फिर इस शहर में यारों लगने जा रहा है लाक डाउन, फिर खामोश रहेगा यारो अपना बेहद वाचाल टाउन । सबको बस अपने ही घर में यारों बेबस रहना पड़ेगा , लैला के दर्शन के लिए मजनूँ को और तड़पना पड़ेगा। पता नहीं लाक डाउन से शहर को क्या फायदा होगा? क्या व किसे फाय
वर्तमान समाज की स्थिति को देखते हुए समाज का,देश का सबसे बड़ा कोढ़ भ्रष्टाचार पर आधारित यह पुस्तक होगा।
मेरा बेटा पराक्रम रोज ही ऐसी बात कह देता है कि सुनकर हँसी आती है उन्हीं बातों को संकलित कर रही हूँ
Akbar beerbal ki kahani
इस प्रहसन में भारतेंदु ने परंपरागत नाट्य शैली में हिंसा पर व्यंग्य किया गया है। नाटक का आरम्भ नांदी के दोहा गायन के साथ होआ है - 'बहु बकरा बलि हित कटैं, जाके बिना प्रमान। ... यज्ञों में पशुओं की हिंसा करते हुए कहा गया कि 'यह हिंसा वेदोक्त है, इसलिए इ
हम आलोचना या कटाक्ष के क्षेत्र में नए नहीं हैं , कुछ आलोचनाएं हैं जिन्हें आप जानकर अपनी रुचि को बढ़ा सकते हैं और लोगों की निंदा कर सकते हैं।और एक चरम सुख का आनंद उठा सकते हैं।
सड़क सुरक्षा पर लिखी गई हास्य व्यंग्य कविता।
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति ' मांस भक्षण पर व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया नाटक है । ' प्रेमयोगिनी ' में काशी के धर्मआडंबर का वही की बोली और परिवेश में व्यंग्यात्मक चित्रण किया गया है। ' विषस्य विषमौषधम् ' मैं अंग्रेजों की शोषण नीति और भारतीयों की महा
कई शहरों के बीच सालों से ब्रिज बन रहे हैं और आवागमन पर वे एक तरह से बाधा डाल रहे हैं।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र) भारत के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार की तीसरा हाइकु संग्रह में पढ़िए हिन्दी के नवरचित हिन्दी हाइकु। इसके पूर्व राना लिधौरी के 1-रजनीगंधा ( हिंदी हाइकु संग्रह) सन्-2008 एवं 2 - 'नोनी लगे बुंदेली'(बुंदेली हाइकु सं
आज की दुनिया में इंसान को , कोई कदर नहीं, सैतानो को आज कल वसेरा होता है ! रूप रंग भेष भूसा सब रंग अनेक है , बड़े छोटे को कद्र नहीं सब कुछ फेक है , भगवन के भी घर में सैतानो का रेक है , मत पूछो इंसान को कैसे बसेरा होता है !सैतानो ....... संभल संभल क
राज्योत्सव में कुछ सालों से क्या हो रहा है उसकी एक बानगी।
किसी फिल्म की कहानी को आगे हास्य के रूप में परोसा जाये तो वों भी कम मनोरंजक नहीं होगी.. प्रस्तुत किताब एक ऐसी ही कल्पना है, जिसमे अलग-अलग कई हास्य-व्यंग्य लिए गये हैं...
देश के खेवनहार तुम्हारी ऐसी - तैसी करेंगे नैया पार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! डाकू , चोर, लुटेरे , गद्दारों के वंशज बनते इज्जतदार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! प्रजातंत्र के मखमल में पैबंद टाट के कैसे हो सरकार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! खून पसीने से सिंचित भारत क
राज्योत्सव में किएजा रहे फिजूल खर्ची को बयां करती कविता।
इस आयाम में आपको मिलेंगे ढेर सारे चंडूल के किस्से याद रहे चंडूल एक काल्पनिक नाम है और उससे जुड़े किस्से भी काल्पनिक है |
🦎🐊🐦🦎🐊🌺 तेरी ओर मेरी हे जनमो जनम की प्रित तु मेरी छीपकली और मै तेरी भिंत 😀🤣🦎🐊🐦 भिंत = दीवार 😀🔮😀😂🤣🌺😁💗 🌹 तेरी और मेरी जनमो जनम की प्रित सदा रही है चाहै तू दूर रहे या पास🌛 तू मेरी छीपकली ओर मै तैरी भिंत हू मतलब जेसै छिपक
विषय _ कविता चौसर का दांव """""""""""""""""" मोहब्बत थी या यूं ही एक पल का झुकाव था ! कुछ उम्र ही ऐसी थी कुछ उस वक्त का ताव था !! दरिया तो पार करने की तमन्ना थी बहुत _ हम क्या करे जब न कोई पतवार न नाव था ! उधेड़बुन में जिंदगी कुछ यूं गुजर र