(क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय) अर्जुन उवाच प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च । एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे केशव! मैं आपसे प्रकृति एवं पुरुष
(अर्जुन के शोक का कारण) संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ (१) भावार्थ : संजय ने कहा - इस प्रकार करुणा से अभिभूत, आँसुओं से भरे हुए व्याकुल नेत्
गीता औरदेहान्तरप्राप्तिश्राद्ध पक्ष में श्रद्धा के प्रतीक श्राद्ध पर्व काआयोजन प्रायः हर हिन्दू परिवार में होता है | पितृविसर्जनीअमावस्या के साथ इसका समापन होता है और तभी से माँ दुर्गा की उपासना के साथ त्यौहारोंकी श्रृंखला आरम्भ हो जाती है – नवरात्र पर्व, विजयादशमी,शरद पूर्णिमा आदि करते करते माँ लक्
गीता– कर्मयोग अर्थात कर्म के लिए कर्म “गीता जैसा ग्रन्थ किसी को भी केवलमोक्ष की ही ओर कैसे ले जा सकता है ? आख़िर अर्जुन को युद्ध के लिये तैयार करनेवाली वाली गीता केवल मोक्ष की बात कैसे कर सकती है ? वास्तव में मूल गीता निवृत्तिप्रधान नहीं है | वह तो कर्म प्रधान है | गीता चिन्तन उन लोगों के लिये नहीं ह
..... इंसानियत ही सबसे पहले धर्म है, इसके बाद ही पन्ना खोलो गीता और कुरान का......"जय हिन्द"
अराकू के एमपीकोठापल्ली गीता नेशुक्रवार को नईक्षेत्रीय पार्टी लांच की | उन्होंने पार्टी के लोगो और झंडेका भी लांच किया और उन्होंने यह भी दावा किया कि यहमहिलाओं और उपेक्षितवर्गों का प्रतिनिधित्वकरेगा।गीता ने नईराजनीतिक पार्टी के लॉन्
अर्जुन का महाभारत के युद्ध के समय, युद्ध ना करने का निर्णय अर्जुन का अहंकार था. ज्यादातर लोग उसके इस निर्णय का कारण मोह मानते है, परन्तु भगवान् कृष्ण इसे उसका अहंकार मानते है. जिस युद्ध का निर्णय लिया जा चूका है, उस युद्ध को अब
सनातन धर्म में कर्म और धर्म दोनों की ही व्याख्या की गई है , पर तथाकथित हिन्दू इन दोनों ही शब्दों का अर्थ अपनी सुविधा के अनुकूल प्रयोग करते रहे है. सनातन धर्म की सुंदरता इसमें है कि उसमे सभी विचार समा जाते है. यही कारण है कि लोग
पूजा, उपासना जो बिना स्वार्थ के किया जाए, बिना किसी फल की इच्छा से किया जाए, जो सच्चे मन से सिर्फ ईश्वर के लिए किया जाए वो पूजा सात्विक है , सात्विक लोग करते है. जो पूजा किसी फल की प्राप्ति के लिए की जाये, अपने शरीर को कष्ट द
समय का बोध सिर्फ उनको होता है जिनका जन्म होता है. जिसका जन्म हुआ हो उसकी मृत्यु भी निश्चित है और जन्म और मृत्यु के बीच जो है वो ही समय है. जन्म ना हो तो मृत्यु भी ना हो और समय भी ना हो. समय सिर्फ शरीर धारियों के लिए है , आत्मा के लिए नहीं. आत्मा
भूत जिसे आकाश निगल गया है और भविष्य के बीज अभी आकाश में है, ना तो भूत साथ है और ना ही भविष्य, साथ है तो सिर्फ वर्तमान. भूत और भविष्य पर गर्व वो करते है जिनके पास वर्तमान में गर्व करने को कुछ होता नहीं है. हम क्या थे या हम
(यह लेख इसीशीर्षक से पहले भी प्रकाशित हो चुका है परंतु अब संशोधन कर दिया है)दिनांक 17 जनवरी 2018 के दैनिक जागरण के मुखपृष्ठ पर समाचार है“अंतरजातीय विवाह पर खाप-पंचायतों के हमले अवैध- अंतरजातीय विवाह करने वाले वालेवयस्क पुरुष और महिला पर खाप पंचायत या संगठन द्वारा किसी भी हमले को सुप्रीमकोर्ट ने पूरी
मुसलमानों के द्वारा की गयी धोखेबाजी के प्रमाण। धोखेबाजी मुसलमानोँ के खुन मेँ है।१- मुहम्मद गौरी ने १७ बार कुरान की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहींकरेगा, लेकिन हमला किया…..२ -अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ के राणा रतनसिंह को दोस्ती के बहानेबुलाया फिर क़त्ल कर दिया…..३ -औरंगजे
हर धर्म का अपना एक अलग ग्रंथ है, जिसमें जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का हल छुपा है और यही ग्रंथ हमें एक बेहतर मनुष्य की तरह जीना सिखाते हैं. इन्हीं धर्म ग्रंथों में से एक है भगवद गीता जिसमें हिन्दुओं की गहरी आस्था है. महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान कृष्ण ने ग
सोशल मीडिया पर उठी फिर से जनता की आवाज...न्याय में विलंब क्यों ?आज दिनभर एक ट्रेंड टॉप में चल रहा था जिसके द्वारा हजारों लोग ट्वीट कर रहे थे कि न्याय में विलंब करना भी अन्याय ही है । #न्याय_में_विलंब_क्यों इस हैशटैग को लेकर कई यूजर्स का कहना था कि POCSO कानून का दुरूपयोग
जिला जेल में साध्वी दिवेशा भारती स्वामी योगेशानंद ने किए प्रवचनभास्करन्यूज|यमुनानगरगीताजयंतीके उपलक्ष्य में जिला जेल में सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें साध्वी दिवेशा भारती स्वामी योगेशानंद ने प्रवचन किया। उन्होंने कहा कि गीता में मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। जरूरत
व्यक्ति के जीवन में महत्त्व - यहां भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद व गरिमा के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि वह जिस प्रकार का व्यवहार करेगा, सामान्य मनुष्य भी उसी की नकल करेंगे। जो कार्य श्रेष्ठ पुरुष करेगा, सामान्यजन उसी को अपना आदर्श
loading...केवल वेद ही मनुष्य को मनुष्य बनना सिखाते है, अन्य मजहबी किताबें मनुष्य को मनुष्य बनना नहीं सिखातीये हमारा कहना नहीं बल्कि ये कहना है मेरठ के बरवाला की बड़ी मस्जिद के पूर्व इमाम काजो अब उच्च पंडित महेन्द्र पाल आर्य के नाम से जाने जाते हैबता दें की महेन्द्र पाल आर्
सफलता या असफलता दोनों के लिए ही कोई कारण होता है , बिना किसी कारण के ना तो सफलता मिलती है ना ही कोई असफल होता है . यह कारण मनुष्य को स्वयं बनाना होता है अपने कर्म से . सफलता या असफलता दोनों से ही मत्त्वपूर्ण है कर्म . सफलता से सुख का अनुभव होता है तो असफलता से दुःख का , औ
समस्त नरों में इन्द्र की भांति प्रतिष्ठित व मन में मोद भरने वाले श्री नरेन्द्र मोदी ने, विक्रम संवत 2073 के शुभ कार्तिक मास की नवमी में चन्द्रदेव के कुंभ राशि में प्रवेश के बाद, यानि दिनांक आठ नवम्बर 2016 को समस्त देशवासियों को पाँच सौ