आई एम आल्सो ए डाक्टर डॉ शोभा भारद्वाज न्यूज चैनलों पर कोरोनाकी खबरे सुनना मेरी आदत बन गयी है . सिंगापुर में बेटी का फोन आया माँ पापा अपनाध्यान रखना कोशिश करना घर से बाहर न निकलना पड़े कोरोना में भर्ती मरीज का साथी केवलमोबाईल होता है .चिंता मुम्बई में रहनेवाले बेटे की थी . उच्च पदासीन बेटा वैसे घर
सबसे पहले हम बात करेंगे बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा और संस्कार के बारे में। जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है । वो अपने बड़ों को देखता है और उन्हीं से सीखता है। जो भी परिवार के लोग उसे बताते हैं दुनिया के बारे में वह उसी को सच मानकर चलता है और उसी के आधार पर व्यवहार
अन्न दाता,पेशा – खेती ,अन्न उगाताडॉ शोभा भारद्वाज एक हिस्से में महिलाएं लाल झंडा लेकर बैठी थी किसान आन्दोलन मेंमाओवादियों का प्रदर्शन क्यों ? एकमहिला स्टेज पर रूदाली बनी मातम जिसे पंजाब में स्यापा कहते हैं करती हुई बैन भररही थी ‘ह्य - ह्य मोदी मर जा तू’ मौलिक अधिकार में अभिव्यक्ति कीस्वतन्त्रता के अ
विधाता छन्द1222 1222 1222 1222सुनो माता महागौरी, यही अरदास लाया हूँ।मिले दर्शन मुझे मैया, लिए इक आस आया हूँ।करूँ गुणगान मैं तेरा, चढ़ाऊँ पुष्प माला माँ।करो उद्धार अब मेरा, कृपा कर दृष्टि डालो माँ।तुम्हीं लक्ष्मी तुम्हीं दुर्गा, तुम्हीं तो मात! काली हो।दुखी जो द्वार पर आये, न जाए हाथ खाली वो।करे जो मा
विधा-लावड़ी महंगाई की इस दुनिया में, दुःखित कृषक है बेचाराबदल गयी ये दुनियां देखो, बदला है जीवन सारा उठे अंधेरे प्रात सवेरे डोर हाँथ ले बैलों कीफसल उगाने की चाहत मेंचाल लगा दी खेतों कीन धूप से वो विचलित होतेन छांव की चाहत भरतेकरे परिश्रम कठिन हमेशासदा सभी ऋतुएँ सहतेकठिन परस्थिति में किसान तो, कर लेता
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *श्री राधे कृपा ही सर्वस्वम*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *जय श्रीमन्नारायण जय जय श्री सीताराम* 🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵 *सुखी जीवन के लिए क्षमा करना सीखें* सामाजिक जीवन में राग के कारण लोग एवं काम की तथा द्वेष के कारण क्रोध एवं पैर की वृत्तियों का संचार होता है क्रोध के लिए संघर्ष कल
मैं ही सही हूँ, सबसे बड़ा भ्रम : I'm right, The biggest fallacyमैं ही सही हूँ ""तस्वीरें दीवारों से ही नहीं, दिल से भी उतर जाती हैं उनकी , जिन्हें अपने पर खुदा होने का गुरुर होता है। बस जाती हैं यादें दिलों में उनकी , जिन्होंने दिलों को फ़तेह किया होता है। न रहता है ता
माँ बसुन्धरा कोनमन करेंदो फूल श्रधा केअर्पण करेंन होने दें क्षरणमाँ कासब मिलकर यह प्रणकरें।कितना सुन्दर धरतीमाँ का आँचलपल रहा इसमें जगसारा,अपने मद के लिएक्यों तू मानवफिरता मारा-मारासंवार नहीं सकतेइस आँचल को तोविध्वंस भी तो नाकरें,माँ बसुन्धरा कोनमन करें।हिमगिरी शृंखलाओंसे निरंतरबहती निर्मल जलधारा