ना कोई थारी ना कोई म्हारी
या बात है सब जणौ री
सब जणा एक ही बीमारी
लाईं लागौड़ी पैसों री
पैसों रे बल पहलवान बाजी हारी
बिक गया सत्य रा पुजारी
पैसा थारी बात है न्यारी
भुल गया बचपन की यारी
ना कोई थारी ना कोई म्हारी
या बात है सब जणौ री
सब जणा एक ही बीमारी
लाईं लागौड़ी पैसों री
आज संकट मे है माता,बहन हमारी
नित रोज जन्म ले रहे है बलात्कारी
नेता सो रहें है निंद कुंम्भकरण री
घर का भेदीं लंका लुट रहे सारी
वही भूमिका निभा रही यह
कौम आतंकवाद री •---
ना कोई थारी ना कोई म्हारी
या बात है सब जणौ री
सब जणा एक ही बीमारी
लाईं लागौड़ी पैसों री
कोई अगर हो राज रा अधिकारी
मत करजौ म्हारे शब्दों
माथे तकरारी,,
क्योंकि सत्य लिखणौ
मानूँ में म्हारी जिम्मेदारी
डियूटी करे अधूरी
पगार पावै अे पूरी
अपनी अपनी जिमा का गलत
फायदा उठाते राज के कर्मचारी
यह सफेद,काली अर खाकी
वर्दी लूट रही दुनिया सारी
पाप की कमाई से भर रहिया
अपने घर और तिजोरी,,
ना कोई थारी ना कोई म्हारी
या बात है सब जणौ री
सब जणा एक ही बीमारी
लाईं लागौड़ी पैसों री
कुछ शब्दों की सहायता कर रहा हूँ,
जिससे पढने और समझने मे आसानी होगी,,•-----|||
थारी ==आपकी
म्हारी ==मेरी
जणौ री ==सभी जनों की
लाईं ==आग
लागौड़ी ==लगी हुई
न्यारी ==अलग
यारी==दोस्ती
राज==सरकारी
करजौ==करना
म्हारे ==मेरे
माँनू==मानता
जिमा==जिम्मेदारी
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•----------विचारक
भाई मंशीराम (रेबारी) देवासी
बोरुंदा जोधपुर राजस्थान
📱 9730788167