जीवन री जरूरतों को पूरी करने की भागदौड़ मे बहुत कुछ पीछे छूट जाता हैं,,लेकिन कमजोर दिल की वजह से दुनिया के दुख का दर्शय देख पाना मुश्किल होता हैं,,इसलिए एक बार फिर पेश कर रहा हूँ,,
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•-----जलसंकट ------•
जल जमीन का शृंगार हैं,,
जल जीवन का आधार है,
जल के बिना सब बेकार है,,
जीवन की व्यवस्था करने से पहले जल की व्यवस्था करों,,क्योंकि जीवन की सारी व्यवस्था जल पर निर्भर है,जल की सभी जीवों को जरूरत है,जल हैं तब तक यह पृथ्वी हैं,जल के बिना यह धरती भी बिन आत्मा के शरीर के समान हैं,,अगर आप कल का सोच सकते हो तो जल का भी सोचों क्योंकि कल सबसे बड़ी जरूरत जल की हैं,, बुद्धिजीवियों का मानना है, जल नहीं तो कल नहीं, अरे में कहता हूँ, जल नहीं तो एक पल नहीं,, जलसंकट नहीं आज जल ही संकट मे है, जरा सोचें हम सब जल को लेकर कितने जाग्रत हैं,, हम जरूरत से ज्यादा जल उपयोग करते हैं,नहाने के लिये एक बाल्टी पानी काफी हैं,लेकिन नहीं हमें तो चार पाँच बाल्टी पानी बहाना जरूरी हैं,,
में यह नहीं कहता कि जल के लिए रोना बन्द करना है,तो धोना बन्द करना पड़ेगा,,लेकिन उसके लिए भी जरूरत से ज्यादा पानी मत बहावौ,,
और यह बात सबको बताऔ ,,
जल की बचत के लिये जनता से ज्यादा सरकार को जागरूक होना चाहिए,,बारिश के मौसम मे हो सकें उतने जल एकत्रित करने के स्रोत बनाने चाहिए,,लेकिन नेता लोग तो
पानी की चिंता छोड़ पैसे,प्रोपर्टी जोड़ रहे हैं,जिससे किसान एवं गरीब लोग
अपना दम तोड़ रहे हैं,,महाराष्ट्र के लातूर जिले मे जल की भंयकर समस्या बनी हुई हैं,वहाँ पर लगातार तीन साल से अकाल की स्थिति बनी हुई हैं,,में दुखी हूँ,इस बात से की इतनी बड़ी सरकार के पास अकाल का कोई निकाल नहीं हैं, गरीबों के दुख को बांटने का समय नहीं है, उनकी पिड़ा को समझने का समय नहीं है,,निर्बलों की सहायता करने का समय नहीं हैं,सुनाई नहीं देता इनकी दर्द भरी चीखें,प्यास के कारण मर रहे हैं लोग,सबकी एक ही आस हैं,एक ही रटन हैं,असमान से लेकर जमीन के अन्दर तक नज़र गढाये खेड़े हैं,,कहीं पर उपर या निचे पानी दिख जाये तो थोड़ी राहत मिले,,आपने एक एक बूंद को बरसते हुए तो देखा होगा,लेकिन एक एक बूंद के लिये किसी को तरसते हुई नहीं देखा होगा ,,जिस दिन देख लेंगे आप पानी की परवाह करने लगेंगे,,प्रभु के मूर्ति के आगे माथा टेक हाथ जोड़ कर प्रार्थना करुं,हैं मेरे प्रिय भगवान विष्णु प्रकृति के इस प्रकोप से समस्त जीवों को बचायें रखना,,आप तो दयालु हैं,थोड़ी दया करना क्योंकि हम मनुष्यों की इतनी हिम्मत नहीं हैं,की हम इस तपन मे एक दिन भी बिना पानी जी सकें,,हम गरीबों को एक दिन मे सात आठ लिटर पानी पचाने की शक्ति चाहे मत देना पर प्रभु एक दो लिटर पानी पीने के लिये जरूर देना,,•----🙏🙏
दुनिया के दुख का
मुझे बहुत फिकर हैं ,,
देख मेरे चेहरे से गायब मुस्कान लोग मुझे
कहते हैं मंशीराम यूं किकर हैं,,
•-------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुंदा जोधपुर राजस्थान
📱 9730788167