आई एम आल्सो ए डाक्टर
डॉ शोभा भारद्वाज
न्यूज चैनलों पर कोरोना
की खबरे सुनना मेरी आदत बन गयी है . सिंगापुर में बेटी का फोन आया माँ पापा अपना
ध्यान रखना कोशिश करना घर से बाहर न निकलना पड़े कोरोना में भर्ती मरीज का साथी केवल
मोबाईल होता है .चिंता मुम्बई में रहने
वाले बेटे की थी . उच्च पदासीन बेटा वैसे घर से काम करता है. लाक डाउन में यदि बाई
नहीं आ सकी उसे कुछ बनाना नहीं आता हाय क्या खायेगा चिंता से सिर पटने लगा .सिर पर
हाथ लगाया हल्का बुखार महसूस हुआ नजला कई दिनों से चल रहा था वैसे मैने कोरोना का
वैक्सीन लगवा कर उसका प्रचार भी बहुत किया था .
अचानक बुखार बढ़ने
लगा गला रुंध गया सांस लेने में मुश्किल हो रही थी .डर गयी कोरोना के लक्षण हैं
उठने की कोशिश की धड़ाम से गिर कर बेहोश हो गयी हल्का सा होश आया अस्पताल के बिस्तर
पर थी लाइन से बिस्तर पर कोरोना पोजिटिव कराह रहे थे किसी के आक्सीजन लगी थी मुझे
भी आक्सीजन की जरूरत थी परन्तु ?मेरा हाल
बेहाल था . मेरे पास अपना कोई नहीं था सब अजनबी चेहरे पीपीई किट में डाक्टर
और नर्से घूम रही थी किसी ने मेरी जरूरत को नहीं समझा दूर से देखा नजर फेर ली .
मेरे पति डाक्टर हैं घर में पीपीई किट हैंड ग्लोव सब हैं डाक्टर को तो कोई नहीं
टोकता क्या वह स्वयं मेरा हाल देखने नहीं आ सकते थे .दुःख में कोई साथ नहीं देता
दुनिया की यही रीति है .मेरे सिरहाने मेरा मोबाईल था उठाकर बात करने की कोशिश की
परन्तु ? चार्जर है उठने की हिम्मत नहीं थी कोई मेरी तरफ देखता उससे कहती चार्जिंग
पर लगा दो हाय मोबाईल भी मेरा साथी नहीं है .
पुरानी यादें ताजा
हो गयीं ईरान के अस्पताल में मेरे डाक्टर पति इंचार्ज थे. रात को अचानक भयानक दर्द
हुआ इन्होने इंजेक्शन लगाया दर्द में कराहती को समझा रहे थे कैसे करवट लूँ दर्द कम
महसूस हो बार -बार खिड़की से बाहर देख रहे थे कब सुबह हो ,बड़े अस्पताल ले जाना
पड़ेगा शायद आपरेशन हो बच्चे छोटे थे उनको और मुझे साथ लेकर एम्बूलेंस से बड़े
अस्पताल पहुंचे बच्चे पठान डाकर हुनर गुल की पत्नी ने सम्भाल लिए तुरंत जांच की
गयी रिपोर्ट भी आ गयी पथरी का संदेह था वही निकली एक ,एक पाकिस्तानी सर्जन डॉ नसीर
और भारतीय सर्जन के माथे पर पसीना के
माथे आ रहा था भाभी के चाकू चलाना हमारे
बस की बात नहीं है डाक्टर नसीर का ब्लड ग्रुप मुझसे मिलता था मैं खून दूंगा .
ईरानी सर्जन मौलाई बुलाये गये वह उन्होंने अपने हाथ से इंजेक्शन लगाया मैने रोते
हुए उनका हाथ पकड़ कर कहा ‘ आगा -ए डाक्टर मन कुचलू कुचलू बच्चा दारम’मेरे बच्चे
छोटे हैं , उन्होंने दिलासा दिया तीन पथरियों के टुकड़े ब्लैडर में थे शायद आपरेशन
की नौबत न आये .एक डाक्टर के पास भारत की देसी दवाई थी सबने निर्णय लिया देसी ,अंग्रेजी
दोनों दवाईयों से कोशिश की जाये शायद पथरी निकल जाए .
परदेस में परदेसी
अजबनी अपने थे यहाँ अपने देश में मैं अकेली असहाय पड़ी हूँ दो बच्चे बाहर है एक बेटा तो हमारे पास है उसे
भी माँ की जरूरत नहीं है जब इनको ही मेरी
चिंता नहीं है बेटे पर क्या गिला करूं . उसी कमरे में दो मौते हो गयीं अबकी बार
लगा मेरा नम्बर है वही हुआ मारा दम घुट रहा था मैं छटपटाई पलंग से गिर पड़ी कैसी
निर्जीव दुनिया है किसी ने मेरी तरफ नहीं देखा मेरा पार्थिव शरीर धरती पर पड़ा है
मेरी आत्मा शरीर से निकल कर मेरी हालत पर अफ़सोस कर रही है . आत्मा को कोई मार नहीं
सकता शरीर से निकल कर नया शरीर धारण करती हैं .हाय सब छूट गया बेटी की नन्ही बेटी
याद आई मैं कुछ दिन के लिए सिंगापुर गयी थी देखा वह पढ़ने से बचती है मुझसे पूछा
नानी आप लाई (झूठ) बोल सकती हो ,मैं बोल नहीं सकती मम्मा से पिंकी प्रौमिस किया है
. बोल बेटा क्या झूठ बोलना है नानी मम्मा पापा काउन्टिंग याद करने को कह कर गये
हैं आप कहना मैने आपको सुना दिया है तब वह कार्टून देखने देंगे हंसी आई .बेटी
दामाद घर आये बच्ची तिरछी नजर से देख रही थी मैने रोब से उनसे कहा रिया ने मुझे
काउंटिंग सुना दी इसे कार्टून देखने दो .बेटी हँसने लगी मम्मा मैं आपको बहुत अच्छी
तरह से जानती हूँ रेया चलो काउंटिंग याद
करो नहीं तो आज कार्टून देखने को नहीं मिलेगा बच्ची को देखने की इच्छा जगी.मेरी
छोटी नन्ही रेया माँ से पूछेगी नानी कहां है ?उसे मेरी बेटी भीगी आँखों से आसमान
में चमकता तारा दिखा देगी . एक झटके से मेरे नाम के साथ स्वर्गीय लग जाएगा. कोरोना
का भय मेरे मरने पर शोक सभा भी नहीं होगी मेरा शव जमीन पर पड़ा था .
चार पीपीई किट पहने
यमदूत मुझे बाँध कर ले जाने लगे मै कराह उठी कुछ देर में मेरा पार्थिव पंच भूत
तत्वों से बना राख हो जाएगा आत्मा नये शरीर में प्रवेश कर लेगी जाएगा मेरा चित्र दीवार
पर टांग कर उस पर माला डाल दी जायेगी .श्मशानघाट पर मेरे जैसे अनेक शव पड़े थे कोरोना पीड़ितों की
अंतेष्टि विद्युत् शव ग्रह दाह में होती है लेकिन वहाँ लंबी प्रतीक्षा थी . एक बार
मैं परिचित की शवयात्रा पर निगम बोध घाट पर गयी थी वहां उत्तरांचल के लोग यमुना जी
के किनारे दाह संस्कार कर जल में राख प्रवाहित करते देखे थे . शायद वहीं मेरी
अंतिम क्रिया होगी .अरे यह यमदूत मेरी आत्मा को यहाँ से क्यों नहीं ले जा रहे क्या
मुझे अपने शरीर को जलते देखना पड़ेगा जिससे मुझे बहुत मोह था मेरी आत्मा , से आवाज
उठी ‘ तू चाहे तो जीवन ले ले , चाहे तो पल में जीवन दे दे’ अब यमराज के दूतों
के बंधन से मेरा शरीर छूट गया मुकुट धारी
दैवीय आकृति ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर नब्ज पर हाथ रख दिया आत्मा कराह उठी आप
कौन है ?मेरे अच्छे कर्म देवदूत यम के पाश से निकाल कर मुझे स्वर्गलोक ले जा रहे
है . देवीय शक्ति ने कहा आई एम आल्सो ए डाक्टर ( मैं भी डाक्टर हूँ).मेरे गले से
घुटी चीख निकली दैवीय शक्ति की आकृति मेरे डाक्टर पति के चेहरे से मिल रही थी वह
मुझे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे मेरा लड़का मम्मा – मम्मा क्या हुआ पूछ रहा
था मैं अपने घर में अपने बिस्तर पर डरावना सपना देख रही थी मुझे कुछ नहीं हुआ था .हाँ
पति देवता का भाषण आज जरा लम्बा हो गया टीवी चैनल पर कोरोना पीड़ितों की संख्या
सुनती रहती हो कभी कितने स्वस्थ हो कर घर गये उनका आंकडा देखा है .