जो बीत गया सो बीत गया,मत सोचो उसके बारे में,लेकर सबक उस वक़्त से अब,बढ़ जायो समय के धारे में।मत सोचो भविष्य में क्या होगा,चिन्ता करने से क्या भला होगा,पर चिंतन अवश्य ही कर लो तुम,कि अब आगे क्या करना होग
काली रात का छटा अँधेरा,सूरज ले आया उजियारा,जीवन में आशाओं का डेरा,हो रहा नव सुबह सवेरा।जीवन की इस धूप छाँव में,सुख दुःख ने डाला है डेरा,ये भी इक दिन निकल जायेगा,ये सब है समय का फेरा।जीवन पल-पल बढ़ता जा
आज माननीय प्रधानमंत्री जी ने अमुक घोषणा की है , आज हमें निम्न चीजो की खरीद करनी है , अगली छुटियो में हमें हमास द्वीप पर जाना है , आज पड़ोसी राम सिंह और कृष्ण सिंह लड़ गए आदि के बारे में ही बाते करते हुए हमारी ज़िंदगी गुजर रही है। आज की इस भाग दौड़ की दुनिया में किसी को ठहरने और सोचने का वक्त ही नही है।
गांधार राज शकुनी की नीतिडॉ शोभा भारद्वाजयह उन दिनों की कहानी है जब राजधर्म में राजनीति को मान्यता दी गयी थी लेकिन कूटनीति का स्थान नहीं था शकुनी पहला कुटिल कूटनीतिकार था छलनीति उसका हथियार था माना हुआ षड्यंत्र कारी था |समय का प्रचलित खेल चौसर राजा महाराजों के प्रिय खे
समय का महत्व हमारे जीवन की सबसे अमूल्य चीज है समय, समय का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है। समय किसी के लिए नहीं रुकता बिता हुआ समय दुबारा नहीं आता अगर व्यक्ति यह सोचता है समय आने पर कोई कार्य पूरा करना है उसका यह सोचना व्यर्थ है क्योंकि समय किसी का नहीं होता, अगर व्यक्त
इंसान की नजर में, इस दुनिया में व्यवहारिक रूप में, सबसे छोटी उम्र अवधि किसकी है ? आप कहेंगे अमीबा, वाइरस, की... ! जी नहीं, श्रीमानजी !! इस दुनिया में सबसे छोटी उम्र है सुख की । क्योंकि आनंद को मातम में बदलने में कुछ भी समय नहीं लगता है
"किसी देश की सांस्कृतिक सभ्यता तभी समृद्ध होगी जब उस देश की राजभाषा का उचित सम्मान होगा।"मात्र एक सुंदर भावपूर्ण पंक्ति से ज्यादा उपर्युक्त कथन का अभिप्राय हमने कभी समझा ही नहीं या यों कहें हिंदी की औपचारिकता पूरी करने में हम हिंदी को आत्मसात करना भूल गये।सोच रही हूँ हिंदी दिवस की बधाई किसे देनी चाह
*इस पृथ्वी पर आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक एक से बढकर एक बलवान हुए हैं जिन्होंने अपने जनबल , धनबल एवं बाहुबल का प्रदर्शन करके संसार में सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास किया है | अनेकों वीर तो ऐसे हुए हैं जिन्होंने तीनों लोकों को जीतने का श्रम किया और सफल भी हुए | परंतु तीनों लोकों में सबसे बलवान एक ही ह
मित्र कल से आज के बदले समय में, रूठ जायें हम तो फिर आश्चर्य क्या है.
समय का बोध सिर्फ उनको होता है जिनका जन्म होता है. जिसका जन्म हुआ हो उसकी मृत्यु भी निश्चित है और जन्म और मृत्यु के बीच जो है वो ही समय है. जन्म ना हो तो मृत्यु भी ना हो और समय भी ना हो. समय सिर्फ शरीर धारियों के लिए है , आत्मा के लिए नहीं. आत्मा
एक बार पलक झपकने भर का समय ..... , पल - प्रति पल घटते क्षण मे, क्षणिक पल अद्वितीय अद्भुत बेशुमार होते, स्मृति बन जेहन मे उभर आआए वो बीते पल, बचपन का गलियारा, बेसिर पैर भागते जाते थे, ऐसा लगता था , जैसे समय हमारा गुलाम हो, उधेड़बुन की दु
सही मायने में हम कह सकते है कि भारत बदल रहा है . यकीं नहीं आता है न ! अगर हम हर पहलू पर गौर करें तो यह पाएंगे की हम आज काफी आगे निकल रहे हैं. आज हम शिक्षा के क्षेत्र में देखें , करिअर के क्षेत्र में देखे मानसिक या फिर आर्थिक, आज जिंदगी के हर क्षेत्र में बदलाव आ रहा
गूढ होता हर क्षण, समय का यह विस्तार! मिल पाता क्यूँ नहीं मन को, इक अपना अभिसार, झुंझलाहट होती दिशाहीन अपनी मति पर, किंकर्तव्यविमूढ सा फिर देखता, समय का विस्तार! हाथ गहे हाथों में, कभी करता फिर विचार! जटिल बड़ी है यह पहेली,नहीं किसी की ये सहेली! झुंझलाहट होती दिशाहीन
कहानी------------समय का मोल...!!अमितेश कुमार ओझाकड़ाके की ठंड में झोपड़ी के पास रिक्शे की खड़खड़ाहट से भोला की पत्नी और बेटा चौंक उठे। अनायास ही उन्हें कुछ प्रतिकूलता का भान हुआ। क्योंकि भोला को और देर से घर पहुंचना था। लेकिन अपेक्षा से काफी पहले ही वह घर लौट आया था। जरूर कुछ गड़बड़ हुई.... भोला की
सुबह निकलने से पहले ज़राबैठ जाता उन बुजुर्गों के पासपुराने चश्मे से झांकती आँखेंजो तरसती हैं चेहरा देखने कोबस कुछ ही पलों की बात थी ________________लंच किया तूने दोस्तों के संगकर देता व्हाट्सेप पत्नी को भीसबको खिलाकर खुद खाया यालेट हो गयी परसों की ही तरहकुछ सेकण्ड ही तो लगते तेरे ________________निक
आज हमारी जिन्दगी की रफ्तार इतनी तेचज हो गयी है कि हम प्रकृति को अनदेखा किए जा रहे है आज हमारे पास प्रकृति को देखने तक की फुर्सत नही लेकिन जब प्रकृति अपने ऊपर होने वाले जुल्म का विरोध करती है तो हम सभी उसको कोसते है अतः मेरी आप सभी पाठको से विनती है कि दिन मे कम से कम 1 घण्टा जरूर समय निकाले और इ