भारतीय सेना की ‘सर्जिकल स्ट्राइक” के बाद से ही पाक बुरी तरह बौखलाया हुआ है। वह इसका बदला लेने के लिए तमाम तरह के जतन कर रहा है। कभी वह गुब्बारे-कबूतरों आदि के जरिए हमें धमकाने वाले संदेश भेजता है, तो कभी सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करता है। हाल ही में पाक-प्रायोजित आतंकियों ने कश्मीर के बारामुला में हमारे सुरक्षा ठिकानों पर पुन: हमला करने की कोशिश की, जिसे हमारे मुस्तैद जवानों ने नाकाम कर दिया। हकीकत तो यह है कि मोदी सरकार की आक्रामक कूटनीति से पाकिस्तान को चौतरफा नाकामी व शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। लेकिन हैरत है कि वह फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। उसे समझना होगा कि हालात अब बदल चुके हैं और उसे अपनी हर हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। मगर एक बात हमारे लिए सोचनीय व मननीय है !
जब भारत के हिंदू-मुस्लिम तनाव के चलते कभी कभार फूट पड़ने वाले दंगों को पाक मुस्लिमों पर भारत के अत्याचार के रूप में प्रस्तुत करते हैं तो वस्तुत: यह बताने की कोशिश करते हैं कि देखो भारत में मुसलमान कितने असुरक्षित हैं और अगर पाकिस्तान न बना होता तो यह पाकिस्तानी मुसलमान भी असुरक्षित हो जाते। इसलिए पाकिस्तान के लिए यह अस्तित्वगत मजबूरी है कि वह वही सब करे जो वह कर रहा है – उसे सीमा पर तनाव बनाए रखना है, उसे कश्मीर का मसला जिंदा रखना है और कश्मीरियों में अलगाववाद जगाए रखना है, उसे हर वह कुटिल प्रयास करना है, जिससे भारत के हिंदू और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़े ! और भारत को हर समय जल्दबाजी की मन:स्थिति में रखने के लिए उसे आतंकवाद को भी बढ़ावा देना है। कोई भी आशावाद और कोई भी भोली समझदारी पाकिस्तान को उसकी इस नीति से अलग नहीं कर सकती क्योंकि इससे अलग होते ही पाकिस्तान पाकिस्तानियत विहीन हो जाएगा। क्योंकि पाकिस्तान की नींव इस सिद्धांत पर पड़ी थी कि दो भिन्न धर्मावलंबी और भिन्न संस्कृति के लोग साथ नहीं रह सकते। इसलिए उसे हर वह कुछ करना था, जिससे वह अपने इस सिद्धांत को सही ठहरा सके। लेकिन भारत ने क्या किया? भारत की नींव पाकिस्तान के ठीक विपरीत इस सिद्धांत पर पड़ी थी कि भिन्न धर्मावलंबी, भिन्न आचार-विचार और भिन्न भाषा-व्यवहार वाले समूह न केवल साथ-साथ रह सकते हैं बल्कि अपने धार्मिक-सांस्कृतिक-सामाजिक झगड़ों को अपनी लोकतांत्रिक समझदारी से निपटाते हुए आपस में सुरक्षित सहकार स्थापित कर सकते हैं और बेहतर गति से बेहतर प्रगति कर सकते हैं।
भारत ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी आस्था इसलिए निहित की थी कि उसे अपनी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए और अपनी आर्थिक-सांस्कृतिक प्रगति के लिए सर्व समावेशी लोकतंत्र ही एकमात्र उचित रास्ता प्रतीत हुआ था। और भारत ने भी अपनी बहुत सी समस्याओं का समाधान, विशेषकर सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान, इसी व्यवस्था के माध्यम से पाने का प्रयास किया है। भारत का यह प्रयास कितना भी आधा-अधूरा और कमजोर क्यों न रहा हो, लेकिन पाकिस्तान की तुलना में बहुत बेहतर रहा है !
भारत में जब भी विभिन्न संप्रदायों के बीच तनाव पैदा होता है और वह हिंसक झगड़ों का रूप लेता है तो इससे पाकिस्तान के सिद्धांत को बल मिलता है। जब भारत के सामने अपने ही लोगों के विरुद्ध बल प्रयोग करने की स्थिति बनती है तो इससे भी पाकिस्तान का सिद्धांत प्रामाणिकता प्राप्त करता है। जब भारत में भारत-पाकिस्तान के बीच किसी
खेल संबंध का विरोध होता है, किसी साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधि का विरोध होता है या भारत में सक्रिय पाकिस्तानी कलाकारों का विरोध होता है तो इस सबसे पाकिस्तान का सिद्धांत पुष्ट होता है। और यह सिद्ध होता है कि पाकिस्तान की निर्मिति सही थी। कहने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान को सचमुच हराना है तो पाकिस्तान के हाथ किसी भी सूरत में वे प्रमाणपत्र नहीं लगने चाहिए जो हम उसे लगातार थमा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि यह जो हाहाकार हो रहा है, वह पाकिस्तान के साथ भारत को भी हरा रहा है। वेसे अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं।
नरेंद्र मोदी द्वारा देश का नेतृत्व संभालने के साथ ही हमारे जैसे लोगों को यह स्पष्ट हो गया था कि पाक-प्रायोजित आतंकवाद के प्रति सामरिक संयम के विकल्प के दिन लद गए हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और आर्थिक कदम तेजी से बढ़ाए जा रहे हैं और देश व दुनिया में पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने के लिए जनमत तैयार किया जा रहा है। आज पूरा विश्व जान चुका है एशिया का एक देश(पाक ) रक्तरंजित करने में खून-खराबे में लगा हुआ है. बांग्लादेश हो या अफगानिस्तान हर जगह आतंकी घटना होने पर इसी देश का नाम आता है. वेसे भारत आज पाकिस्तान से हजार साल युद्ध करने को तैयार हैं. हमे विश्वश कि हम पूरी दुनिया में पाकिस्तान को अलग-थलग कर देंगे, उसके बाद वहां की आवाम ही पाकिस्तान के हुक्मरान और आतंकियों के खिलाफ उठ खड़ी होगी ! हमारी जीत आसान होगी ….. जय हिन्द
उत्तम जैन (विद्रोही )
Vidrohi Avaz कूटनीति से पाक आवाम ही आतंकवाद के खिलाफ उठ खड़ी होगी - Vidrohi Avaz