(अर्जुन द्वारा विश्वरूप के दर्शन के लिये प्रार्थना) अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम् । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने कहा - मुझ पर कृपा करने के
(भगवान की ऎश्वर्य पूर्ण योग-शक्ति) श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान् ने कहा - हे महाबाहु अर्जुन! तू मेरे परम-प
(सृष्टि का मूल कारण) श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे अर्जुन! अब मैं तुझ ईर्ष्या न कर
(अर्जुन के सात प्रश्नो के उत्तर) अर्जुन उवाच किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे पुरुषोत्तम! यह "ब्रह्म" क्या ह
(विज्ञान सहित तत्व-ज्ञान) श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः। असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे पृथापुत्र! अब उसको सुन जिससे तू योग
(योग में स्थित मनुष्य के लक्षण) श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - जो मनुष्य बिना किसी फ़ल की इच्
(योद्धाओं की गणना और सामर्थ्य) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१) भावार्थ : धृतराष्ट्र ने कहा - हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि म
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* 🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲 *जय श्रीमन्नारायण*🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚 *जीवन रहस्य*🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 यह जीवन परमपिता परमेश्वर ने कृपा करके हमें प्रदान किया जिसे पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं जितने भी सजीव शरीर हैं उनमें मानव शरीर की महत्ता सबसे अधिक
त्याग, संघर्षपूर्ण जीवन, नि: स्वार्थ सेवा और निष्काम भक्तिरामायण और रामचरित मानस में भगवान श्रीराम की वनयात्रा में माता शबरी का प्रसंग सर्वाधिक भावपूर्ण है। भक्त और भगवान के मिलन की इस कथा को गाते सुनाते बड़े-बड़े पंडित और विद्वान भाव विभोर हो जाते हैं। माता शबरी का त्याग और संघर्षपूर्ण जीवन, नि: स्व
प्रार्थना जितनी सरल होती शायद ही कुछ इतना सरल हो, मैं यहाँ पर उतने ही कम शब्दों में और इसके बारे में कहना चाहूँ की प्रार्थना जितनी निःशब्द रहे उतनी सरल और तेज प्रभाव वाली होती है। शब्दों में कमी रह सकती है मगर निःशब्द प्रार्थना बहुत कुछ कहती है।वैसे प्रार्थना निवेदन करके ऊर्जा प्राप्त करने की शक्ति
जब हम सुबह उठते हैं, हम में से बहुत से लोग अपने फोन या कंप्यूटर पर स्वचालित रूप से चले जाते हैं और ऑटोपायलट पर हमारी ऑनलाइन दुनिया के माध्यम से पढ़ना, संदेशों की जांच करना, चीजों की प्रतिक्रिया देना और चलना शुरू कर देते हैं।हम अपने दिन को इस तरह से गुजारते हैं, हम जितना बेहतर कर सकते हैं, तनाव से नि
जिनका विश्वास ईश्वर में है वो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च में विश्वास नहीं रखते, जो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में विश्वास रखते है वो ईश्वर में नहीं राजनीती में विश्वास रखते है. ईश्वर के नाम पर दंगे नहीं होते, दंगे धर्म
मैं उस ईश्वर की भक्ति करता हूँ जो सर्व शक्तिमान है, उस ईश्वर की नहीं जिसे मेरी ज़रूरत पड़े अपना घर( मंदिर) बसाने की. क्या करूंगा मैं उसकी भक्ति कर जिसकी रक्षा मुझे करनी पड़े, मैं तो उस की भक्ति करता हूँ जो मेरी रक्षा करे.
जम्मू-कश्मीरके कठुआ और उत्तर-प्रदेश के उन्नाव की वहसी घटनाएँ जब से प्रिंट/मीडिया और समाचार पत्रों में नित नए रूप में आ रही है तथा अनेक खुलासे हो रहे है, तबसे अधिकतर बुरे विचारों ने ही मन को घेर लिया है और सोचने के लिए विवश है कि, अपने साथ यदि ऐसा हो जाए तो क्या
“भगवान या ईश्वर ” है या नहीं ? इस विषय पर अनादिकाल से वाद-विवाद चलता हुआ आ रहा है किन्तु इस चर्चा का आजतक कोई सर्वमान्य ठोस जवाब नहीं मिला है । इस बाबत न तो पौराणिक ग्रन्थों, न ही आधुनिक वि ज्ञान के पास कोई भी ठोस सबूत अथवा जवाब है । अधिकतर लोग मानते है कि,’भगवान’