काले मेघा! काले मेघा ! इतना क्यूँ तरसाए,
बहुत हुई अब देर सही, पर अब क्यूँ न बरसे हाय,
गरमी से परेशां जनता सब बोले हाय! हाय!
काले मेघ बोले, "तब तू( जनता) क्यूँ न पेड़ लगायें"?
जब बारिश की इतनी आस तो क्यूँ प्रदुषण फैलायें ?
जहाँ देखो वहां, तू पेड़ ही पेड़ कटवाए!
फिर हमसे पूछे, हम क्यूँ न बरसे हाय!
इसे बात पर चलो दोस्तों, हम सब पेड़ लगायें,
दुर्घटना से देर भली, पर अब तो चेत जाएँ,
इस धरती को स्वर्ग बनाने के प्रयास में जुट जाएँ,
आओ सब मिल जुल कर एक बेहतर भविष्य बनायें!