[: बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ •------
रंग का भेदभाव,,,,,
सबक
काले को छोड़ गोरे से रिश्ता
बनाना क्या जरूरी है ----
ऐ औरत अभी तो तेरी
पैदाइश अधूरी है ----
क्या वो गोरा होगा
या वो भी काला होगा -----
कोई जब उसे भी नहीं अपनायेगी
तब तेरे दिल पर क्या गुजरेगी -----
क्या तूने सोचा है
जिस दिन तेरी मृत्यु होगी ------
वो राख भी काली होगी _____
तु सवर्ग मे चली जाएगी ------
ऐ इतराती लुगाई -----
ईश्वर ने वहां पर भी एक बैठक बुलाईं
तेरे कूकर्मो की बोली लगाई
फिर भी तु नहीं समझ पाईं -----
तुझसे पूछा गया कैसा होना चाहिए पति
तु गोरा गोरा चिलाई---------
तब भगवान ने तुझे माँ कालका दिखाई
फिर तूझे रचना समझ मे आईं --------
फिर तु कन्या के रूप मे पृथ्वी पर पाईं -----
गोरे इंसान ने खुशीया मनाई लेकिन
काला इंसान तो आज भी तुझे माने पराई-----
याद रहे •---
ईश्वर की देन से खिलवाड़
करना खेद हैं •--
आज नहीं तो कल यह
जीवन केद हैं •----
तो अब मुझे इजाजत दीजिए
फिर मिलेंगे कुछ नई और कल्याणकारी रचनाओं के संग
•-----धन्यवाद सा -----•
•------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
📱 9730788167