--•-
मने ध्यान कोनी हो के सेठ जी
अपणी बडाई सुण ने घणा खुश होवे
में तो बात काटतांई कईयौ सेठ जी ओ बटरमिल्क कांई हुवै --•--
सेठजी म्हारो भोलापणौ देखता थका कईयौ -अरे गेळा
-•-भिळोवणा री छाछ होवे छाछ-•-
ओ बटरमिल्क तो अंग्रेजी शब्द है
जद में पुछण लागो सेठजी थे
किती किताब पढ़ीयोड़ा हो-•-
सेठजी रो जवाब सुण में तो अचुम्भा मे पड़गियौ
सेठजी कईयौ बेटा में तो अँगूठा छाप हूँ बिल्कुल अनपढ़ -•-
सेठजी रे इण शब्दों सूँ किशोरावस्था में ही मनै दुनियारे सत्यरो पतो चल ग्यौ में समझग्यौं
आ सारी पढाई लिखाई तो जीवन री आस्था हैं इण सृष्टि में ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक बुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है. लोगो को समझना ज़रूरी है. लोगो से सिखना जरूरी है .हर परिस्थितियों को सम्भालना जरूरी है मनोबल बनाए रखना जरुरी है --•--
और फिर में तो लाग्गों म्हारी मंजिल री दोड़ मे वैसे तो म्हारी रुचि आम जन जीवन से जुड़ा लिखणे री है पण आप बीती जद आँखिया रे सामने भटकें तो अपने आप री लिखीज ज्यावै-•-
आपसूँ अनुरोध करु म्हारे विचारों
ने मजबूत बणाने वास्ते आप
म्हारो मार्गदर्शन करो--•--
आपरा विचार ही म्हारे प्रयास
और स्वपन ने साकार बणा सकेला
म्हारी सुणलो थे आवाज़
म्हारे शब्दों री राखजो लाज
छोड़ में म्हारा काम-काज
कविता री करु मे गणी साज
•--------धन्यवाद सा --------•
•-----विचारक-----•
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
9730788167