मैं आध्यात्मिक उपचारक और प्रशिक्षक हूं। मेरे सभी आध्यात्मिक अध्यापकों और मेरे सभी शिष्यों के साथ के कारण मैं इस स्तर पर पहुंच पाई हूँ।आज मेरा यूट्यूब चैनल है, जहां मैं फ्री कोर्सेज और फ्री हीलिंग, मे
खड़ी है दिवारें बिन छत के हैं घर । रात अंधेरी सुबह की तलाश में है घर। नींव गहरी, टूटा फर्श बेहतर अर्श के इंतजार में है। दो कच्चे कांधे, दो दीह का बोझ संभाले, ढूंढते हैं संग दिल वर, जहां मिलें उन्हें खुशियों भरा कल। बेचैन रातें, टूटी नींद मां को सोने नहीं देती, ज़मीन कोरी, खुला आसमान छाया नहीं छत की
पापा, जो सायकिल के डंडे पर आगे बैठा कर चढ़ाई पर जोर लगाते थे,बाद में फिर पढ़ाई में आगेबढ़ाने में जोर लगाते थे।मौका आने पर जॉब या बिजनेस के लिए, एक बारऔर जोर लगाते थे।अच्छी सी जीवन संगिनी,तुम्हारे लिए ,समाज केफिर कई फेरे लगाते थे।नए शहर में नया घरबार ,तुम्हे बसाने के ल
वो आई थी मेरे घर, अपना घर बनाने को.. तांक झांक कर देख गई, उठ बैठ कर देख गई, अपना घर बसाने को, वो आई थी मेरे घर, अपना घर बनाने को.. तिनका तिनका बीनने को, दिन पूरा जोड़ दिया, कुछ कम पड़ा तो कुछ और जोड़ लिया। वो आई थी मेरे घर, अपना घर बनाने को.. मेरे घर की आंखें, उसको देखें, उसकी आंखें उनको देखें, थोड़
गुरूद्वारा साहिब जीआप सभी को कभी ना कभी अपने जीवन काल में किसी ऐतिहासिक गुरूद्वारा साहिब के दर्शन करने का मौका जरूर मिला होगा अगर नहीं तो वाहिगुरू जी जल्द से जल्द आपको दर्शन का मौका दें य
हम का दर्द हुआ कम, जब नशें का जाम लगा छलकने पैमाने में। शराबियों का ईमान भी उनके कदमों के जैसा डगमगाता है। मुफ्त में मिलें तो सरकार बदलती है। खरीद कर पिए तो देश की अर्थव्यवस्था बदलती है। अगर बेचकर पिए तो घर के हालात बिगड़ते हैं। चोरी कर पिए तो चरित्र की काया बदलती है। संसार का सबसे प्यासा, यही बेचा
जानू की बाते।कोरोना कोरोना सब कोई कहे, भूखा कहे न कोई।एक बार मन भूखा कहे, सौ दो सौ की भीड़ होए।मोदी अंदर सबको रखे, घर से बाहर न निकले कोई।मन की बात मोदी करे, सो बाहर उसकी चर्चा होए।मम्मी एफबी में लिपटी रहे, बेटा-बेटी बैठे टीवी संग।साथी शिकायत करने लगे,पापा नौकरी से आए तंग।एक बार सिंग्नल मिले, भीड़ स्ट
चारों ओर कोरोना का शोर है। घर में ही रहों,पाबंदियों का दौर हैं। यहां अन्नदाता कमजोर है। नई नई दलीलों पर जोर है। घर में ही रहों,पाबंदियों का शोर है। यहां मजदूर कमजोर है। मजदूरों के बल पर बने बैठे, मालिकों का शोर है। घर में ही रहों, पाबंदियों का दौर हैं। कोरोनावायरस की चपेट में आ रहे लोग हैं। एक से हज
गली, मौहल्ले, गांव, कस्बा, शहर, प्रदेश, देश। सभी जगह है लाकडाउन। सभी जरूरी काम, मीटिंग, स्कूल, कालेज, आफिस हुए लाक। सभी जगह है लाकडाउन। राशन, दवाईयां, घर में रहना हुआ सबसे ज्यादा जरूरी, सभी जगह है लाकडाउन। घर में रहकर, तोता उड़, चिड़िया उड़, कैरम, गीटे, सांप-सीढी, लूडो गोटी, पासा बच्चों के संग खे
लडकिया चिडिया होती हैं, पर पंख नही होते लडकियों के। मायके भी होते हैं, ससुराल भी होते हैं; पर घर नहीं होते लडकियों के। माँ-बाप कहते हैं बेटियां तो पराई हैं, ससुराल वाले कहते है कि ये पराये घर से आई हैं। भगवान! अब तु ही बता- ये बेटियां किस घर के लिए तुने बनाई हैं। -
लड़किया चिड़िया होती हैं, पर पंख नही होते लडकियों के। मायके भी होते हैं, ससुराल भी होते हैं; पर घर नहीं होते लडकियों के। माँ-बाप कहते हैं बेटियां तो पराई हैं, ससुराल वाले कहते है कि ये पराये घर से आई हैं। भगवान! अब तु ही बता- ये बेटियां किस घर के लिए तुने बनाई हैं।
घर हैं, तेरा भी कही?उठते सागर की लहरों में, दिखती दिखती रही वह|बहते पसीने की बूंदों में, लिपटकर सूख जाती हैंवह|खाए हमने बहुत उसके झोंके,पेट को भूखा रखती वह| यहसबसे कहता रहा, इस जहाँ में भूखो मरता रहा| अपनी जान समझ, जीने के लिए उसके साए में रहा|करती वह भी गुमान कभी, रुक कर किसी डाल में|इस जमी में नाम
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भाभीजी घर पर है की कहानी में, विभूति हमेशा अनीता को किसी न किसी तरह प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए ऐसा करना संभव नहीं है। लेकिन किसी को यह स्वीकार करना होगा कि इस जोड़ी का रोमांस लोकप्रिय बॉलीवुड गीतों से पूरी तरह से अलग है। यह उन बहुत ही गीत हैं जो
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भाभीजी घर पर है की कहानी में, विभूति हमेशा अनीता को किसी न किसी तरह प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए ऐसा करना संभव नहीं है। लेक
चोर की परिभाषा ?डॉ शोभा भारद्वाजएक प्रसिद्ध चैनल में गरमा गर्म बहस चल रही थी सभी उत्साहित थे ‘भारत सरकार की कूटनीतिक विजय’ पाकिस्तानी आतंकी मसूर अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया चीन ने अपना वीटो वापिस ले लिया |बीच –बीच में नारे लगाये जा रहे थे है हरेक उत्साहित था भारत की कूटनीतिक विजय बहस खत्म
प्रतिष्ठित & टीवी शो, भाभीजी घर पर हैं के निर्माता बेनिफर कोहली इस बात से बहुत खुश हैं कि यह शो जल्द ही चार साल (2 मार्च) पूरा करेगा। “यह पूरी तरह से टीम का प्रयास का नतीजा है। पति संजय (जो रचनात्मक को संभालता है), लेखक (मनोज संतोष), निर्देशक (शशांक बाली), कलाकारों और हमा
हार कर घर कर गई ।बना रहा था याद मे उसकी तस्वीर जो कभी मिली नहीं।गुम था उसी की यादों मे जो कभी बोली नहीं। चाहत थी उसे पाने की फूलो की तरह, वह फूल नहीं, माला बन गईं न जाने किसके गले का हार बन गई। हार गया उसे भी हार मे। हार के बगीचे मे बैठे सोचता रहा उस हार के बारे मे जो कभी अपना हुआ नहीं । रात भी गुजर
Monday, November 12, 201!! घर वापसी !! चलो माना की कानून बनाकर हलाला बंद करवा दोगे पर जो १४ सौ सालों से नस्ल खराब होकर बने उस गंदे खून को कैसे साफ करोगे....? Family Tree बनवाकर देख लो, कुछ को तो अपने बाप-दादाओं तक का पता नही होगा। मुल्लियों को एक मुफ्त मे सलाह द
लोग अपने घर में मौजूद भगवान रूपी माता-पिता को छोडक़र उन अदृश्य भगवान की खोज में तीर्थस्थलों पर मारे-मारे फिरते है. या अपने घर में मौजूद मॉ को दुखी छोडक़र पूरी रात मां का जाग
जैसा की मैंने आपको बताया, मेरा जन्म भदोही जिले के एक छोटे से गांव मोहनपुर में हुआ, जो बहुत ही सुंदर और प्रकृति से भरा है। मेरे गाँव की भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है की यह भदोही और इलाहबाद जिले के बिच में है | इलाहाबाद कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह जगह प्रयाग कुंभ मेला और कई अन्य सांस्कृतिक विरास